साई भक्त शरथ कहते हैं: नमस्ते हेतल जी। इस अद्भुत ब्लॉग के लिए धन्यवाद। वास्तव में साईनाथ के भक्तों के अनुभवों को पढ़ने के बाद हमें आनंद महसूस होता है और यह हममें भक्ति के भाव को बढ़ाता है। मैं इस ब्लॉग के द्वारा यह बताना चाहता हूं कि मेरे रूम मेट के साथ क्या हुआ और समर्थ सद्गुरु साईनाथ ने क्या सुंदर लीला दिखाई।
हम सभी छात्र कैंपस में एक कमरे में रह रहे थे और अपना मास्टर्स (स्नातकोत्तर) कर रहे थे। मैं अपना कमरा छोड़ने ही वाला था जब मेरा दोस्त यह कहते हुए आ कि उसे बहुत ठंड लग रही है और उसे जरूर बुखार हो गया है। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई तूफान आ रहा हो। वह उस समय काफी सामान्य लग रहा था और मुझे नहीं लगा कि इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। मैं चला गया और शाम को में लौटा तो उसे बहुत थका हुआ पाया। मैंने देखा कि उसे तेज बुखार भी था। वह काफी पीड़ित लग रहा था वह कराह रहा था और उसका तबीयत काफी गंभीर लग रहा था। उसकी आँखें काफी लाल थी। मैंने पूछा उसे किसी चीज़ की ज़रूरत है और वह मुझे आश्वस्त करने के लिए लेट गया कि वह थोड़े आराम करने के बाद ठीक हो जाएगा। मैंने भारत में अपने माता-पिता से वीडियो चैट में ऑनलाइन बातें करना शुरू किया। जब मैंने उनसे (मेरे माता-पिता) से बात पूरी की तो मैंने पाया कि वह लेता हुआ था और बहुत तकलीफ में था। मैं काफी चिंतित था और उसने मुझे कमरे में देखकर जाग गया। मैंने उससे पूछा कि उसे किस चीज की जरूरत थी और उसने मुझे एक चकोतरे के फल का बनाया हुआ पाउडर लाने को कहा जो पाचन के लिए अच्छा माना जाता है।
उसे इस संकट में देखकर मुझे लगा कि मुझे साईनाथ की उदी देनी चाहिए। मैं साईनाथ की उदी को हमेशा अलमारी में रखता हूँ। मैं ऊदी उसके पास ले गया और उसे अपने माथे पर लगाने के लिए कहा और उसके मुंह में थोड़ा सा लेने के लिए भी कहा। इसके बाद, वह बहुत थका हुआ लग रहा था, जैसे की वो शायद ही अपनी आँखें खोल सके। मैंने उससे बार-बार पूछा कि क्या मुझे उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए, क्योंकि वह एक बुरी स्थिति में था। उसने मना कर दिया, और जब मैंने उसे खाने बी बारे में पूछा तो उसने कुछ ओट्स (जई) बनाने के लिए कहा। मैंने कुछ ओट्स (जई) बनाया पर वह उसे नहीं खा सका। फिर उसकी इस दुर्दशा को देखते हुए मैंने उससे पूछा कि क्या उसे इलेक्ट्रोल (एक घोल जो निर्जलीकरण के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है और शरीर में लवण को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयोग किया जाता है) मैंने उसे इलेक्ट्रोल बनाकर दिया । वह अब भी वैसे ही था। वह कराहता और संघर्ष करता दिख रहा था। फिर उसने कहा कि वह बहुत उबकाई महसूस कर रहा है। मैं घबरा गया क्योंकि वह पहले से ही थका हुआ था और मुझे नहीं मालूम था क्या करना है, क्या उसे थपथपाना चाहिए, क्या वह और भी थक जाएगा। इस प्रकार परेशान होकर, मैंने उसे मतली के लिए एक टैबलेट लेने की पेशकश की। उसने हाँ कहा, और फिर जब मैं रसोई में गया, तो वह खड़ा था और सिंक के तरफ भागा और उलटी कर दिया और पूरा पेट साफ कर दिया। वह गिर गया, सिंक को पकड़ कर जैसे मानो वो चिपक गया हो और नल के नीचे उसका सिर था। वो उठने के लिए संघर्ष कर रहा था पर उसके शरीर में कोई बाल नहीं था। मैंने उसे पकड़ लिया और सोचने की कोशिश की कि आगे क्या किया जाए। फिर अचानक वो अपने आप उठा जैसे की उसके अंदर कोई ऊर्जा उतपन्न हो गया हो और वो अपने आप उठ खड़ा हुआ! फिर उसने मुझे आश्वासन दिया की वह बेहतर महसूस कर रहा है और खुद को धो कर साफ करने लगा। मैं विस्मय में था और नहीं जान पा रहा था कि वो पूरी तरह से सामान्य हो गया था या नहीं।
इस घटना के पहले वह कांप रहा था और कराह रहा था और बहुत थका हुआ लग रहा था। अब अचानक वह वापस सामान्य लग रहा था। वह खुद भी इस पर आश्चर्यचकित था और बहुत खुशी के साथ मुझसे कहता रहा, “मैं अब पूरी तरह से ठीक हूं”। वह कहता रहा, “मैं अभी ठीक हूं, टचवुड (नज़र न लगे)। ईश्वर महान है”। मैं सोचता रहा यह वास्तव में सदगुरु साईनाथ की एक लीला थी। आम तौर पर कोई ऐसा व्यक्ति जो उल्टी होने पर थका हुआ हो शरीर में तरल पदार्थ खो देता है और अधिक थका हुआ हो जाता है। लेकिन उसका बदलाव जबरदस्त था। वह सामान्य स्थिति में वापस आ गया था और उसकी पूर्व बेचैनी का कोई निशान नहीं था। मैंने कभी नहीं देखा, कि कोई व्यक्ति, जो एक के बाद एक थकावट से पेट को खाली कर दे और फिर तुरंत तंदुरुस्त लगने लगे। इससे मुझे एहसास हुआ कि यह सदगुरु साईनाथ की लीला के अलावा और कुछ नहीं था। इससे मुझे ऊदी की महत्व में दृढ़ विश्वास भी दिलाया।
मुझे खुद स्वास्थ्य समस्याएं हैं, लेकिन नियमित रूप से उदी का सेवन नहीं करता था। इस चमत्कार को देखकर मुझे यकीन हो गया कि अगर मैं साईनाथ की उदी लेता रहूँ, जो वास्तव में अमृत है, तो मैं उनकी कृपा से ठीक हो जाऊंगा।
साईनाथ की प्रशंसा हो और स्तुति हो। हमारे लिए चिकित्सा सहायता प्राप्त करना मुश्किल था क्योंकि हमारे पास खुद कार नहीं था और हम नहीं जानते थे कि कहां जाना है। मैं एक दोस्त को फोन करने पर भी विचार कर रहा था, जिसके पास एक कार था और मेरे दोस्त को डॉक्टर के पास ले जाना चाहता था लेकिन साईनाथ डॉक्टरों के डॉक्टर हैं। उनकी कृपा से ही सभी चीजें संभव हैं।
जय साईनाथ । हमेशा हम पर आपकी दया दृष्टि इसी तरह बनी रहे।
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ॐ साई राम