साईं भक्त प्रिया: सदगुरु साईं बाबा के साथ कुछ भी असंभव नहीं है

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साईं भक्त प्रिया कहती है: मेरा नाम प्रिया है और मैं अपने बेटे सिद्दईश और पति चंदरू के साथ मेरीलैंड अमेरिका में रहती हूँ। हम सद्गुरु साई बाबा के प्रेम में पागल हैं। आप आगे पड़ेंगे तो समझ जाएंगे। बाबा के प्रति हमारे मन में असाध्य प्रेम, विश्वास और भक्ति है। मुझे समज नही आ रहा कि हमारे दिल में जो बाबा के लिए असीमित प्रेम और श्रद्धा है, मैं उसे कैसे व्यक्त करूँ। हम बाबा के कहे अनुसार ही चलते हैं और अपना जीवन व्यापन करते हैं। मुझे यह दृढ़ विश्वास हैं कि बाबा हर क़दम पर हमारे और हमारे परिवार वालों के साथ हैं, जिसे हम कई अनुभवो के द्वारा महसूस कर चुके हैं। हमने सद्गुरु साई बाबा के चरणों में पूर्ण समर्पण कर दिया है। आप विश्वास नहीं करेंगे कि बाबा किसी ना किसी तरीक़े से हमे रास्ता दिखाते रहते हैं। नीचे दिये गए चमत्कारों से आपको विश्वास हो जाएगा कि जो भी बाबा के शरण में आता है, बाबा हमेशा उसेक साथ रहते हैं और उसके हर छोटे से लेकर बड़े काम को पूर्ण करते हैं।

चमत्कार 1

क) मेरा भाई अमेरिका में एम.एस (M.S.) पड़ना चाहता था और बहुत कोशिश कर रहा था। एक वक्त तो हमे ऐसे लगा कि उसे इस वर्ष सफल नहीं हो पाएगा क्योंकि उसको 1600 में से 1010 ही अंक प्राप्त हुए थे। हम सोच रहे थे कि उसे फिर से परीक्षा देनी पड़ेगी, जिससे उसे बेहतर अंक प्राप्त होंगे और दाखिला मिलेगा। हम इस बात पर विचार कर ही रहे थे कि एक दिन (बाबा के गुरुवार के दिन) हमें सूचना मिली की उसका दाखिला हो गया है। हमें विश्वास नहीं हो रहा था पर बाबा ने अपने प्रेम से हमें चौंका दिया था।

ख) सिर्फ इतना ही नहीं, उसके अंक कम होने के बावजूद बाबा ने उसे छात्रवृत्ति दिलवाई, जिसके कारण उसे कुछ वृत्ती मिली और ट्यूशन फीस में भी छूट मिली। हमारे परिवार में माता-पिता सहित सभी अभिभूत थे और हमारे पास बाबा को धन्यवाद करने के लिए कोई शब्द नहीं थे।

ग) विश्वविद्यालय से प्राप्त जानकारी और निर्देशानुसार उसने अमेरिका जाने के लिए अपना टिकट करा लिया था। यात्रा के 5 से 6 दिन पहले जब उसने अपने अभिविन्यास के बारे में विश्वविध्यालय को फोन किया तो उसे पता चला कि उसकी अनुसूची बदल गई है और उसे जल्द ही आना पड़ेगा। उसने तुरंत नया टिकट कटाया और अमेरिका पहुँच गया। यदि वो इस अभिन्यास (ओरीएंटेशन) में भाग नहीं ले पता तो उसे र वसंत वाले अगले छमासी (सेमेस्टर) तक इंतजार करना पड़ता। हम बाबा के धन्य हैं जिन्होंने उसे विश्वविद्यालय से संपर्क करने की मानसिक सलाह दिया।

चमत्कार 2

एक बार मेरे पति के हाथ में एक समस्या हो गई थी और वो काफी दर्द से गुजर रहे थे। कोई भी इलाज काम नहीं कर रहा था और हम जान नही पा रहे थे कि उन्हे इस पीड़ा से कैसे मुक्त करें। हमारे घर में हमेशा बाबा का ऊदी रहती है। मैंने मन-ही-मन बाबा से प्रार्थना करते हुए उनके हाथों पर ऊदी लगाई। जिस तरह साई सत्चरित्र में बाबा के भक्त नारायण मोतीराम जानी ने बिच्छू के डंक के दर्द से पीड़ित मित्र को मुक्ति दिलाई थी, ठीक उसी तरह मेरे पति भी कुछ ही क्षण में दर्द मुक्त हो गए। सिर्फ बाबा के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास की जरूरत होती है।

चमत्कार 3

ठीक इसी तरह एक बार मेरे 15 महीने के बेटे को आधी रात में पेट दर्द हो गया और वो सो नहीं रहा था। मुझे याद था कि साई सतचरित्र में बाबा के ऊदी की महिमा बताई गई है और कैसे कई लोग पीड़ा से मुक्त हुए हैं। मन में दृढ़ विश्वास और आस्था के साथ मैंने अपने पुत्र के पेट पर बाबा को ध्यान करते हुए ऊदी लगाई। आप विश्वास नहीं करेंगे पर कुछ ही देर में मेरा बेटा शांति से सो गया।

चमत्कार 4

मुझे खुद को एक बार मूत्र संक्रमण हो गया था, जिसके कारण खून आ रहा था। जैसे कि हर घर में होता है मैंने भी बड़ों के कहे अनुसार कई घरेलु इलाज किए। जैसे कि जीरे का पानी पीना इत्यादि, पर इन सबसे कोई फायदा नहीं हुआ। मरता क्या न करता, मैंने बाबा की शरण ली और पानी में ऊदी मिलाकर पी गई। बाबा की कृपा से, सिर्फ आधे दिन में सब कुछ ठीक हो गया।

चमत्कार 5

आप तो जानते ही हैं कि वर्तमान अर्थव्यवस्था कैसी है। मेरे पति का प्रोजेक्ट अनुबंधन समाप्त होने वाला था और वो और परियोजनाओं की खोज में थे। हम बहुत परेशान थे और समझ नही आ रहा था कि कब क्या होगा। हमने सारा भार बाबा पर डाला और इस विश्वास के साथ खोजते रहे कि बाबा हमारे साथ हमेशा हैं और हमारी मदद करते रहेंगे। जैसा विश्वास वैसा फल, बाबा के आशीर्वाद से उन्हे जल्द ही एक और प्रोजेक्ट मिल गया और हम राहत की सांस ले पाए। मेरे पास हमारी दशा को समझने के लिए कोई भी शब्द नहीं बचे।

चमत्कार 6

हम जब भी मंदिर जाते थे हम बाबा के लिए पीले फूल ले कर जाते थे। एक दिन हमे पीले फूल नहीं मिले, बल्कि सिर्फ गुलाबी फूल ही मिले। दुखी मन से गुलाबी फूल खरीद लिए और बाबा से कहा कि आज यही फूल मिले हैं और मंदिर चले गए। अंदर जाकर फूल चड़ाए और आँखें बंद कर प्रार्थना करने लगे। मन गद गद हो गया और मेरे आँखों से आँसू बहने लगे जब हमने ध्यान दिया कि बाबा ने भी उस दिन गुलाबी पोशाक ही पहनी थी, जैसे कि वो बता रहें हों कि उन्हे गुलाबी रंग भी पसंद है।

चमत्कार 7

मैंने सुना था कि बाबा बैंगन पसंद करते थे, इसलिए मैंने हर गुरुवार को बैंगन से कोई न कोई व्यंजन बनाना शुरू किया और बाबा को अर्पित करने लगी। एक दिन जब मैं बैंगन की सब्जी बना रही थी तब मुझे लगा कि उसकी गुणवत्ता इतनी अच्छी नहीं थी। बाबा को अर्पित करके हम खाने लगे। जब हमने खाना शुरू किया तो बैगन बहुत कड़वा लगा। हमने बाबा का नाम लिया और फिर से खाने लगे। आप विश्वास नहीं करेंगे कि वो बैंगन की सब्जी अब मीठे लगने लगी थी। बाबा की लीला अपरंपार है। हमें विश्वास नही हुआ और हमारे पास कोई शब्द नही बचे।।

हम जानते हैं कि बाबा हमारे परिवार के एक सदस्य हैं और अभिन्न अंग हैं। वो हमारे परिवार को धीरे-धीरे, सम्मभालकर बड़ा कर रहे हैं। हम जानते हैं कि श्रद्धा और सबुरी दो आँखों के समान हैं, और हमें ये सब अनुभव बाबा पर हमारी श्रद्धा और सबुरी के कारण ही हुए।

© Sai Teri LeelaMember of SaiYugNetwork.com

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Hetal Patil Rawat
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