साईं अमृत वाणी – अध्याय 6

साईं अमृत वाणी - अध्याय 6

“साईं पूजा”

साईं हो गया था हैरान देखकर इस जग के हर नर और नारी शिरडी का नज़ारा।

साईं आप से ही तो मांग रहा हैं सारा जमाना, बांट रहे हो साईं आप फिर भी झोली खाली नहीं हुई अभी तक यही तो आपकी रहमत हैं सब पर।

साईं आपने जितना भी बांटा हैं सबको उतनी ही आपकी झोली भरी हुई है|

हर पल, ऐसा हैं साईं संत निराला जिन्होंने संकट सबका टाला।

कोई कहे राम, कोई कहे नानक, और कोई कहता गोपाला, कोई कहे भोलाबाबा। चाहे धनी हो या गरीब, ज्ञानी हो या अज्ञानी सभी तो आपसे ही मांगते हैं, साईं आप तो फकीर नहीं हो आप तो इस ब्रह्माण्ड के सबसे धनवान और दीनानाथ हो बाबा।

नीम पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान करते थे आप, उस शीतल स्पर्श से तो नीम पेड़ की हर एक पत्ते मीठे बन गए हैं सहेद से भी ज्यादा, जिसका स्वाद अमृततुल्य हैं साईं।

साईं आपके मूंह में तो सिर्फ दो बात हर पल रहती थी, “अल्लाह आपका भला करेगा” और दूसरा ” राम जी भला करें आप सभी का”।

साईं सबके भाग भी अपने ही जगाएं हैं, पानी से भी दीपक आपने ही जलाएं हैं, श्रध्दा और सबूरी का मंत्र भी आपने ही सिखाया हैं। बाबा आपका शिरडी धाम तो चारों धाम के बराबर हैं साईं, आप ही काशी हो, आप ही काबा, और आप ही हो बाबा शिवालय, ऐसा हैं मेरा साईं संत निराला।

साईं बाबा आपकी रहमत तो सभी ने अपने आखों से देखा है, अपने जीवन का सारा सुख औरों को दे डाला साईं।

साईं बाबा का मधुर रिश्ता तो सभी के साथ जुड़ा हुआ हैं किसी न किसी रूप में, चाहे ओ मनुष्य हो या और कोई जीव।

साईं मांगे दुयानें सबके लिए जब भी बातें करता हैं रब से, अपने ही चढ़ी से तो लिखता हैं तकदीर दुबारा सभी का, जिस भी चीज को अपना हाथ लगाएं ओ बन जाएं हीरा।

मैं भी तो उस कतार में खड़ा था जिस कतार में बहुत भीर था साईं का दीदार करने के लिए, मेरा भी नसीब जग गया था जबसे मैंने साईं आपका नाम लेना प्रारंभ किया ।।

साभार: SAI Jitu Ghosh

© साईं तेरी लीलाMember of SaiYugNetwork.com

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Hetal Patil
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