साईं भक्त ललित कहते है: में एक इंजीनियर हु और मेरा स्वयं का व्यापार दिल्ली में है| अप्रैल २००८ से में मेरे पारिवारिक समस्याओं और व्यापार में गिरावट रहने से मई परेशान रहता था|
मई १ को मैंने शिरडी का टिकट कराया (में पहले भी शिरडी जा चूका था)| मेरा परिवार आश्चर्यचकित रह गया अकेले न जा कर, मैं शिरडी ६ मई २००९ को पहुंचा| उस समय मैं डिप्रेशन से ग्रसित था| जब मैंने बाबा के दर्शन किये तो मैं आश्चर्यचकित रह गया जब बाबा ने मुझे देखा और मैं सब भूल गया|
९ मई २००९ को मैंने पात्र मित्रों को निःशुल्क वितरण के लिए साईं सतचरित्र की 10 पुस्तकें खरीदीं| जब मैंने होटल से चेक आउट किया, तो होटल मालिक ने मुझे फोन किया और मेरे साथ साईं बाबा के बारे में चर्चा की। मालिक ने मुझे साई सत्चरित्र रोज पढ़ने की सलाह दी और किसी वजह से ऐसा में न कर पाउ तो रोज अध्याय ११ पढ़ना चाहिए, जिससे मेरी समस्याओं का समाधान हो सके.
१० मई को में दिल्ली वापस आया और साई सत्चरित्र रोज पढ़ना शुरू कर दिए मेरी सारी समस्याओं का समाधान पुस्तक में था| अब मई साई सत्चरित्र ररोज पढता हु और मुझे नवीन चीज़ें प्राप्त हो रही है| अब में खुश हु, हालांकि बजाये मेरी समस्याएं अब भी वैसी ही है. परन्तु बाबा ने मुझे उन्हें उनका सामना करने को कहा है|
साई राम…ॐ साई राम…जय जय साई राम…
साई का दास
ललित शर्मा
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