Hetal Patil

Hetal Patil

साईं माँ की ममता

अपनी संतान के लिए अगर साईं माँ चाहे तो विधाता का लेख भी बदल सकते हैं| साईं माँ और बेटे का रिश्ता तो इत्तर से भी ज्यादा सुगन्धित हैं, जिसको हम सब महसूस कर सकते हैं लेकिन पूरा वर्णन कोई भी नहीं कर सकता।

शिर्डी में होली का जश्न

पोस्ट समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आहार में पोषण और संयम के बारे में साईं बाबा की मान्यताओं पर प्रकाश डालती है। यह श्रीमती गोखले की कहानी बताती है, जो उपवास के इरादे से बाबा के पास गईं लेकिन उन्हें दादाभट के परिवार और खुद के लिए भोजन तैयार करने का निर्देश दिया गया। कहानी आध्यात्मिक प्रथाओं और उदारता और निःस्वार्थता के मूल्य को आगे बढ़ाने में सक्षम होने के लिए शरीर को पोषण देने के महत्व पर जोर देती है। यह 1911 में शिरडी में होली और रंगपंचमी के जीवंत और आनंदमय उत्सव का भी वर्णन करता है, जहाँ साईं बाबा ने रंगीन पोशाक पहनकर बड़े उत्साह के साथ भाग लिया था। इस समारोह ने उन सभी लोगों पर अमिट छाप छोड़ी जो इसका हिस्सा बनने के लिए भाग्यशाली थे। इसके अतिरिक्त, यह लेख ताराबाई तखंड की कहानी कहता है, जिसका कोमल हृदय दिन की भीषण गर्मी में एक युवा बकरी को तड़पते हुए नहीं देख सकता था, जो सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा और जिम्मेदारी के महत्व पर जोर देती थी।

महाशिवरात्रि पर पूर्ण चेतना की परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर करना: तांत्रिक योग दृष्टिकोण

इस महाशिवरात्रि, भगवान शिव को पूजन और उपवास से परे शुद्ध चेतना की परिवर्तक शक्ति की खोज करें। यह पोस्ट Neuroscience और योग तंत्र के परिपेक्ष्य से तकनीकी पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जिसमें शरीर में सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूइड (CSF) की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई है और इसका यह बताया गया है कि यह "मैं हूँ" चेतना पर कैसे प्रभाव डालता है। तंत्रिक योग परंपरा में दूध के समुद्र का मथन और अमृत के महत्व के बारे में अधिक जानें, और कुण्डलिनी ऊर्जा के जागरण और शक्ति के रिहाई से कैसे जुड़ा है। इस अवसर के कम जाने जाने वाले पहलुओं की खोज करने में हमारे साथ शामिल हों और महाशिवरात्रि पर शुद्ध चेतना की परिवर्तक शक्ति को उन्मुक्त करें!

साईं अमृत वाणी – अध्याय 9

जय साई गुरुदेव, दोस्तों इस संसार में जन्म लेने के बाद हर किसी को मार्गदर्शन की आवश्कता होती है। क्योंकि अच्छा, बुरा, सही, गलत, सच, जूठ इसमे से किसी की भी चीज (शब्द) की समझ या ज्ञान के साथ हम जन्म नहीं लेते। कोइ हमें इन सभी से अर्थात ज्ञान से परिचत करवाता है, और उसे “गुरु” कहा जाता है|

साईं अमृत वाणी – अध्याय 8

साईं अगर आप भोलेनाथ बनोगे तो मै आपके लिए डमरू बजाऊंगा, साईं अगर आप कान्हा बनोगे तो मैं आपके लिए मुरली बन जाऊंगा, मैं सेवक हूं साईं आपका, आपकी सेवा करते हुए ही मर जाऊंगा।।

साईं अमृत वाणी – अध्याय 5

साई करुणा - जिस घर या मंदिर में साईं जी की पूजा होता हैं, साईं आपकी करुणा से सबकी बिपदा टली, साईं आपके चिंतन से हर दुःख की रैना ढली जय हो साईं बाबा, जय हो साईं बाबा।