साईं भक्त सचिन कहते हैं: जय साईं राम हेतल बेहेन। यहाँ एक और अनुभव है जो बाबा जी ने मुझे रामनवमी मनाने पर दिया था। अपने आसपास बाबा जी के दिव्य उपस्थिति का अनुभव मैं हर समय महसूस करता हूँ। बाबा जी हम सभी को उनकी प्रेममयी छाया में रखें। जय साईराम
मुझे बाबा के द्वारा मिला एक अनुभव याद आया है जो मैंने पहली बार उनकी कृपा और आशीर्वाद से रामनवमी मनाई थी। मैं आप सभी के साथ इस अनुभव को साझा करने के लिए स्वयं को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।
साईं, यह शब्द हमारे जीवन से इसप्रकार जुड़ा है जो हमसे कभी अलग नहीं हो सकता है। इस शक्तिशाली शब्द में इतनी क्षमता है की इसके उच्चारण मात्र से ही यह हमारे तनाव और दुखों को समाप्त कर सकता है। हमारे आसपास जो कुछ भी होता है वह सब बाबा जी की कृपा से होता है। मैंने कई बार बाबा जी की लीला का अनुभव किया है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि, 2007 में राम नवमी पर पाए मेरे उस अनुभव को आप सभी के साथ साझा कर पा रहा हूँ।
मैं उसी अमृतसर के मंदिर में था जिसका उल्लेख मैंने अपने पिछले पोस्ट में किया था। तब रामनवमी थी और हम मंदिर की सजावट की व्यवस्था कर रहे थे। बाबा जी की मूर्ति में एक अलग ऊर्जा थी, एक ऐसी ऊर्जा जो किसी व्यक्ति को उच्च स्तर पर ले जा सकती है और बाबा के साथ एकाकार होकर परमानन्द का अनुभव कराए। उसी दिन मेरे भाई एच.डी.एफ.सी. बैंक में इंटरव्यू के लिए गए थे।
मैं सुबह से ही मंदिर में था, बाबा जी के स्थान को फूलों से सजा रहा था, तब ही मेरे दिमाग में एक विचार आया कि मैं स्वयं बाबा जी के लिए कुछ फूल, माला और कुछ फल खरीदूं। मेरी जेब में सिर्फ 147 रुपये थे। मैंने सोचा कि यदि मैं बाबा जी पर यह पूरा पैसा खर्च करूंगा तो मेरे पास कुछ भी नहीं बचेगा (यह मेरा स्वार्थ था,आशा करता हूँ कि मेरे दयालु भगवान साईं बाबा जी इस विचार के लिए मुझे माफ कर दें)। फिर मैंने सोचा कि कोई बात नहीं यदि मेरे पास कुछ भी नहीं बचेगा, पर मैं निश्चित रूप से बाबा जी के लिए फूल और फल अवश्य लाऊंगा। मैं बाजार जाकर फूल और फल 145 रुपये में खरीद लाया और वापस आकर मंदिर को सजाने लगा।
हम सभी यह जानते है की बाबा जी कहते थे कि यदि मैं अपने भक्त से कुछ लेता हूं, तो मैं उसे 10 गुना या 100 गुना वापस लौटाता हूँ। अब देखिए बाबा जी ने अपना वादा कैसे निभाया। आरती शुरू होने ही वाली थी कि तभी अचानक मेरे भाई का फोन आया। वे बहुत खुश लग रहे थे। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें एच.डी.एफ.सी. बैंक में नौकरी मिल गयी है। मैंने उनसे सैलरी के बारे में पूछा और जवाब मिलने के बाद मैं स्तब्ध रह गया क्योंकि उन्होंने कहा की 14,500रु है । हलाकि उनका कुल वेतन 16,000 था, लेकिन सब काट-छाँटकर 14,500 नेट उनको मिलेगा। यह सुनकर तो एक शब्द भी कहना कठिन था। एक लेहेर सी मेरे तन में दौड़ रही थी, फिर मैंने बाबा जी को साष्टांग प्रणाम किया और हमेशा हमारे साथ रहने के लिए धन्यवाद दिया। बाबा जी की यह लीला हमेशा मेरी यादों में बानी रहेगी कि कैसे मैंने बाबा जी को 145 रुपये दिए और कैसे उन्होंने मुझे उसके 100 गुना अधिक वापस लौटाया।
आप सभी से विनम्र निवेदन है – जब भी, जहाँ कहीं भी आपको कोई ऐसा व्यक्ति दिखाई दे जो आपसे पैसे, भोजन या कपड़े मांगे, तो उनकी मदद करें। हम कभी नहीं जानते कि बाबा जी हमारे सामने किस रूप में प्रकट होंगे। यदि हम गरीब लोगों की मदद करते हैं, तो यह हमें आर्थिक रूप से प्रभावित नहीं करने वाला है क्योंकि बाबा जी की कृपा से हम कम से कम इतना करने में सक्षम हैं। ऐसा करने से आपको लगेगा कि आप बाबा जी के और भी करीब आ गए हैं। जब कभी संभव हो तो हमें पशुओं को खिलाना चाहिए। हमें किसी से भी अपशब्द नहीं कहनी चाहिए। बाबा जी हर जीव में हैं | याद रखें, हम जहां भी जाते हैं, जो कुछ भी करते हैं, बाबा जी को सब कुछ पता है।
ॐ साई राम