साईं भक्त आरती कहती है: नमस्ते हेतल, क्या आप कृपया ये अनुभव पोस्ट कर सकती है? हालाँकि मैं इसे सुबह ही भेजना चाहती थी ताकि यह बाबा के दिन ही भक्तों तक पहुँचे लेकिन मुझे थोड़ी देर हो गयी।
मैं एक अनुभव साझा करना चाहती हूँ जो मुझे शिरडी में हुआ। शिरडी जाने से एक हफ़्ते पहले मैंने एक वॉल्पेपर डाउनलोड किया जो कि सुनहरे रंग में था। मेरा मतलब यह कि उसमें स्वर्ण समाधि मंदिर था साई अपने स्वर्णिम सिंघासन पर बैठे हुए और एक स्वर्ण पोशाक पहने हुए हैं जिसके दोनो ओर ख़ूबसूरत फूलो की सजावट है। जब मैं शिरडी में ख़रीदारी कर रही थी तो मैंने वैसी ही एक तस्वीर ख़रीदने की सोची। कुछ दुकानो पर ढूँढने के बाद मुझे वैसी ही तस्वीर चाँदी के फ़्रेम में मिली। चाँदी का फ़्रेम आकर्षक नहीं लग रहा था क्यूँकि चित्र में सभी चीजें सुनहरे रंग में थी और चाँदी का फ़्रेम उनसे मेल नहीं खा रहा था। तो मैंने दुकानदार से पूछा क्या उनके पास यही तस्वीर दूसरे रंग के फ़्रेम में हैं, हो सके तो सुनहरा रंग। उन्होंने मुझे एक गहरे भूरे रंग के फ़्रेम का चित्र दिया जो की समान तो नहीं था पर चाँदी से बेहतर विकल्प था। हालाँकि मुझे वह तस्वीर सुनहरे रंग में ख़रीदनी थी और मैंने दुकानदार से पूछा की क्या किसी भी तरह से वह मुझे सुनहरे रंग में मिल सकती है? इसके लिए दुकानदार में कहा की यह सिर्फ़ दो ही रंगो में उपलब्ध है (चाँदी और गहरा भूरा )। हालाँकि मैं चीजों को चुनने में थोड़ा विकल्पी हूँ लेकिन मुझे पता था की वास्तव में यह एक लम्बे समय के लिए प्राप्त करना बहुत मुश्किल है। इसलिए मैंने उसे गहरे भूरे रंग में ख़रीदने का निश्चय किया। जब मैं उसके लिए पैसे दे रही थी तब पीछे से मेरी चचेरी बहन ने आकर उसी चित्र को ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। हमने दुकानदार से कहा की हम दोनो को गहरे भूरे रंग में वह चित्र दे दो। उनके पास सिर्फ़ एक ही फ़्रेम गहरे भूरे रंग का रखा हुआ था जो की मेरी बहन ने ख़रीद लिया। मैंने उसे कहा की मैं कुछ और ख़रीदूँगी। (भारी मन से)
हालाँकि मुझे बुरा लग था था की फ़्रेम पे इतनी चर्चा ओर समय बर्बाद करने के बाद भी कई उसे ख़रीद नहीं पायी जो मैंने सोचा था, लेकिन मैं इसके साथ ठीक थी। दुकानदार एक दयालु इंसान था और मेरे लिए बुरा महसूस कर रहा था। संभवतः उसे ये महसूस हो गया की मैं इस चित्र को बुरी तरह से पाना चाहती थी क्यूँकि मुझे उस दुकान की अन्य किसी भी चित्र को देखने की परवाह नहीं थी। जब हम दुकान छोड़कर जाने वाले थी तो दुकानदार ने हमें रुकने के लिए कहा और एक आदमी को बुलाया जो बाहर था (लड़का बाहर से आया था और उसे फ़्रेम की चर्चा नहीं पता थी) और उससे कहा कि अंदर जाकर देख लो की क्या दुकान में ऐसा ही एक और फ़्रेम हैं? और उससे कहा कि अगर वह गहरे भूरे रंग में उपलब्ध हो तो उसे ले आना। वह लड़का कुछ देर के बाद बाहर आया और कहा “ यह चित्र गहरे भूरे रंग में तो नहीं सुनहरे रंग में है आपको चाहिए तो बोलो”। वह दुकानदार मेरी ओर देखकर मुस्कुराया और कहा “ बाबा तो आपके साथ ही रहते है, सुनते हैं जो कहते हो”। मैं आश्चर्य चकित हो गयी और मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
इस तरह के अनुभव मुझे बाबा के आश्वासन की याद दिलाते है कि “ माँगो और वह दिया जाएगा”। उनकी उपस्थिति दिखाने का अनोखा तरीक़ा और यहाँ तक कि भक्तों की मामूली इच्छाओं की देखभाल करना (ठीक उसी सुनहरे फ़्रेम में चित्र का मिलना जैसा मैंने सोचा था) हमें मंत्रमुग्ध कर देता है।
ओम् साई राम
आरती खन्ना
© Sai Teri Leela – Member of SaiYugNetwork.com