साईं भक्त सचिन कहते हैं: जय साईराम जी हेतल जी मैं फिर से अपना एक अनुभव पोस्ट कर रहा हूं। यह अनुभव थोड़ा लंबा है| इस अनुभव ने मुझे लंबे समय तक बाबा जी की लीला का अनुभव करने का सौभाग्य दिया है। इसलिए मैं इसे अलग-अलग भागों में पोस्ट करूंगा। बाबा जी अपने सभी भक्तों और उनके परिवारों पर अपना आशीर्वाद बनाएँ रखे। ॐ साई राम|
“साईं बाबा”, एक ऐसे गुरु जो बहुत दयालु है। उनकी दृष्टी मात्र हम पर पड़ने से ही हमारे पिछले जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है और उन्ही की कृपा के कारण हम उनकी छत्र छाया में हमेशा रहते हैं। बाबा जी का प्यार एक सुरक्षा कवच की तरह हमारे चारों ओर रहता है, जिसके कारन कोई भी दुर्भाग्य या अनहोनी हमें छू भी नहीं सकती है। बाबा जी बड़े अनूठे तरीके से भविष्य में होने वाली घटनाओं को हमें बताते है। मैंने इसे पहले कई बार अनुभव किया है और अब भी यह अनुभव करता हूँ। मैंने श्री साईं सच्चचरित्र में पढ़ा है कि यदि कोई व्यक्ति असमंजस की स्थिति में है, तो वह बाबा जी की सलाह ले सकता है। तरीका यह है कि कागज की दो पर्चियां बनाएं और एक पर्ची में ‘स्विकार’ और दूसरे पर ‘अस्विकार’ लिखे और बाबा जी से प्रार्थना करें की आपको उचित निर्णय बताएँ, फिर किसी एक पर्ची को चुनें। यदि यह ‘स्विकार’ है, तो उसके अनुसार कार्य करे और यदि ‘अस्वीकार’ हो तो वह ना करे। मैं इस तरीके से बाबाजी से सलाह लेता हूँ। इसका अनुसरण वो ही करे जिनको इस बात पर पूरा विश्वास हो की बाबा जी इसके माध्यम से उचित उत्तर अवश्य देंगे। यह मेरे लिए हर बार उपयोगी रहा है|
अब मैं अपना अनुभव शुरू करता हूँ जो मेरे नौकरी के लिए बाबा जी ने लीला की। यह बाबा जी के साथ हुआ अब तक का मेरा सबसे आश्चर्यजनक अनुभव है। हालांकि थोड़ा लंबा है, लेकिन बाबा जी की लीला इसके हर शब्द में आप देख सकते हो। यह स्पष्ट रूप से बताता है कि कैसे बाबा जी ने सब पहले से ही निश्चित करके रखा था और मुझे शिर्डी बुलाया| सुविधा के लिए, मैं पूरे अनुभव को भागों में विभाजित करूँगा। हर कदम पर बाबा जी की उपस्थिति को आप सभी स्पष्ट रूप से देख सकते है|
जैसे की मैंने अपने पिछले किसी एक अनुभव में लोखा था, मुझे मर्चेंट नेवी में चुना गया था। लेकिन मेरे घर में हर कोई असमंजस की स्थिति में था कि क्या मुझे यह नौकरी करनी चाहिए या नहीं। जब कभी भी हम सब साथ में बैठते तो इस बारे में लम्बी चर्चा चलती रहती और कोई भी निर्णय हम नहीं ले पते, हम सभी बहुत ही परेशान हो गए थे| अब केवल दो ही दिन बचे थे ज्वाइनिंग शुल्क जमा करने के लिए, फिर मैंने बाबा जी से मदद माँगी। जैसा कि बाबा जी ही मेरे जीवन के करता धर्ता है, मेरा अतीत, वर्तमान और भविष्य सब कुछ उनकी ही इच्छा पर निर्भर करता है। मैंने उसी तरह दो पर्ची बनाईं, एक में स्वीकार और दूसरे में अस्वीकार यानी मैं नेवी में नौकरी करू या नहीं, इसप्रकार मैंने उनसे मार्गदर्शन करने के लिए प्रार्थना की।
दिल से तो मैं ये नौकरी नहीं करना चाहता था क्योंकि इसके कारन मेरे और मेरे परिवार के बीच दूरियां पैदा हो जाएंगी और मुझे बाबा जी की सेवा करने का भी समय नहीं मिलेगा। पर फिर भी मैंने बाबा जी से मदद मांगी। मैंने बाबा जी से प्रार्थना करने के बाद एक पर्ची उठायी और फिर पर्ची में वही आया जो मेरी भी इच्छा थी, उसमे ‘अस्वीकार’ लिखा था। तुरंत ही मैंने अपनी मां को बुलाया जो उस समय घर पर ही थी और मैंने उनसे कहा कि मैं इस नौकरी के लिए नहीं जा रही हूं। यह सुनकर वह आश्चर्यचकित रह गई क्योंकि फीस जमा करने से दो दिन पहले ही मैंने यह निर्णय लिया था। फिर भी भरी मन ने उन्होंने मुझे यह नौकरी को स्वीकार करने के लिए कहा, लेकिन मुझे पता था कि अंदर से वह भी नहीं चाहती थी कि मैं इसके लिए जाऊं। मैंने बाबा जी को उनकी सलाह के लिए धन्यवाद दिया। जैसे-जैसे दिन बीतने लगे, मेरे माता-पिता को मेरी नौकरी को लेकर चिंता होने लगी क्योंकि मैं “बेरोजगार” बैठा था। मैं बिल्कुल निश्चिन्त होकर नियमित रूप से मैं मंदिर जाता था क्योंकि मैं जानता था कि बाबा जी ने ही मुझे यह सलाह दी है और मेरे लिए जो उचित होगा वो वही करेंगे। लेकिन मेरी मां यह सोचने लगी के उनके अनिच्छा के कारन ही मैंने मर्चेंट नेवी के नौकरी को ठुकराया है। मैंने अपनी मां से कहा कि मैं भी नौसेना में शामिल नहीं होना चाहता हूँ और उन्हें आश्वासन दिया कि बाबा जी अवश्य ही मुझे कोई अच्छी नौकरी देंगे| हर बीतते दिन के साथ मेरी माँ की चिंता बढ़ती गयी पर मैं पूरी आस्था से बाबा जी के मंदिर जाता रहा। कुछ दिन बाद मैंने ‘इनफ़ोसिस’ में इंटरव्यू दिया। मेरा इंटरव्यू बहुत अच्छा रहा और मुझे लगा कि यह वही नौकरी होगी जो बाबा जी मेरे लिए ढूंढ रहे थे। इंटरव्यू के बाद उन्होंने हमें बताया कि जो भी उम्मीदवार इसमें पास हुए है उनको कुछ दिन बाद कॉल करेंगे। मैंने घर वापस आकर अपने माता-पिता को इंटरव्यू के बारे में बताया और यह भी बताया की बाबा जी की कृपा से यह बहुत अच्छा रहा। अब मैं कॉल का इंतज़ार करने लगा। मुझे अगले 15 दिनों तक कोई कॉल नहीं आया और नौकरी को लेकर हमारे बीच फिर से तनाव बढ़ने लगा। मेरे माता-पिता बहुत चिंतित थे और मुझे मर्चेंट नेवी में ना भेजने के निर्णय को अपनी सबसे बड़ी गलती मानने लगे। आखिरकार इंटरव्यू के एक महीने बाद, मैंने गुड़गांव में नौकरी की तलाश करने का फैसला किया। उसके लिए मुझे गुड़गांव जाने की जरूरत थी। मेरे लिए वहां रहकर नौकरी ढूंढना बहुत मुश्किल होता क्योंकि मैं उस शहर से ज्यादा परिचित नहीं था। लेकिन फिर भी भारी मन से मैंने अपने एक चचेरे भाई को फ़ोन किया जो गुड़गांव में रहता था और उसे अपनी परेशानी बताई।
उन दिनों मेरी आवाज़ में नौकरी को पाने की उत्सुकता स्पष्ट रूप से समझी जा सकती थी। मैं अगले दिन गुड़गांव के लिए निकलने वाला था, मेरी माँ ने बाबा जी से प्रार्थना की, “बाबा जी कुछ कृपा करो हम पर, इस्की नौकरी लगवा दो ” जैसे ही उन्होंने बाबा से यह प्रार्थना की उसके तुरंत ही बाद मुझे फोन आया। मैंने फोन उठाया और जो शब्द मैंने सुने, उसे सुनकर कुछ समय के लिए मैं स्तब्ध हो गए। यह इन्फोसिस से फोन था। मुझे इंटरव्यू में चुना गया था और उन्होंने मुझे कंपनी में शामिल होने के लिए कहा। फिर साईं महाराज ने मुझ पर और मेरे परिवार पर अपना आशीर्वाद बरसाया। उन्होंने मुझे इधर-उधर भटकने से बचाया और मुझे एक ऐसी नौकरी प्रदान की जिसकी मुझे कभी उम्मीद नहीं थी। मैं बहुत जल्द इसका अगला भाग लिखूंगा।
ॐ साई राम