भगवान साईं बाबा ने जाप के लिए स्वयं अपने भक्तों को चुना – साईं भक्त अर्चना



साईं राम, कल के साईं भक्त अर्चना जी के लेखन का संपादन (editing) करते वक़्त मेरे रोंगटे खड़े हुए थे और वह काफी रोमांचक था। अब और अधिक दिलचस्प तथ्यों को पढ़ें कि कैसे भगवान साईं बाबा ने स्वयं जाप के लिए अपने भक्तों को चुना।

जैसा कि मैंने बताया था कि बाबा ने पहले से ही सबकुछ तय कर रखा है। उदाहरण के लिए: पहर कि बारे में (पहले समय को पहर से नापा जाता था) जब मैंने यह शब्द सुना इसका वास्तविक अर्थ मुझे नहीं पता था। यहाँ लिखने के दौरान ही मैंने, गूगल में से इसका अर्थ ढूंड कर निकला आम तौर पर एक दिन में 8 प्रहार होते हैं। किन्तु इस कलियुग के लिए – बाबा ने सबकुछ सरल कर दिया, उन्होंने मुझे केवल 4 पहर नामजप करने के लिए कहा, बाद में वर्षा जी के माध्यम से इसे 5 पहर में बदल दिया, क्यूंकि बाबा ने उन्हें संकेत किया दिया था कि “जब 4 पहर कर रहे हो तो आखिरी पहर यानी मध्यरात्रि का समय भी क्यूँ छोड़ा जाए”। तो आखिरकार उनके भक्तों के लिए 5 पहर करने का निश्चय हुआ (सुबह, दोपहर, शाम, रात और मध्यरात्रि) और केवल एक ही दिन में सब कुछ निश्चित हो गया क्यूंकि मैं 16 दिसंबर को शिर्डी जा रही थी तो मैंने कहा था कि मैं बाबा से अंतिम अनुमति ले लुंगी और उसी के अनुसार “नाम सप्ताह ” शुरू करेंगे।

हमारे नाम जाप के पहर की सूची इस प्रकार हैं:
(1) सुबह के जाप का समय (4am – 11:55 am) के बीच कभी भी (2) दोपहर के जाप का समय (12noon – 3:55pm) के बीच कभी भी (3) शाम के जाप का समय (4pm-6:55pm ) के बीच कभी भी (4) रात के जाप का समय (7pm-11:55pm) के बीच कभी भी (5) मध्यरात्रि के जाप का समय (12:00am -3:55am) के बीच कभी भी हालांकि 5 वें पहर के लिए, हम दोनों चिंतित थे क्योंकि मध्यरात्रि में सभी के जप करने की संभावना कम थी, इसलिए हमने सोचा कि यदि कोई नहीं करेगा तो हम दोनों करेंगे, किन्तु ग्रूप में पोस्ट नहीं करेंगे। और इसीलिए सोने से पहले मैंने बाबा से पूछा की “बाबा यदि किसी कारण से हम दोनों मध्यरात्रि का जप करना भूल गए तो कौन करेगा, तब उन्होंने कहा, “चिंता मत करो, मैं सब संभल लूँगा”।

15 दिसम्बर की सुबह को मैंने एक सुंदर सपना देखा जहां बाबा स्वयं मुझ से दक्षिणा मांग रहे थे (ठीक उतने ही पैसे मांगे जितने हमे उन्हें देने है) फिर उन्होंने मुझे और मेरे पति को उनकी चिलम दी और उन्होंने मेरे गले में एक ताबीज भी बंधी और उसके बाद मैंने एक महिला को देखा जिसके सर पर टोकरी थी फिर उसने टोकरी को निचे रखकर उसमे से बाबा की प्रतिमा को बाहर निकाला और प्रतिमा को बीच में रख कर उसके चारों ओर घूमकर नृत्य करने लगी। इसके बाद मैं नींद से जाग गयी तब मुझे ऐसा लगा जैसे इस सपने के माध्यम से बाबा बता रहे है कि वे इस “नाम सप्ताह” के लिए बोहुत खुश हैं।

• अगले दिन 16 दिसंबर को मैं शिर्डी गयी (16 और 17 दिसंबर को मैं वही थी) और यह मेरे जीवन की सबसे सुन्दर यात्रा में से एक थी…(मेरे अनुभव के बारे में मैं किसी और दिन पोस्ट करुँगी)। शिर्डी में मैंने बाबा से कहा यदि आप गुलाबी और नीले रंग के साथ हरे रंग के वस्त्र धारण करोगे, तो उसे मैं अपनी सारी इच्छाओं और इस नाम जाप के लिए आपका स्वीकारात्मक उत्तर समझूंगी। फिर बाबा ने वैसा ही किया (और उन्होंने गुलाबी, नीला और हरे रंग के वस्त्र पहने हुए थे)अंततः मुझे उनसे अंतिम पुष्टि भी मिल गयी।

उनके अनुसार हमने 18 दिसंबर (1 + 8 = 9 बाबा की संख्या), जिस दिनांक को बाबा ने ही निश्चित कर रखा था, को नाम सप्ताह ग्रूप का गठन किया और बाबा ने इसे एक खुले दरबार जैसा रखा (जहां कोई भी बिना किसी प्रतिबंध के शामिल हो सकता था और छोड़ भी सकता था) इसमें किसी तरह का कोई नियम नहीं था और जिसकी बाबा स्वयं देख-रेख कर रहे थे। उस समय हम ये नहीं जानते की यह पूरे विश्व में प्रसारित हीगा।
दरअसल बाबा का तो उद्देश्य है कि हमें बुरी आदतों और नकारात्मक विचारों (जैसे क्रोध, ईर्ष्या, लालच, घृणा, अहंकार, तुलना गपशप) इन सभी से बचकर अच्छी आदतें विकसित कर सके, क्योंकि यह हमारे बुरे कर्मो को शुद्ध करने का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने मुझे किसी दुसरे से पूछने का मौका ही नहीं दिया और जैसा कि “ॐ साईं राम” 11 माला का जप (“Om Sai Ram” 11 Mala’s chanting)करने के लिए हुआ था, इस ग्रूप को बनाते समय भी स्वयं बाबा ने ही अपने भक्तों को चुना। नाम सप्ताह में भी वे ही अपने भक्तों को चुनेंगे और उन पर नज़र रखेंगे। बाबा कहते है की “जो भी ग्रूप में हैं और जाप नहीं कर रहे हैं, तो भी रहने दो क्यूंकि “मैं केवल अपने भक्तो को उनके कर्म शुद्ध करने का मार्ग दिखा सकता हूं, किन्तु यदि वे अपनी स्वतंत्र इच्छा से दुःख और पीड़ा को भोगना चाहते है तो मैं कर ही क्या सकता हु, यह उनकी स्वयं की जीवन यात्रा है। जिन्हें मैं इस कार्य में सम्मिलित करना चाहता हूं, वे स्वचालित रूप से तुमसे संपर्क करेंगे, तुम्हे किसीको पूछने की आवश्यकता नहीं है”। इसलिए मेरे पास कोई विकल्प ही नहीं था, क्योंकि बाबा स्वयं ही उनके कार्य के लिए भक्तो आकर्षित करते है।

• मेरा मानना है कि 2018 “कलियुग” के बजाय “साई यूग” है, विशेष कर साईं भक्तो के लिए। तो इस “साईं युग” में बाबा ने नियमों को बोहुत ही सरल और आसान रखा है। जैसे की हम नाम का जाप कभी भी और कही भी कर सकते है अर्थात यात्रा करते समय, भोजन तैयार करते समय, टीवी देखते समय, काम पर, बाजार में या दिन भर के किसी भी गतिविधियों के दौरान हम जप कर सकते है, क्योंकि हमारे बाबा तो हर जगह हैं, वह समय से परे है, जब भी और जहा भी हम उन्हें बुलाएँगे, वे वही उपस्थित होंगे और हम भी जानते हैं कि हम केवल शरीर नहीं बल्कि उससे पहले हम “साईं की आत्मा” हैं और आत्मा हमेशा शुद्ध होती है। हमें केवल उनका चमत्कारी नाम “साईं-साईं” का जप करके उनसे प्रार्थना करनी है और क्षण भर में ही उनका चमत्कार शुरू होता है।

सत्य ही है उनके वचन, चमत्कार भी हुआ। “नाम सप्ताह” के दौरान जो उन्होंने लीला रची उसे मैं साँझा कर रही हु।



एक दिन मुझे “नाम सप्ताह ” से संबंधित एक प्यारा संदेश मिला (और यह बाबा की ओर से भी एक पुष्टि थी कि हम नाम सप्ताह के द्वारा सही दिशा में बढ़ रहे है) उस सन्देश में कुछ ऐसा था की जहां भक्त “नाम सप्ताह” कर रहे थे बाबा स्वयं वहां उपस्थित थे (मैं भी ऐसा ही महसूस करती हु जाप करते समय) और उस सन्देश को मैंने कुछ ग्रूप में फ़र्वोर्ड कीया विशेषकर खिचड़ी ग्रूप में। फिर स्वचालित रूप से ही “नाम जाप” और उसके लाभ को लेकर वार्तालाप शुरू हुआ और फिर “नाम सप्ताह” पर भी सभी ने चर्चा की। और जल्द ही कई भक्तों ने स्वयं ही हमसे संपर्क किया जिन्हें बाबा ने चुना था। और जल्द ही विभिन्न समय क्षेत्र (अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि) इन सभी देशो से भक्तो ने भाग लिया। इस प्रकार मध्यरात्रि (5वें प्रहार) की जो समस्या थी वह सुलझ गयी। जैसे समूह बनने से पहले ही बाबा ने स्वयं कहा था की “चिंता मत करो मैं सब संभाल लूँगा”।

सबसे अच्छी बात तो यह थी की श्रीदेवी जी, शालिनी जी, सुधा जी और उनके बच्चे भी बाबा का जाप कर रहे थे यह कितना प्यारा अनुभव है, जो उस कथन को सत्य करता है जो बाबा ने वर्षा जी के सपने में आकर कहा था की(बच्चे भी सम्मिलित हो सकते है )

25 दिसम्बर को बाबा ने अपनी आँखों का रंग बदल कर फिर से आश्वासन दिया कि वे “नाम जाप” करते समय हमारे साथ ही रहेंगे

 

16th दिसम्बर को जब मैं शिर्डी गयी थी तब मैंने वाहा से बाबा की एक तस्वीर खरीदी जो (3 नं. चित्र ) दरअसल यह तस्वीर मुझे बोहत प्रिय है क्यूंकि इस तस्वीर के द्वारा ही बाबा मेरे जीवन में आए (मेरी मित्र ने मुझे यह उपहार के रूप में दिया था) इसीलिए यह मेरे लिए खास है। इसके फ्रेम के अन्दर पानी चला गया था और यह काफी पुराना भी हो चूका था इसीलिए मैंने शिर्डी से बाबा की ठीक वैसी ही दूसरी तस्वीर खरीदी ।

क्रिसमस के दिन, उस तस्वीर को मैंने पूजा के स्थान में रखा और उस तस्वीर को देखकर मैं जाप कर रही थी, पर मुझे उनसे वो जुड़ाव (connection) महसूस नहीं हो रहा था, क्योंकि मैं हमेशा अपने बाबा की आंखों में देखकर जप करती थी और नई तस्वीर में बाबा की आंखें सफेद जैसे थे, उनकी पुरानी तस्वीर जैसे काली आँखें नहीं थे। (चित्र 1) यह एक नमूना चित्र है जो मैं अभी शिर्डी से लइ थी जिसमे उनकी आँखे थोड़ी सफ़ेद थी), इसलिए कुछ समय बाद मैंने पुरानी तस्वीर (चित्र -2) को नई तस्वीर के साथ रखकर अपना जप करना शुरू किया और कहा “आओ साईं “जो मैं आम तौर पर बाबा की तस्वीर को देखते हुए जाप करती हु। तभी मैं मन में बाबा से कह रही थी आपकी दोनों तस्वीर तो एक जैसी ही है, किन्तु आपकी पुरानी तस्वीर (चित्र -2) में आपकी आंखें और सब कुछ देख कर प्रतीत होता है जैसे आप मेरे साथ ही बैठे हो और यह नइ तस्वीर सिर्फ एक साधारण तस्वीर जैसी लग रही है, इसमें आपकी उपस्थिति महसूस नहीं हो रही है। इस नयी तस्वीर को देखिये, आप सब भी आंखों में अंतर देख सकते है।

उन दोनों तस्वीरो को देखते हुए मैंने अपना “आओ साईं ” का जाप जारी ही रखा। अचानक मुझे ऐसा लगा की यह नयी तस्वीर में उनकी आँखे बिलकुल पुरानी तस्वीर जैसे ही लग रही थी (आँखें सफ़ेद से काली हो गयी थी) और आँखों को देख कर मैं पेहचान ही नहीं पायी की कौन सी नयी है और कौन सी पुरानी। मैंने महसूस किया कि बाबा दोनों ही तस्वीरो में उपस्थित थे। वह अपने वचनों पर हमेशा खरे उतारते है जो यह है की यदि तुम मुझे देखते हो, तो मैं भी तुम्हे देखता हूं” (if you look to me, I look to you)

6 जनवरी को बाबा ने वर्षा जी के पति को मौत के मुह से बचाया, क्योंकि यह हिट-एंड-रन केस था, दुर्घटना के बाद उनके पति को सिर का फ्रैक्चर हो गया और वहाँ ख़ून जाम गया (blood clotting या ब्लड कलोटिंग), लेकिन बाबा ने उनकी हर चीज़ का ख्याल रखा, वह पहले से ही अस्पताल के कमरे के बाहर तस्वीर के रूप में उपस्थित थे, जिसमें वे ख़ुद ही थे, और सभी सीटी स्कैन रिपोर्ट सामान्य आइ, ब्लड कलोटिंग का कोई निशान नहीं था, यहां तक कि डॉक्टर भी हैरान हो गए थे क्यूंकि ब्लड क्लाटिंग को ठीक होने में काफी समय लगता है। बाबा ने स्वयं वर्षा जी को यह विचार दिया था की (समस्याओं के कारण जाप को नहीं छोड़ना) और वर्षा जी को कहा कि वह जाप को जारी रखे और अपने पति के सिर के पास बैठ कर “ॐ साईं राम” लिखती रहें। बाबा की कृपा से वह गुरुवार को डिस्चार्ज हो गए ।

उनकी लीला यही समाप्त नहीं हुई। आकाश जी (एम.पी-115) अपने IAS की मुख्या परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, रजनी जी (एमपी -43) इन्होने सपने में बाबा की पालकी देखि जबकि अब तक उन्होंने कभी भी बाबा के सपने का अनुभव नहीं किया था) और अगले दिन सुबह जब वह जागी तो उन्होंने साईं भजन को सुना और अपने घर के बाहर एक पल्की देखी जो बिलकुल वैसी ही थी जैसी उन्होंने अपने सपने में देखि थी, विकास जी (एमपी-115) ने अपनी मुख्य बैंक पी.ओ परीक्षा को पास किया। हिमांशु जी (एमपी -43) (वह अपने सपने में विठोबा-यानि बाबा की प्रतीक्षा कर रहे थे) और अगले दिन सुबह बाबा एक महिला के रूप में आए और उन्हें अंगूठी के रूप में आशीर्वाद देकर गए।

एक दिन मैं किसी काम से अपने पति के साथ बहार गयी थी, और मेरे दुसरे पहर का जाप बाकी था इसलिए मैं जाप करने लगी (क्यूंकि मैं अपने जाप को नहीं छोड़ना चाहती थी) इसलिए यह सुनकर मेरे पति ने कहा, “इसी तरह जाप करोगी तो कही बाबा ही ना आ जाए”, उन्होंने मजाक में ऐसा कहा और मैं बस मुस्कुराकर अपना जाप करती रही। जिस क्षण उन्होंने अपनी बात पूरी की, बाबा की एक बड़ी प्रतिमा जैसी शिर्डी में “साईं प्रसादालय” के बाहर है वैसी प्रतिमा (किन्तु यहां मूर्ति के हाथ में डमरू था) को हमने देखा, यहां तक कि मेरे पति भी उस क्षण आश्चर्यचकित हुए और कहा, मैं तो केवल मजाक कर रहा था पर “तुम्हारे बाबा तो सच में आ गए”। मैं भी बोहुत कृतज्ञ हुई क्योंकि यात्रा के दौरान भी बाबा मेरे साथ ही थे (इस प्रकार उनके यह शब्दों की भी पुष्टि होती है “हम कहीं भी और कभी भी जाप कर सकते है क्यूंकि वो हमेशा हमारे साथ है)।

गिरिजा जी ने (एमपी -48) इस नए साल में बाबा के लिए सुंदर दिल छूने वाली कविता लिखी है:

Chant Sai… Sai… Either in despair or in mirth,
Always do chant Sai… Sai…!

Constant chanting Will wake Him up, Who sleeps as a baby
cuddled deep in our souls…!

Do wake Him up with tender care,
Brushing His feet
With kisses rare,
Chanting softly Sai… Sai…!

Once He wakes up
With smiles sublime,
Caress Him like a doting mom,
Always chanting Sai… Sai…!

Never depart,
Though chance to be apart
If urgent work do hinder perchance,
Be fast to finish
And rush back soon,
Akin a mother who hastens to her newborn
, With a sting in her heart,
And guilt in her mind…!

With immense love
Chant Sai… Sai…
Through constant touch alone
We stay attuned…!

Should pray for His name
To stay ever on our lips
Igniting our bodies
And our spirits
Far more brighter
Everyday….!

Thank you Baba, Hetal di and Pooja ji and all Sai devotees.

Let all of us Live Sai, Chant Sai

Archana Rawat

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Translated and Narrated By Rinki Transliterated By Supriya

© Sai Teri LeelaMember of SaiYugNetwork.com

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