पिछले भाग में, मैंने बताया था कि मैं कैसे INFOSYS में चयनित हुआ। अब मैं बाबाजी की लीला जारी रखूंगा। INFOSYS से कॉल आने से पहले एक बहुत अजीब बात हुई। एक बार जब मैं बहुत परेशान था कि मुझे नौकरी क्यों नहीं मिल रही, मैं उस समय साईं बाबाजी की साईं लीला पत्रिका में एक लेख पढ़ रहा था। मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा की यह लेख एक लड़के के बारे में था (जिनका नाम याद नहीं है) जिन्हें नौकरी नहीं मिल रही थी और जब वह बाबाजी के पास गया, तो उन्होंने उनसे मदद मांगी। वह बाबाजी से पूछता था कि उनकी नौकरी के लिए कौन सी जगह सबसे अच्छी है। बाबाजी हर बार “पुणे” कहते थे। जब भी उन्होंने बाबाजी से पूछा कि उनकी नौकरी के लिए सतारा या मुंबई कैसा होगा, तो बाबाजी कुछ बात करते और फिर कहते “पुणे”। वह बहुत भ्रमित हो गया कि बाबाजी ने हर बार पुणे क्यों कहा। एक दिन उन्हें पुणे की एक कंपनी से फोन आया और उन्हें नौकरी के लिए चुन लिया गया। इसके बाद उन्हें बाबाजी के बार-बार “पुणे” कहने की लीला के बारे में पता चला। बाबाजी के पास अपने भक्तों के भविष्य के बारे में बताने के लिए अपना अनोखा तरीका है। जब मैंने इस लेख को पढ़ा तो मुझे आश्वासन हुआ कि मुझे बहुत जल्द नौकरी मिल जाएगी लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पुणे में नौकरी पाऊंगा! अब मैं पुणे में हूं, और बाबाजी की कृपा और उनकी दिव्यता के अधीन हूँ। मैं अक्सर अब SHIRDI जाता हूँ और यह सब बाबाजी की कृपा के कारण है।
मेरा इन्फोसिस की ट्रेनिंग मैसूर में थी। इसलिए मैंने 9 जनवरी, 2008 को मैसूर के लिए प्रस्थान किया। मैं दिल्ली से ट्रेन (कर्नाटक एक्सप्रेस) में सवार हुआ और अपनी यात्रा शुरू की। मैं साईं सच्चरित्र को अपने साथ ले जा रहा था। यात्रा की शुरुआत में, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह मुझे मेरे बाबाजी के करीब ले जाएगी!!!! ट्रेन के मार्ग में कोपरगाँव रास्ते मे पड़ता है, जो शिरडी से सिर्फ 12-14 किलोमीटर दूरी पर है। जब ट्रेन ने महाराष्ट्र (संतों की भूमि) में प्रवेश किया, तो मैं उस स्थान की दिव्यता महसूस कर सकता था। मैं बाहर आया और अपनी बोगी के दरवाजे के पास खड़ा हो गया। साँझ का समय था और सूरज ढल रहा था जिससे परमानन्द की अनुभूति होने लागि। जैसे-जैसे समय बीतता गया, रात के अंधेरे ने उस इलाके को घेर लिया। आकाश साफ था जिसमें सितारे ऐसे लग रहे थे जैसे की वो श्री साईं बाबाजी का आशीर्वाद दे रहे हों। मैं वहाँ खड़े-खड़े बाबाजी के नाम का जाप करता रहा। कुछ देर बाद ट्रेन कोपरगाँव स्टेशन पहुँच गई।कोपरगाँव स्टेशन की अपनी विशिष्टता है, जो पूरा स्थान शांत महसूस होता है। स्टेशन के हर हिस्से पर बाबाजी की तस्वीरें लटकी हुई देखी जा सकती हैं। इस स्टेशन का उल्लेख कई बार साईं सतचरित्र में भी मिलता है। मैं वहां की शांति को देखकर बहुत रोमांचित था। साथ ही शिरडी इतनी पास थी कि मैं कोपरगाँव स्टेशन में भी कंपन महसूस कर सकता था। मैंने ट्रेन से बाहर कदम रखा और बाबाजी को वहीं से प्रणाम किया। फिर मैंने अपने माता-पिता को वहां से फ़ोन किया और उन्हें बताया कि मैं कोपरगाँव स्टेशन में हूं। उन्हें बेहद खुशी महसूस हुई। जब ट्रेन ने शिरडी को छोड़ा तो मेरी आँखों में आँसू थे, मैं बाबाजी से अलगाव महसूस कर रहा था और उनसे पूछ रहा था कि उन्होंने मुझे शिरडी में रहने की अनुमति क्यों नहीं दी जबकि मैं बहुत निकट था। लेकिन मुझे उस समय पता नहीं था, कि बाबाजी मुझे अपने करीब लाने के लिए मंच तैयार कर रहे थे !
अंत में मैं मैसूर पहुँच गया और मेरा प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) शुरू हो गयी। INFOSYS की ट्रेनिंग को सबसे कठिन माना जाता है। यह कंपनी की नीति है कि जो कोई भी इस प्रशिक्षण में उत्तीर्ण नहीं होगा उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। मैंने बाबाजी की कृपा से अपना प्रशिक्षण शुरू किया। इन प्रशिक्षण 4 महीने का था जिसे 2 भागों में विभाजित किया गया था (सामान्य और विशिष्ट, प्रत्येक 2 महीने का)। मेरी ट्रेनिंग अच्छी शुरू हुई लेकिन 1 महीने के बाद यह मेरे लिए काफ़ी मुश्किल हो गया। तैयारी के लिए लगभग शून्य समय था लेकिन अक्सर परीक्षण होते थे। मैं वहाँ पढ़ाई करते हुए पागल सा हो गया था।
फिर पहले 2 महीने के प्रशिक्षण (जेनेरिक) की अंतिम परीक्षा हुई । परीक्षा ठीक नहीं हुई और मैं असफल रहा। सिर्फ एक मौका बचा था। अगर फिर असफल हुआ, तो मुझे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। मैंने अपने छात्रावास के कमरे में बाबाजी की प्रार्थना करना शुरू कर दिया, साईं मंदिर (जो शहर में था) का दौरा करना शुरू कर दिया, बाबाजी के भजनों को सुनना शुरू कर दिया। मैं फिर से उसी परीक्षा के लिए उपस्थित हुआ। इस बार फिर मेरी परीक्षा ठीक नहीं हुई। मैं बहुत डर गया और बाबाजी से अपनी नौकरी बचाने की प्रार्थना की। जैसे-जैसे परिणाम का दिन आ रहा था, मैं अधिक डरता जा रहा था। अंत में, परिणाम से एक रात पहले मैंने बाबाजी की विभूति ली और तनाव में सो गया। सोते समय बाबाजी मेरे सपने में दिखाई दिए। वह अपनी दोनों भुजाओं को ऊपर किए हुआ मेरे पीछे खड़े थे और उनके धन्य हाथ मुझ पर आशीर्वाद बरसा रहे थे। अचानक, मैं उठा और मुझे यकीन था कि मैं पास हो जाऊंगा। फिर लगभग 12:00 बजे अच्छी खबर आई और मैंने उस परीक्षा को बाबाजी की कृपा से पास कर लिया था। यह सबसे कंपित करने वाला अनुभव था क्योंकि बाबाजी खुद मेरे सपनों में मेरे सामने आए और मुझे इतनी बड़ी चिंता से मुक्त किया।
अब प्रशिक्षण का दूसरा भाग शुरू हुआ और फिर से इसकी अंतिम परीक्षा अच्छी नहीं हुई और उसी तनाव ने मुझे घेर लिया। मैंने बाबाजी से प्रार्थना की कि मुझे इस परीक्षा मे उत्तीर्ण करें क्योंकि मैं फिर से पढ़ाई नहीं कर पाऊंगा और इस परीक्षा मे फैल हुआ तो नौकरी से निकाल दिया जाऊंगा। फिर से परिणाम से एक रात पहले मेरी हालत खराब हो गई। किसी तरह मैं सो गया और लो! मैंने फिर से वही सपना देखा। बाबाजी अपनी बाहों को ऊपर किए हुआ मेरे पीछे खड़े थे और उनका आशीर्वाद देता हुआ हाथ मेरी ओर था। जब मैं उठा, तो यह मेरे लिए एक अविश्वसनीय अनुभव जैसा था। मुझे बाबाजी ने फिर आश्वासन दिया कि मैं पास हो जाऊंगा। हाँ चमत्कार लगभग 2:00 बजे हुआ और मैं पास हुआ। बाबाजी की कृपा के कारण मैं अपने प्रशिक्षण को सम्पन्न कर पाया, जो बाबाजी के आशीर्वाद के बिना असंभव नहीं था। वास्तव में बाबाजी के बिना मेरे जीवन में सब कुछ असंभव है। अब, हम सबकी विभिन्न स्थानों पर प्लेस्मेंट (भेजा) होनी थी। मैं बाबाजी के पास कैसे आया, इसे मैं अगले भाग में साझा करूंगा। ओम साई राम।
श्री साई को नमन, सभी को शांति मिले