इस पोस्ट का शीर्षक कुछ अजीब सा लगता है, है ना? लेकिन यह एक सच्चा तथ्य है। यह ठीक ही कहा गया है कि प्रकृति ही इश्वर है और यह हमारे सदगुरु साईं बाबा के लिए भी है। वह हर जगह मौजूद हैं, हमें तो केवल एक प्रेममयी दृष्टि की आवश्यकता है उन्हें देखने के लिए।
एक ही समय में दो इंद्रधनुष देखना एक बहुत ही असामान्य घटना है किन्तु यह एक सत्य तथ्य है। मेरा भाई; जो एक फार्मेसी का छात्र है, उसके माध्यम से इस घटना के बारे में कुछ जानकारी एकत्र कर पाया हूं। उसने कहा कि दो इंद्रधनुषों में से एक को प्राथमिक इंद्रधनुष और दूसरे को द्वितीयक इंद्रधनुष कहा जाता है। द्वितीयक इंद्रधनुष प्राथमिक इंद्रधनुष की तुलना में थोड़ा हलके रंग का होता है और रंगों का क्रम भी विपरीत होता है। यह प्रकाशिकी किरण (ray optics) के सिद्धांत पर आधारित है – जो की अपवर्तन और आंतरिक विघटन है । अब इस ई-मेल को पड़े जहाँ उन्होंने अपने अनुभव को भी इसी सवाल के संदर्भ में बताना शुरू किया।
क्या आपने कभी एक साथ दो इंद्रधनुष देखे हैं?
यह घटना लंदन की है जो पिछले अगस्त में हुई थी। लंदन में मैं नया होने के कारन यह नहीं जनता था की साई केंद्र कहा स्थित है और इंटरनेट पर इस बारे में पता लगते हुए मैं एक वेबसाइट पर पोहचा, जिसमे दिखाया गया था की शहर के उत्तरी भाग में एक केंद्र का स्थान है। मेरी मित्र और मैंने गुरुवार शाम को पश्चिम लंदन से ट्यूब ली और लगभग एक घंटे की यात्रा के बाद हम एक ट्यूब स्टेशन पर उतर गए जहाँ से हमें एक बस पकड़नी थी जो हमे साई केंद्र तक पोहचती।
काफी समय तक हल्की बारिश होती रही और हम ट्यूब स्टेशन पर ही 10 मिनट तक रुके रहे। फिर हम उसी हलकी बारिश में भीगते हुए बस स्टॉप तक पहुँचे। बस स्टॉप पर पहुचते ही हमने आकाश की ओर देखा जहाँ आकाशव्रत में एक सुंदर और राजसी इंद्रधनुष था, मैंने अपनी मित्र से पूछा कि क्या उसने कभी आकाश में एक साथ दो इंद्रधनुष देखे हैं। जवाब निश्चित रूप से “नहीं..था। किन्तु क्या यह संभव है?” चलो देखते हैं। मैंने बाबा से प्रार्थना की के हमारे लिए आकाश में दो इंद्रधनुष दिखाएँ।
पर कुछ देर बाद बस आ गई और हम उसमें सवार हो गए, लेकिन जब हम उस स्थान पर पहुँचे, तो हमने पाया कि साई सेंटर का कोई नामो-निशान ही नहीं था, केवल एक बोर्ड था जो दिशा दिखा रहा था| हमें जो एकमात्र सार्वजनिक बिल्डिंग मिला वह एक स्कूल था जो कि बंद था, क्यूंकि उस समय शाम के 6 बज रहे थे । उस इलाके में किसी को भी इस तरह के केंद्र का कुछ पता नहीं था। लगभग एक घंटे की खोज के बाद भी हमें अपने प्यारे बाबा के दर्शन न करने पर निराश होकर वापस लौटना पड़ा।
जैसे ही हम वापस ट्यूब स्टेशन पर पहुँचे मैंने मन ही मन बाबा से पूछा, उन्होंने हमें दर्शन क्यों नहीं दिए। क्या वह नहीं चाहता थे कि हम उनके दर्शन करे? मेरे मन में यह विचार चल ही रहे थे कि तुरंत ही मेरी आँखे खिड़की के बाहर के दृश्य की ओर गयी। जैसे ही मैंने बाहर देखा, मेरा दिल जोरो से उछल पड़ा- मैंने देखा की आकाश में दो इंद्रधनुष थे| यह दृश्य देख कर हम यह समझ गए कि बाबा ने हमारे लिए स्वयं को प्रकट किया था और हमें यह विश्वास दिलाया कि वह वास्तव में हमारे साथ थे, बावजूद इसके कि हम उन्हें केंद्र में नहीं देख पाए।
वापस लौटने के बाद मैंने दो इन्द्रधनुषों को देखने की संभावना पर जाँच की लेकिन यह पाया कि दो इन्द्रधनुषों का सामान्य तौर पर दिखना दुर्लभ है, हमने केंद्र के स्थान की भी जाँच की और पाया कि स्कूल में रविवार को ही भजन सत्र आयोजित किए जाते थे इसीलिए हम उस दिन साई सेंटर के किसी भी साइन को देख नही पाए क्यूंकि हम गुरूवार को गए थे।
जो तस्वीर इसमें संलग्न की गयी है वह उस दिन की है। यह द्वितीयक इंद्रधनुष फोटो में तो उतना स्पष्ट नहीं दिख रहा है लेकिन हमें वह बहुत स्पष्ट दिख रहा था।
धन्यवाद्।