Conversations With Lord Sai Baba – Naam Jaap Indications To Sai Devotee Archana से अनुवाद
नाम जाप श्रृंखला में पिछले पोस्ट
हालांकि, हमने गहराई से पढ़ा है कि कैसे भगवान साईं बाबा ने संकेत दिया और फिर साईं भक्त राखी और साईं भक्त मांजू को नाम जाप के लिए निर्देशित किया, यह काफी रोचक था। चलिए अब आगे बढ़ते है और देखते है की साईं भक्त अर्चना को कैसे अद्भुत मार्गदर्शन मिला।
जैसा कि श्री साईं सत्चरित्र में उल्लेख किया गया है, कि साईं बाबा को भगवान के नाम का जाप और गायन करने में बहुत रूचि थी, हम सभी जानते हैं,कि वे हमेशा “अल्लाह मलिक” कहा करते थे, और कई बार दास गणू और राधाकृष्णमयी के माध्यम से बाबा ने नाम सप्ताह करने को कहा था। जैसा कि हमारे बाबा कहते हैं, “मुझे प्राप्त करने के लिए किसी भी अनुष्ठान का पालन करने की आवश्यकता नहीं है, अगर तुम अपनी आंखें बंद करके मुझे अपने दिल की गहराई से याद करते हैं तो तुम मुझे तत्क्षण ही प्राप्त कर सकते हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं और मैं हमेशा तुम्हारे भीतर बैठा हूं।”
• जब महापारायण शुरू हुआ, तब बाबा मुझे कई सारे संदेशों और विचारों के माध्यम से “ॐ साई राम” मंत्र लिखने और जप करने के महत्व के बारे में कई संकेत दे रहे थे – यह किसी भी तरह की नकारात्मकता, भय, चिंता, कला जादू, आदि…के खिलाफ एक शक्तिशाली “राक्षा कवच” है। और “नाम जाप” जो स्वयं ही एक बहुत ही शक्तिशाली पूजा है, लेकिन उस समय इसे समझ नहीं पाई (क्यूंकि बाबा ने मुझे पहले से ही 3 महापारायण समूहों के वर्ग की शिक्षिका बना रखा था, और साथ ही साथ कई और समूहों में भी मैं शामिल थी जैसे ब्रह्मा मुहूर्त खिचड़ी परायण, साई हीलिंग, 365 दिन परायण, 108 ओम साईं राम इत्यादि) अन्य चीजें भी चल रही थीं, इसलिए मैंने बाबा से कहा के अब नहीं, किन्तु उनके तरीके वे ही जाने क्योंकि उन्हें पता है कि क्या और कैसे करना है।
एक दिन मनीषा जी के साथ एक छोटी सी बातचीत में मैंने उन्हें बताया की बाबा मुझे “ॐ साईं राम” का जाप करने के लिए संकेत दे रहे हैं। क्योंकि उनका भी यही विचार था इसलिए हमने “ॐ साई राम” समूह शुरू किया और साथ ही साथ जाप करना भी शुरू कर दिया। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि यदि कोई ना भी करे, तो हम दोनों हर दिन निश्चित रूप से श्रद्धा और सबुरी के रूप में “ॐ साईं राम” की 11 माला का अगले 15 अक्टूबर 2018 तक जाप करेंगे।
• जल्द ही 15 अक्टूबर 2017, जो की (बाबा के समधिस्त होने का वास्तविक दिन है) उस दिन बाबा की कृपा से उस ग्रूप का निष्पादन (execute) किया गया जहां हम 11 माला “ॐ साईं राम” मंत्र का जाप करते है। यह एक छोटा सा समूह था क्यूंकि बाबा ने हमेशा मुझे संकेत किया कि तुम जो भी समूह बनाओगी उसे एक साईं के खुले दरबार की तरह रखना, जहां कोई भी बिना किसी प्रतिबंध के शामिल हो सकता है और छोड़ सकता है क्योंकि वे ही भक्तों का चुनाव करते है। और वे स्वयं ही उन लोगों के कर्मो का हिसाब रखेंगे, जो समूह में हैं और जाप ना भी कर रहे हो तो चलेगा”। बाबा कहते है की “मैं अपने भक्तो के बुरे कर्मो को शुद्ध करने के लिए केवल रास्ता दिखा सकता हूं, मैं और कर ही क्या सकता हु यदि उन्हें अपनी इच्छा से ही दुःख भोगना हैं … यह उनकी स्वयं की “जीवन यात्रा” है।
इस समूह के गठन के बाद मैं बाबा के अधिक निकट आ गई। मुझे लगा जैसे मैं ध्यान कर रही हूं। जैसे की “108 पार्ल्स ऑफ़ साईं बाबा” नामक पुस्तक में भी लिखित है कि, “कौन कहता है ध्यान करना मुश्किल है? बस मेरे समक्ष शांति से बैठो, मेरी आंखों में देखो और मेरे नाम का जोर से जाप करो !! और जब तुम मुझ से उस जुडाव को महसूस करोगे, तो फिर धीरे से अपनी आंखें बंद करना और मन में ही मेरे नाम का जाप करना। उस ख़ुशी को अनुभव करो जो भक्त और भगवन के एक होने से होती है!! मुझे तुम्हारी आत्मा से प्रवाहित होने दो मैं तुम्हे अध्यात्म शांति और दिव्य शक्ति की ओर ले जाऊँगा, जो पथ सगुन से निर्गुण, साकार से निराकर की ओर जाता है (उस समय यह पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई थी)।
सत्य ही है बाबा के शब्द और जाप के द्वारा उन्होंने मुझे बोहुत कुछ समझाया है। जैसे श्री साईं सत्चरित्र में 1 अध्याय में चक्की पिसने का महत्व (हालांकि मैं इसे कई सालों से पढ़ रहा थी, लेकिन इसे गहराई से समझ नहीं पाई थी) महापरायण करने का महत्व, बाबा के बैठेने की मुद्रा के बारे में, महापारायण के बारे में बाबा कैसा महसूस करते है, वह चिलम क्यों रखते थे, कभी कभी मेरे सपने का अर्थ समझाते है और हमारे जीवन में “नाम जाप” का क्या महत्त्व है, ये सारी चीज़े उन्होंने मुझे समझाई। जाप करते समय मुझे कभी-कभी लगा कि वह मुस्कुरा रहे है, कभी-कभी वे क्रोधित हुए दीखते (यदि मैं किसी के बारे में कुछ गलत सोचु या कहू), कभी वो नाचते , कभी चाय मांगते, कभी शीरा तो कभी खिचड़ी मांगते हैं। ऐसा प्रतीत होता है की वो केवल तस्वीर नहीं बल्कि वे स्वयं प्रत्यक्ष रूप में हो (किसी किसी को ये काल्पनिक लग सकता है लेकिन यह सच है। हम सभी जानते हैं कि बाबा हमेशा हमारे साथ होते हैं, वह सब कुछ सुनते है, उन्हें तो केवल हमारा प्यार और समय चाहिए और कुछ नहीं)।
अब मैं एक महत्वपूर्ण सपने के बारे में बताना चाहूंगी जो “नाम जाप” और “ॐ साईं राम” इन मंत्र को लिखना या उसका जप करना स्वयं में एक महत्वपूर्ण पूजा और शक्तिशाली “रक्षा कवच” है।
• एक दिन मैंने सपना देखा की मैं सो रही हु और किसी चीज़ से भयभीत हो रही हूँ (सपने के भीतर सपना) और मैंने अपनी मां को इस बारे में बताया तो उन्होंने कहा की डरने की कोई बात नहीं, यह सिर्फ एक सपना ही तो है, मेरे पिता ने कहा कि अगर वह डर गई है तो अवश्य ही कोई नकारात्मक उर्जा हमारे आस पास होगी, तो क्यूँ न घर में पूजा करवाई जाए । तभी मैंने बाबा को देखा (एक वृद्ध आदमी सफेद वस्त्र पहने हुए थे और उनके चारो ओर सफेद रोशनी थी) उन्होंने गुस्से में कहा – किसी भी तरह की पूजा की आवश्यकता नहीं है। बस चारों कोनों में “ॐ साईं राम” लिखें फिर उन्होंने मुझे मेरी उंगलियों के माध्यम से मेरे चारो ओर हवा में “ॐ साईं राम” लिखवाया। फिर मैंने अपने मंदिर में बाबा की मूर्ति देखी। अचानक सच में मेरी नींद खुली और मुझे आभास हुआ की बाबा स्वयं मेरे सपने में आकर मुझे सारी चीज़े समझा कर गए पर मुझे ये नहीं समझ आ रहा था कि मैं किस चीज़ से लिखू, पेन से, पेंसिल से चॉक से या चन्दन से (इस बारे में उन्होंने नहीं बताया था)।
• उसी सुबह को मैंने मनीषा जी को मेरे सपने के बारे में बताया। तो उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें नकारात्मक विचार आते है या नकारात्मक लोगो से मिलती है तो वो भी चन्दन से ही ॐ साई राम” लिखती है। तब मैंने सोचा कि यदि बाबा इस बात की पुष्टि कर दे, तो मैं भी घर के चारों कोनों में चन्दन पेस्ट से लिखूंगी। उसी क्षण बाबा की एक और भक्त (ममता जी-महापारायण ग्रुप 44) उन्होंने मुझे मेसेज (message) किया की उस दिन (गुरुवार) को महापारायण का पाठ करते समय उनके श्री साईं सत्चरित्र में सूखे चन्दन का पाउडर मिला, तब मैंने इन दोनों घटनाओ को बाबा का स्वीकारत्मक संकेत समझ कर अपने घर के चारो कोनो में चन्दन से और मेरे चारो ओर हवा में उंगलियों के माध्यम से (जैसे हम हवा में कुछ लिखते हो वैसे) ॐ साई राम” लिखा। यह एक “रक्षा कवच” की तरह है।
• मुझे लगा यह सपना बाबा का एक सामान्य संदेश है क्योंकि बहुत से लोग नकारात्मक विचारों, चिंता, बीमारी, काले जादू इत्यादि जैसी चीजों से पीड़ित हैं। तो क्या मुझे इस बारे में दूसरों को बताना चाहिए या नहीं, और साथ ही साथ ये भी चिंता हो रही थी की यह दूसरों के लिए लाभकारी होगा या नहीं, तब मैंने बाबा से कहा अगर वो मुझे स्वीकारात्मक संकेत देंगे तो ही मैं दूसरों को इस बारे में बताउंगी।
• ठीक इसके अगले दिन शुक्रवार को – मेरी मित्र (शालिनी जी-एम.पी 43) ने मुझे फोन किया और कहा कि पिछले गुरुवार को पहली बार बाबा मेरे सपने में आए और उस दिन पता नहीं अचानक मुझे क्या हुआ में अपने घर के कोनो में पेन से “ॐ साईं राम” लिखने लगी, उनकी यह बात सुनकर मुझे बड़ी हैरानी हुई और मैंने उनसे पूछा कि क्या आप मेरे सपनों के बारे में जानती हैं? क्या मैंने उस बारे में आपको बताया था। शालिनी जी ने कहा, नहीं हमारी कई दिनों से बात ही कहा हुई। अब मुझे अपना उत्तर मिल चूका था, मेरी सारी शंकाएं दुर हो गयी। मैं ये समझ गयी की”ॐ साईं राम” लिखने या जप करने से बोहुत से लोगो को लाभ हो रहा है या लाभ होगा।
“ॐ साईं राम” से संबंधित एक प्रमुख चमत्कार को मैं आप सभी के साथ साँझा करना चाहती हु:
• महापारायण समूह में से एक भक्त महिला है जिनके पति उनसे 2017 की दिवाली से बात नहीं करते थे और बाद में खाना भी अलग पकाने लगे। वे दोनों अलग होने के कारन उस भक्त महिला को काफी आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। तो वह समाधान के लिए एक तांत्रिक के पास गयी, और उस तांत्रिक ने उनसे कहा की उनके घर में किसी ने काला जादू किया है और उसे ठीक करने के लिए किसी तरह की पूजा करवानी पड़ेगी (मुझे इस घटना के बारे में कुछ भी नहीं पता था),बाबा मुझे बार बार संकेत दे रहे थे कि
मैं उनसे बात करू, मगर मैंने व्यस्त होने के कारन कहा के बाद में करती हु। कुछ ही देर बाद मुझे उनका सामने से फ़ोन आया और उन्होंने मुझे सारी बात बताई। वह बाबा का नाम लेकर तांत्रिक के पास गयी थी इसीलिए बाबा ने मुझे संकेत दिया के उन्हें फ़ोन करू। फिर मैंने उस महिला को अपने सपने के बारे में और “ ॐ साईं राम ” इस मंत्र के महात्मय के बारे में बताया, उन्होंने भी ठीक वैसा ही किया। कुछ हफ्तों के बाद उन्होंने मुझे फ़ोन कर के बताया कि उनके पति ने उनसे बात करना शुरू कर दिया और अब उनका अलग रसोई नहीं है और वे एक साथ ही खाना खाते है।
अब हम बाबा के नाम सप्ताह ग्रूप की ओर बढ़ते है:
मुझे लगता है जैसे बाबा इस नए साल को जो 2018 है उसे अपने भक्तो के लिए “कलियुग” से “साईं युग” बनाने के लिए तत्पर है।
महापारायण को सफल बनाने के बाद भी उन्हें संतुष्टी नहीं हुई क्योंकि वह अपने बच्चों से इतना प्यार करते है कि वह सुनिश्चित करते है कि हम केवल सही रास्ते पर चले और हम सब साईं के बच्चे वास्तव में भाग्यशाली हैं कि हमें लोगों पर/परिस्थिति पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है, हमे तो केवल अपने साईं पर निर्भर रहना चाहिए।
दिसंबर महीने में फिर से मुझे आभास हो रहा था की बाबा विभिन्न अग्रेषित संदेशों (forwarded messages) और जाप के द्वारा मुझे “नाम सप्ताह” करनेके लिए कह रहे हो। मैं कुछ अग्रेषित संदेशों को साझा कर रही हु जैसे कि जाप के दौरान बाबा की उपस्थिति http://www.shirdisaibabaexperiences.org/2017/12/shirdi-sai-baba-miracles-part-1849.html#experience2
“ॐ साईं राम” की 11 माला करने के दौरान स्वचालित (automatic) रूप से मैं “साईं” “साई” का नाम जपने लगती और मैं अपनी जाप की गिनती भूल जाती थी, जब भी मैं उनकी ओर देखती तो ऐसा प्रतीत होता जैसे वह नाम सप्ताह के लिए कह रहे हो । एक दिन मेरे जाप करते वक़्त उन्होंने मुझे बड़ी खूबसूरती से “नाम सप्ताह“ का महत्त्व समझाया ।
• “उन्होंने कहा तुम सभी हर रोज़ साईं सत्चरित्र और अन्य पवित्र किताबें पढ़ते हो, कई सारे महापारायण(गुरूवार को), तुम सभी प्रार्थनाएं, अच्छे कर्म इत्यादि करते हो, बहुत अच्छ हैं, मैं बहुत खुश हूं !! मैं तुम सभी के अच्छे कर्मो की (पोटली) बना रहा हूँ। जब भी मुझे आवश्यकता होगी तो मैं उस पोटली को तूम सब के लाभ के लिए उपयोग करूंगा। लेकिन मेरे बच्चे क्या तुम्हे नहीं लगता कि इतनी अच्छे कर्मो को करने के बाद भी, जाने- अनजाने में हमारा मन और मस्तिष्क हमेशा अतीत का पछतावा और भविष्य के डर के बारे में हमेशा सोचता रहता है। तुम सभी कई बार”साईं बाबा आंसर साइटों” पर अपने उत्तर की तलाश करते हो, मैंने कई बार कहा है,” (why fear when I am here) जब मैं यहां हूं तो डर की कोई बात नहीं” और जो कुछ भी हो रहा है वह मेरी इच्छा से ही हो रहा है और मुझे पता है कि तुम्हारे इस जीवन यात्रा के लिए क्या महत्वपूर्ण है।
हर दिन जब तुम सब दिन की गतिविधिया जैसे खाना पकाने, खाने, यात्रा करने, कार्यालय में, घर पर त्तुम्हारा मन और मस्तिष्क विभिन्न भावनाओं और विचारों के बीच घिरा रहता हैं। मैं अच्छे विचारों के बारे में चिंतित नहीं हूं। मुझे उस पर गर्व महसूस होता है। लेकिन जब तुम सभी नकारात्मक विचार (जैसे क्रोध, ईर्ष्या, लालच, घृणा, अहंकार, दुसरो से तुलना करना यह सब जब तुम्हारे मन और मस्तिष्क पर हावी होता है) तो मैं बोहत निराश हो जाता हु। क्या मैंने साईं सत्चरित्र के माध्यम से यह नहीं बताया है? तुम सभी ये छोटी छोटी चीजें कब समझेंगे? तुम सभी अपने बुरे कर्मो को क्यों बढ़ाते हो और स्वयं ही कष्ट भोगना चाहते हो।
• कई बार तुम बुरी बात नहीं करते हो या दूसरों को चोट नहीं पहुंचा ते हो , लेकिन यदि कोई तुमको कष्ट देता है, तो तुम अपनी मानसिक शांति खो देते हैं, हालांकि तुम प्रतिक्रिया नहीं करते केवल मौन रहते हो। किन्तु क्या तुम्हे नहीं पता की तुम्हारे विचार भी कर्म बनाते हैं, तुम ही बताओ की मैं इसे कैसे नजरअंदाज कर सकता हूं, कर्म का नियम हर किसी के लिए समान है मेरे बच्चे… यह अच्छे और बुरे का हिसाब रखता है।
तुम सभी मुझे अपने व्हाट्सएप की फोटो, फेसबुक की फोटो में, अपने मस्तिष्क में और अपने मन में रखते हो, लेकिन मेरे बच्चो तुम सभी मुझे अपने कर्मो में क्यूँ नहीं रखते। “तुम मुझ पर विश्वास करते हो लेकिन समस्या यह है कि मैं जो कहता हु तुम उस पर विश्वास नहीं करते जैसे मैं कहता हु (जब मैं यहां हूं तो डरने की क्या बात है- (why fear when I am here) फिर भी तुम सब डरते हो), मैं तुम सभी के भीतर हूं किन्तु कोई भी मुझे देख नहीं पाता केवल हमेशा मुझे साकार रूप में ही ढूंडते हो।
• पुराने समय में लोग अपने बच्चो के नाम को भगवान के नाम पर रखते थे (जैसे राम, श्यामा, लक्ष्मी,…) आप जानते हैं क्यों? क्योंकि जाने-अनजाने में वे भगवन का नाम जपते हैं – कर्म को शुद्ध करने के लिए भगवान के नाम का उच्चार करना स्वयं में ही शक्तिशाली उपाय हैं। फिर बाबा ने मुझे देखते हुए कहा “क्या तुम अपने बच्चों के भगवन के जैसे नाम रखोगी हा…हा…(हस्ते हुए कहा)ठीक है, यदि तुम न भी रखो तो कोई बात नहीं, लेकिन यदि तुम नाम जाप करोगी- तो यह तुम्हारे मन और मस्तिष्क को शुद्ध करेगा और सभी पापों और बुरी प्रवृत्तियों से बचाएगा। यह बोहुत सरल और प्रभावी है”। मैंने कहा ठीक है बाबा, जैसा आप कहोगे मैं वही करुगी। आप केवल मेरा मार्गदर्शन करे क्योंकि मुझे कुछ भी पता नहीं है।
बीच में ही उन्होंने मुझे वर्षा जी (महापारायण-115) से बात करने के लिए संकेत दिया, अगले दिन मैंने उनसे बात की लेकिन “नाम सप्ताह ” के बारे में मैं पूरी तरह से भूल गई। लेकिन अगले दिन उन्होंने ही सामने से मुझे “नाम सप्ताह” से संबंधित संदेश भेजा- मैं बोहुत हैरान हुई और तुरंत ही मैंने उन्हें फ़ोन करके “नाम सप्ताह” समूह और अन्य सभी विवरणों के बारे में बताया क्योंकि बाबा उत्सुकता से इसके लिए प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने पहले से ही सबकुछ तय कर रखा है।
• वर्षा जी ने यह भी बताया कि दीवाली में उन्होंने एक सपना देखा था जहां बाबा स्वयं शिर्डी में पौधों में पानी डाल रहे थे (शायद वो बूटी वडा था) और वर्षा जी बाबा के पीछे खड़ी थीं और बाबा ने उनसे कहा, “अभी 200 लोगों का समूह और बनाना है बच्चे और बुढो का”। वह उस समय इस बात को समझ नहीं पाई, पर हमने ये निष्कर्ष निकाला कि बाबा उस सपने के माध्यम से “नाम सप्ताह” समूह के लिए संकेत दे रहे थे, और इसमें किसी भी आयु के लोग यहां तक कि बच्चे, बूढ़े और अन्य कोई भी जप कर सकते है।
ऊपर जो भी बाबा से वार्तालाप हुई उसमें उपयोग के लिए कई सारे महत्वपूर्ण संदेश हैं और हमें उन्हें हमेशा अपने ह्रदय में आत्मसात करके रखना चाहिए और अपनी क्रियाओं में उनका उपयोग करना चाहिए। और भी बोहुत कुछ है जो अर्चना जी साझा करना चाहती है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें यहां विराम करना चाहिए। उनके सपने का दूसरा भाग मैं कल के लिए आरक्षित कर के रखती हु।
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