Sai Baba Attended My Marriage – Experience of Meena से अनुवाद
एक और साईं भक्त मीना जी का अनुभव यहाँ प्रस्तुत है| उनका अनुभव पढने के बाद, मुझे साईं सत्चरित्र की यह घटना याद आ गई जो बाबा ने कहा था की, “देखो, अपना वचन पूरा करने के लिए, मैं अपना जीवन त्याग दूंगा, किन्तु कभी भी वचन नहीं तोडूंगा| मुझे किसी भी यातायात के साधन जैसे, तांगा, गाड़ी, ट्रेन या हवाई जहाज की आवश्यकता नहीं| जो भी मुझे प्रेम से पुकारता है मैं उसके सामने प्रकट हो जाता हूँ|” यह बाबा ने उस समय कहा था जब दहाणु के मामलतदार श्री बी.वी. देव ने अपनी माता के उद्यापन कार्यक्रम में बाबा को आमंत्रित किया था जिसमें लगभग 100-200 ब्राह्मणों का भोज होने वाला था| बाबा ने अपना वचन निभाया और समारोह में शामिल हुए, किन्तु देव जी का दुर्भाग्य था कि वे बाबा को पहचान न सके| यदि बाबा को पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ आमंत्रित किया जाये, तो हमें संदेह नहीं करना चाहिए| जहाँ पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होगा, बाबा वहीँ होंगे| जब भक्त स्वयं को सद्गुरु श्री साईं नाथ को पूर्णतः समर्पित करता है, तब बाबा भी यह सुनिश्चित करते हैं कि उस भक्त के सभी कार्यक्रम बहुत अच्छे से सफलता पूर्वक सम्पन्न हों| इतना ही नहीं बिना मांगे ही उसकी सभी कामनाएँ भी पूर्ण होती हैं| इस सम्बन्ध में ही साईं भक्त मीनाजी का मेल मुझे मिला था जिसे मैं पोस्ट कर रही हु|
प्रिय हेतल,
ॐ साईं राम,
आपके इस अद्भुत ब्लॉग को इतने अच्छी तरह से प्रबंध करने का प्रयास सराहनीय हैं| आप बहुत भाग्यशाली हैं कि बाबा ने इस कार्य के लिए आपको चुना है| बाबा के साथ मेरा अनुभव मैं आप सभी से साझा करना चाहती हूँ|
बाबा के आशीर्वाद से, मेरी शादी जनवरी 1999 में तय हुई| मैंने और मेरे पति ने बाबा के मंदिर जाकर अपने शादी का पहला कार्ड उन्हें दिया| मैंने उनसे कहा, “बाबा आपको मेरी शादी में आना ही है| मैं आपकी बेटी हूँ ना”| ऐसा उनसे प्रार्थना कर के हम घर लौट आए| मेरी शादी के दिन, मैं बहुत चिंतित थी| मैंने बाबा की एक छोटी फोटो अपने हाथ में रखी हुई थीं| कुछ ही देर में मेहमान आने लगे| मैं सारे उपहार और लिफाफे अपने भाई को रखने के लिए दे रही थी| बिदाई के बाद, मैं अपने ससुराल आ गई| तीन चार दिन के बाद, मैं उपहार और लिफाफे खोल ही रही थी की, मैं आश्चर्यचकित रह गई जब मैंने एक सफ़ेद लिफाफा देखा जिसके अन्दर रुपये थे और उस पर लिखा था “गंगा साईं के द्वारा”| आज भी वह लिफाफा मैं मेरे साईं सत्चरित्र पुस्तक में संभालकर रखती हूँ, इस स्मृति के साथ की बाबा मेरी शादी में आये थे| चूंकि मैं स्वयं बहुत व्यस्त थी उस दिन, इसलिए मुझे याद ही नहीं की यह लिफाफा मुझे किसने दिया| लेकिन बाबा उस दिन आये थे|
मैंने बाबा की कृपा को अपने जीवन में कई बार अनुभव किया है| 2001 में, मुझे दूसरा बच्चा होने वाला था| बाबा की कृपा से मेरी एक प्यारी बेटी है| दूसरी बेटी मुझे मंजूर थी, लेकिन मैं दिल से बेटा चाहती थी| मैंने बाबा से प्रार्थना की कि मुझे बेटा ही चाहिए| समय बीतता गया और मुझे विश्वास था कि बाबा मेरी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे| 20 जून 2002 को मुझे हॉस्पिटल में दाखिल किया गया| परन्तु शाम तक कई जटिलताएं हो गई जिससे डिलीवरी नहीं हुई| उस दिन गुरुवार था| मेरे पति हॉस्पिटल के बाहर गये| बाहर साईं बाबा का भंडारा चल रहा था| वे सुबह से भूखे थे| उन्होंने प्रसाद खाया मेरे लिए प्रार्थना की| जैसे ही वे वापस आये, मेरी डिलीवरी हो गई और बेटा हुआ| मैंने बाबा को बेटे के रूप में आशीर्वाद देने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद दिया| 2 वर्ष के बाद मैं अपने बेटे को मुंडन के लिए शिर्डी ले गई| बाबा जी मेरे लिए क्या हैं, यह कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं| मैं उनकी उपस्थिति हर जगह महसूस करती हूँ| वे हर एक के लिए हर जगह हैं|
शुभकामनाएं
ॐ साईं राम
मीना
Translated By Rinki
Transliterated By Supriya
© Sai Teri Leela – Member of SaiYugNetwork.com