Read in English: Sai Baba Always With Us – Experience Of Father and Daughter
अनाम साईं भक्त कहते है: प्रिय हेतल, ॐ साई राम! जय साईं राम! मैं आप सभी को इस साइट के लिए धन्यवाद करता हूँ। जब से मैंने इस साइट पर अनुभवों को पढ़ना शुरू किया तब से मैं नियमित रूप से हर दिन इस साइट पर आता हूँ और प्रार्थनाएँ भी करता हूँ। हलाकि मैं अपनी मातृभूमि से बहुत दूर यहाँ बैठा हूँ परन्तु इस साइट के माध्यम से मैं साईं बाबा के दर्शन का आनंद लेता हूं। मैं साई बाबा के साथ अपने अनुभव को साझा करना चाहूंगा। उन्होंने मुझे कई तरीकों से अपनी सर्वव्यापीता का अनुभव करवाया है।
मैं और मेरी बेटी साईं बाबा पर बहुत विश्वास करते हैं| मैं श्री साईं सच्चचरित्र की कुछ पंक्तियाँ प्रतिदिन पढ़ता हूँ और उन्हें पढ़कर मुझे लगता है जैसे बाबा मुझे उस दिन के लिए कोई सन्देश दे रहे हो, इसीलिए उन विचारों को मैं अपने दिनचर्या में और व्यवहार में लता। मेरी बेटी अपनी पढ़ाई के लिए एक छात्रावास (हॉस्टल) में रहती है, मुझे पता है कि केवल साईं बाबा ही उसका खयाल रख रहे हैं। एक बार मैं उससे मिलने गया था, काफी हसी मजाक, मस्ती और दिनचर्या के कार्य के बाद हम उस क्षेत्र की गलियों में घूमने निकले| नियमित खरीदारी की और मंदिर का दौरा भी किया। बात करते करते अचानक हमारा विषय साईं बाबा की ओर गया और मेरी बेटी कहने लगी कि साईं बाबा किसी न किसी तरह हमारे साथ होते ही है| उसने कभी उस क्षेत्र में शिर्डी साईं बाबा का कोई मंदिर नहीं देखा है।
वह क्षेत्र बहुत ही सुन्दर तरह से निर्मित था और सभी सड़के समानांतर और अच्छे से बनायीं गयी थी| मैं एक सड़क के कीनारे से चल रहा था जिसका रास्ता एक छोटी सी मंदिर की ओर जाता है, पर मेरी बेटी मुझसे बहस करते हुए कह रही थी की मैं पास के चौराहे से चालू ताकि हम मंदिर जल्दी पहुँच सके। मैंने उसकी बात मानने का फैसला किया ताकि मैं उसके साथ थोड़ा और समय व्यतीत कर सकू, जैसे ही हम चौराहे के पास से गुज़रे कुछ ही कदम दूरी पर हमने एक प्रवेश द्वार पर एक बड़ा बोर्ड देखा जिसमें शिर्डी साईं ट्रस्ट लिखा हुआ था और एक बड़ा साईं बाबा का चित्र भी था। हालाँकि दोपहर के भोजन (लंच टाइम) होने के कारन कार्यालय बंद था, लेकिन बाबा के दर्शन पाकर मेरी बेटी बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुई और उसने “ॐ साईं राम” का जोर से उच्चार किया| इससे मुझे भी बहुत खुशी हुई और सांत्वना मिली कि बाबा मेरी बेटी साथ हैं और उसका ख़याल रख रहे है।
कुछ दिन पहले मेरी बेटी ने मुझे बताया की वह थोड़ी परेशान है क्यूंकि कोई व्यक्ति है जो उसे बिना कारन परेशान कर रहा है| मैं उसके डर को महसूस कर पा रहा था जो उसके अंदर विकसित हो रहा था। मैंने उसे कहा की वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे और इन छोटी-मोती चीजों पर ध्यान ना दे क्योंकि पढ़ाई जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है, किन्तु भीतर से मैं भी चिंतित था उसके लिए, पर मैंने उससे अपनी चिंता व्यक्त नहीं की। मैंने उसे बताया कि मैं साईं सत्चरित्र का सप्ताह पारायाण करना शुरू करूँगा और उसके लिए प्रार्थना करूँगा| एक दिन मैंने उसे फोन करके कहा की वो रोज़ स्नान करने के बाद उदी ग्रहण करे, क्यूंकि उसकी परीक्षा भी चल रही थी। दूसरे दिन हमारी बातचीत के दौरान उसने मुझे बताया की उस हॉस्टल की एक नौकरानी उसके कमरे में आकर साईं बाबा के बारे में कुछ पूछ रही थी और उदी भी मांगी, मेरी बेटी ने उस महिला को थोड़ी उदी दी।
यह बात सुनते ही मैंने उसे ज़ोरों से डांटना शुरू किया और उसे कहा की उसके कमरे में किसी को भी अंदर आने की अनुमति ना दे और ना ही समस्याओं को आमंत्रित करे। मेरी बेटी ने बहुत शान्ति और दृढ़ता पूर्वक कहा, “इसमें परेशानी की क्या बात है उस महिला ने केवल बाबा के बारे में ही पूछा था और उदी मांगी थी, जिसे मैंने थोड़ी सी दी” और चिंता की कोई बात नहीं।
फिर पूरी रात मैं बाबा से प्रार्थना करता रहा कि “बाबा उसका पूरा ध्यान रखना”| अगले दिन सुबह मैंने जो साईं सत्चरित्र पढ़ा वो अध्याय 20 था उसमें वह घटना थी जिसमे “काका महाजनी की नौकरानी द्वारा दासगणू की समस्या हल की गई थी”। तुरंत ही मैं समझ गया की बाबा मुझे सांत्वना और संदेश दे रहे है और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे।
हे भगवन…! क्या अचरज की बात है जो नौकरानी मेरी बेटी के कमरे में आई थी वह और कोई नहीं बल्कि स्वयं बाबा थे| जिन्होंने केवल उदी मांगी और वहां अपनी उपस्थिति दिखाई।
उसी दिन शाम को मैंने अपनी बेटी को फोन किया और उसे बताया कि ऐसा हुआ| उसे भी यह जानकार बहुत खुशी हुई कि बाबा उसके साथ है और सबकुछ ठीक ही होगा| केवल हमें उनपर अटूट विश्वास रखना चाहिए|
आज तक मैं उसी सोच में हूं और मेरे दिमाग में बार-बार वही लाइनें आती हैं। हालांकि शिर्डी मीलों दूर है यहाँ से किन्तु वह हमेशा हमारे साथ है|
ॐ साई राम!