साईं अमृत वाणी – अध्याय 5

साई करुणा - जिस घर या मंदिर में साईं जी की पूजा होता हैं, साईं आपकी करुणा से सबकी बिपदा टली, साईं आपके चिंतन से हर दुःख की रैना ढली जय हो साईं बाबा, जय हो साईं बाबा।
साई करुणा - जिस घर या मंदिर में साईं जी की पूजा होता हैं, साईं आपकी करुणा से सबकी बिपदा टली, साईं आपके चिंतन से हर दुःख की रैना ढली जय हो साईं बाबा, जय हो साईं बाबा।
"साई मिलन" में किसीने साई को बेटा माना हैं, तो किसीने मां माना हैं, तो किसीने पिता, और किसीने भा | इसी के प्रतिरूप बाबा मिलते हैं अपने भक्तों से |
साईं जब भी मुझे भूख लगे तब अपने कोमल हाथों से खिला देना, अगर ये आंखो में कभी भी आंसू आए तो बाबा अपने स्नेह भरा हाथों से पोछ देना ये मेरे दो नयन की अश्रुधारा|
अगर आप मेहसूस करोगे तो आपको पता चलेगा की अगरबत्ती की सुगंध हैं उससे कई गुना ज्यादा सुगंध तो साई की भक्ति से होती हैं।
साई के स्पर्श से तो साधारण पत्थर भी बन जाए किमती मोती, हमें भी ऐसे ही बाबा को अपने और आकर्षित करने के लिए अपने मन और तन को पवित्र लोहे की वस्तु की तरह गढ़ना होगा, ताकि साई भी हमारे द्वारा किया गया हर एक काम पर आकर्षित होकर हमारे ओर खिंचे चले आए।
हमने अक्सर देखा है कि साईं बाबा अपने भक्तों पर गुस्सा करते थे। कभी-कभी खतरे से बचने के लिए कभी-कभी अपने भक्त को सबक सिखाने के लिए। जो भी हो, साईं बाबा ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए विभिन्न तरीकों का सहारा लिया। हम साईं बाबा की इस विशेषता की तुलना भगवान शिव से कर सकते हैं। इस महाशिवरात्रि पर, देखते हैं कि हम जैसे सरल जीव इस भावना को कैसे जीत सकते हैं।
साईं बाबा ने दासगणु को कई बार नौकरी छोड़ने के लिए कहा लेकिन वह टालमटोल करता रहा। अंत में एक दिन आता है जब वे फंस जाते हैं और उनके पास बाबा के पास जाने और उनसे क्षमा मांगने और उन पर दया करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। इस घटना ने दासगणु को रेहम नज़र करो ग़ज़ल की रचना के लिए सहज रूप से प्रेरित किया।
एक पुलिस अधिकारी के रूप में सेवा और छिपकर दासगणू अब जान बचाने के लिए अपनी यात्रा आगे बढ़ाते हैं। इस यात्रा में नानासाहेब चांदोरकर के संपर्क में आते हैं। यह उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।