साईं भक्त मणिकांत कहते है: जय साईं राम जय साईं राम जय साईं राम नमस्कार हेतल जी… मैं बी.टेक प्रथम वर्ष के अंत से श्री साईं सच्चचरित्र पारायण कर रहा हूं। मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपनी दादी के घर जाता था वही से मैंने इसकी शुरुआत की। तब से मैं प्रत्येक सेमिस्टर की छुट्टियों में पारायण करता रहा हूं। अब तक मैंने इसे 5 बार किया और प्रत्येक बार इसके पूर्ण होने पर मैं अपने घर के पास वाले साईं बाबा मंदिर में जाकर 108 परिक्रमा करता हूँ। इस प्रकार मैंने यह साईं सच्चचरित्र पारायण और लीलामृत पारायण करना शुरू किया|
अब मैं अपनी पूजा विधि बताना चाहूँगा, जो इस प्रकार है;-
गुरूवार से मैं यह पूजा विधि आरम्भ करता हूँ| पहले दिन (गुरूवार) को साईं बाबा के चित्र को स्थापित करके, पहले गणपति पूजा के साथ षोडश नाम पूजा करता हूँ इसके बाद साईं अष्टोत्तर नाम पूजा यह पूजा पूर्ण होते ही मैं अपना पारायण का पाठ प्रारंभ करता हूँ| हर दिन मैं गणपति जी की और साईं बाबा की नाम पूजा के बाद ही अपना पाठ करता हूँ|
- पहले दिन: (गुरूवार)
सफेद फूलों से पूजा और प्रसाद के लिए खीर (पायसम)
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दुसरे दिन: (शुक्रवार)
पीले फूलों से पूजा और प्रसाद के लिए इमली मिश्रित चावल (पुलीहोरा प्रसाद)
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तीसरे दिन: (शनिवार)
लाल फूलों से पूजा और प्रसाद के लिए उबले चने (चना प्रसाद)
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चौथे दिन: (रविवार)
गुलाबी फूलों से पूजा और प्रसाद में मूंग दाल और चावल
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पांचवे दिन: (सोमवार)
सफ़ेद फूलों से पूजा और प्रसाद में दही चावल (दध्वोदनम)
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छट्ठे दिन: (मंगलवार)
लाल फूलों से पूजा और प्रसाद में पोहा और गुड (अटुकुलू)
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सातवें दिन: (बुधवार)
पीले फूलों से पूजा और प्रसाद में दूध की बनी हुई मिठाई (पेडा)
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आठवें दिन: (गुरूवार)
सभी रंगों के फूलों से पूजा और दूध की बनी हुई मिठाई (कलाकंद) और इमली का चावल (tamarind rice) (पुलिहोरा प्रसाद)
शुरू के सात दिन मैं सुबह में पूजा करता हूँ पर आंठ्वे दिन मैं शाम में पूजा करने के बाद अपने पड़ोसियों या बच्चों को बुलाकर उन्हें प्रसाद बांटता हूँ|
इन सभी दिनों में मैं केवल एक समय ही भोजन करता जो की शुद्ध शाकाहारी होता हैं, चटाई पर सोता हूं। इस प्रकार जितना मुझसे संभव हो सके मैं अपनी पूरी यथा शक्ति के अनुसार साईं बाबा की पूजा करता हूं।
जय साई राम जय साईं राम जय साईं राम
विवरण:
- मैं इस तस्वीर की पूजा करता हूं जो मुझे उपहार में दी गई है।
- मेरी दोस्त ने शिर्डी से मुझे बाबा का चित्र, फुल, और चन्दन माला मेरे पारायण के आठवे दिन में भेंट की थी। मैं उस साईं बाबा की तस्वीर को भी सजाता हूं|
- चौकी (या टेबल) के ऊपर एक स्वच्छ कपडा बिछाकर उसे अच्छी तरह फूलों से सजाकर फिर चित्र को स्थापित करता हु|
- मैं साईं बाबा के चित्र के सामने हल्दी से बने हुए गणेशजी को रखकर कई सरे दीपक जलाकर फिर उनकी पूजा करता हूं।
- चांदी के छोटे से मंडप को फूलों से सजाकर फिर हल्दी के गणेश जी को उसपर रखता हूँ|
- धुप आरती और सहस्र नामार्चना के बाद पुलीहोरा का प्रसाद चढ़ाता हु।
- रुद्राक्ष माला से साईं बाबा 108 नामों का उच्चार करता हूँ|
यह बड़ा चित्र जिसकी मैं पूजा करता हूँ, यह एक कैलंडर के रूप में था जिसे मैंने फ्रेम करवाया है इसे मेरी दोस्त शिर्डी से लेकर आई थी और मुझे मेरे पारायण के उद्यापन के दिन ही उपहार के रूप में दिया| मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे बाबा स्वयं शिर्डी से मेरे घर इस चित्र के रूप में आकर मेरी पूजा स्वीकार की |
साईं बाबा की कृपा से मुझे अपने कॉलेज की हर परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त हुआ। मेरे तीसरे वर्ष के दूसरे सेमेस्टर के परिणाम मेरे तीसरे दिन की पूजा को था (20-05-2009) जिसमे मैंने 81% के साथ कॉलेज में टॉप किया था।
पूजा पूरी होने के बाद, मैंने घर के पास की साईं बाबा के मंदिर में दो दिन 108 प्रदक्षिणा की। दरअसल जिस दिन मेरे पारायण का उद्यापन था (27-05-2009) को मुझे श्री साईं सच्चचरित्र की सी.डी की मुफ्त कॉपी प्राप्त हुई इसीलिए मैं बहुत खुश था। इस प्रकार मुझे लगता है कि बाबा का तत्काल आशीर्वाद मुझे मिला|
मैं हमेशा साईं बाबा से प्रार्थना करता हूं कि सभी लोग और मेरे परिवार वाले हम सभी साथ-साथ शांति और खुशी से रहे!!!!
इसलिए हेतल जी मैं आपसे अनुरोध करता हूं की अपने ब्लॉग के किसी भी कोने में मेरी इस पूजा विधि और साथ में संलग्न की गयी तस्वीरें पोस्ट करे ताकि सभी साईं भक्तों को तत्काल बाबा की कृपा प्राप्त हो। यह पूजा विधान इतना शक्तिशाली है कि इसके परिणाम बहुत तत्काल मिलते है और मैंने कई बार इसका अनुभव भी किया है।
धन्यवाद हेतल जी।
जय साईं राम