साईं भक्त सुमति कहती है: प्रिय साईं राम, मैं अपनी पिछले सप्ताह की शिरडी यात्रा के अनुभव को साझा करूँगी। मैं पिछले सप्ताह 15 अगस्त 2009 को शिरडी गई थी। चूँकि मुझे 19 तारीख को ड्यूटी ज्वाइन करनी थी इसलिए मैंने पैसेंजर ट्रेन से वापसी की टिकट कराई थी, जो कि 17 तारीख़ के 16:40 (शाम 4:40) पर शिरडी से निकलती है और 22:40 (रात 10:40) पर पुणे पहुँचती है, जिससे कि मैं दादर एक्सप्रेस पकड़कर 00:10 बजे तक पुणे पहुँच सकूँ।
लेकिन इंजन में किसी समस्या के कारण शिरडी की फास्ट पैसेंजर लेट हो गई, और समय निकला जा रहा था। मैं बहुत चिंता में थी और बाबा से प्रार्थना कर रही थी कि मेरी मदद करो, कि मै चेन्नई के लिए ट्रेन पकड़ सकूँ। लेकिन इस प्रार्थना के पहले मैं सोच रही थी कि मेरे पास उदी के ज्यादा पैकेट होते तो कितना अच्छा होता। मैं सोच रही थी क्योंकि मंदिर में एक ही पैकेट दिया जाता है, मैं बाकि साईं भक्तों को कैसे बाटूंगी जो उदी पैकेट की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उसी समय मेरी बेटी को बुखार भी था और मैं तनाव में थी कि कहीं उसे स्वाइन फ्लू तो नहीं हो गया है। मैंने बाबा के चरणों में समर्पण किया और कहा जो आपकी समाधि की सीढ़ी चढ़ता है उसे कोई परेशानी नहीं होती है। मुझे उन पर पूरा विश्वास था। मैंने तुरंत रेलवे स्टेशन से जिस होटल में मैं रुकी थी वहीं फोन किया (होटल साईं लीला में) और ड्यूटी पर उपलब्ध व्यक्ति से बात की। उसने कहा आप चिंता मत करिये मैडम, हम आपकी वापसी के लिए कैब भेज रहे हैं।
तुरंत हमें ऑटो मिला और हम होटल पहुंच गए। जैसे ही उसने देखा कि मेरी बेटी को बुखार है उसने एक बड़ा पैकेट उदी का दिया और कहा बाबा हमेशा आपके साथ रहेंगे। सचमुच मैं इतनी ज्यादा खुश थी और हम लोग पुणे 4 1/2 घंटे में ही पहुँच गए। हम 22.15 (रात 10:15) पर पुणे रेलवे स्टेशन पर थे। जैसा कि हम सब जानते हैं कि साईं हर रूप में हम सबकी मदद करते हैं, मुझे लगता है कि उन्होंने मेरी मदद उस होटल के कर्मचारी के रूप में की। तुरंत मैंने अपनी बेटी के माथे पर उदी लगाई। जब हम चेन्नई पहुंचे, तब तक वह पूरी तरह ठीक हो गई थी और अगले दिन बिना किसी समस्या के स्कूल भी गई।
ओम साईं श्री साईं जय जय साईं
साभार
सुमति