They Are My Brother And Sister-In-Law Says Shirdi Sai Baba – Sai Devotee Dhara से अनुवाद
हम सभी जानते हैं कि जो भी भक्त शिर्डी जाते है, शिर्डी साईं बाबा उन सभी से मिलते हैं। वे शारीरिक तौर पर मिलने न भी आ पायें, तो किसी के साथ लीलाएं करते हैं तो किसी के स्वप्न में आते हैं। हाल ही में हमारे पारिवारिक मित्र से बाबा व्यक्तिगत तौर पर मिलने आये और उन्हें शिर्डी छोड़ने के पहले ही वह दिया, जो वे चाहते थे।
जैसा मैंने पिछले पोस्ट में लिखा था कि मैं इस वर्ष दीवाली मनाने शिर्डी गई। हमारे पारिवारिक मित्र का परिवार (पति, पत्नी, दो बच्चे और माँ) भी दिवाली मनाने शिर्डी आये थे। वे दिवाली के दो दिन पहले ही शिर्डी पहुंचे। उन दिनों शिर्डी में ज्यादा भीड़ नहीं होती थी। उन्हें तीन दिनों तक बहुत अच्छे दर्शन हुए। परिवार के सभी सदस्य साईं बाबा के परम भक्त थे। वे लगभग हर महीने शिर्डी जाते हैं।
यह उन लोगों की आदत है कि शिर्डी छोड़ने से पहले समाधि मंदिर से एक हार लेकर कार के सामने लगाते हैं। यह एक तरह से बाबा से प्रार्थना होती है कि रास्ते में सभी की रक्षा करें और बाबा से विनंती होती है कि वे उनके साथ ही चलें।
इस बार उन्हें दिवाली के अगले दिन वापस निकलना था। सुबह से ही दर्शन के लिए भारी भीड़ थी। उन लोगों ने लगभग सुबह 11बजे निकलने का निश्च्य किया था। लेकिन निकलने से पहले उन्हें समाधि मंदिर से बाबा का हार चाहिए था। भीतर पहुँचने का कोई रास्ता न था, और यदि भीतर पहुँच भी जाते तो वापस निकलने तक दोपहर हो जाती। इसलिए वे लोग असमंजस में थे की अब क्या करे। उनके पति समाधि मंदिर के बाहर खड़े होकर बाबा से अनुमति ले रहे थे और क्षमा भी मांग रहे थे कि इस बार हार नहीं ले जा पा रहे हैं (या यू कहें कि बाबा को साथ नहीं ले जा पा रहे हैं)। तभी पीछे से एक सिक्यूरिटी गार्ड आया। उसने पूछा
“ दर्शन करने की इच्छा है क्या?”
उन्होंने तुरंत कहा “हाँ”।
सिक्यूरिटी गार्ड ने यह भी पूछा “ तुम्हें हार चाहिए क्या?”
उन्होंने कहा “यदि आपके पास एक अतिरिक्त हार तो कृपया मुझे दे दो। मुझे बड़ोदा वापस जाना है और साईं प्रसाद भी चाहिए”
सिक्यूरिटी गार्ड ने उनके साथ चलने को कहा।
उसी समय उनकी पत्नी भी आ गई और सिक्यूरिटी गार्ड ने दोनों को अपने साथ बगल वाले दरवाजे से समाधि मंदिर में प्रवेश कराया। एक और सिक्यूरिटी गार्ड ने उन्हें रोका, तब उसने कहा “हे माझे भाऊ आणि वाहिनी आहे ” यानि ये मेरे भाई और भाभी हैं। सिक्यूरिटी गार्ड के साथ वे दोनों भीतर गए और बाबा के ठीक सामने पहुँच गए। दोनों ने हाथ जोड़े और इतनी भरी भीड़ के बावजूद शांतिपूर्ण दर्शन किये। दोनों ही बाबा की इस लीला पर बहुत ही खुश हुए और खूब सारा ह्रदय से धन्यवाद दिया। सिक्यूरिटी गार्ड ने एक हार और उदी के कुछ पैकेट भी दिए। वह उन्हें और भी पैकेट दे रहे थे, लेकिन इन्होंने मना कर दिया कि हमारे पास काफी उदी है।
तब सिक्यूरिटी गार्ड उनको विदा करने उनके साथ कार तक आये। रास्ते में उन्होंने बताया कि वे कई सालों से शिर्डी में ही रहते हैं। वे लोग कार के पास पहुंचे जहाँ बच्चे और माँ बैठे थे। सिक्यूरिटी गार्ड ने भक्त की माँ से कहा कि “आपका पुत्र और पुत्र-वधु बहुत ही दयालु हैं”। कुछ ही मिनटों में एक व्यक्ति दूसरे को कैसे पहचान सकता है !!! शिर्डी में भक्तों की भरी भीड़ में भला कौन इतने शांतिपूर्ण दर्शन का प्रबंध करता है!!! यह सचमुच बाबा की लीला है या स्वयं बाबा है जो अपने भक्तों की आवश्यकता का ध्यान रखते है और शिर्डी छोड़ने से पहले की इच्छा का भी…
श्री सद्गुरु साईं नाथ महाराज की जय !!!