मैं सुनील वाल्वकर बोरिवली मुंबई में रहता हूँ। 1993 से मेरे पास घडी ठीक करने की दुकान है, जो की साई कृपा से चल रही है। मैंने इस व्यवसाय को काफी छोटी रक़म से शुरू किया था। मेरी पत्नी, भाई और मैं, हम सब एकजुट होकर बहुत मेहनत करते हैं और साईं बाबा को हर मिनट याद करते हैं और इस तरह साईं बाबा की कृपा से हम अपने परिवार के खर्चों के लिए पर्याप्त पैसे कमा लेते हैं।
मेरी दुकान में साईं बाबा की लगभग 25-30 तस्वीरें हैं। मेरी दैनिक दिनचर्या है कि मैं हमेशा बाबा के समक्ष धूप या अगरबत्ती जलाता हूँ और उसके साथ माला और फूलों को अर्पित करता हूँ, और दोपहर 12:00 बजे और शाम 6:15 बजे आरती करता हूँ। लगभग 70-100 ग्राहक रोज़ाना सुबह 9:00 बजे से रात तक मेरी दुकान में आते हैं। बहुत से लोग केवल साई बाबा को प्रणाम करने के लिए आते हैं। एक भक्त कभी-कभी साई बाबा के लिए नारियल देने और दूसरा भक्त दोपहर को आरती से पहले कुछ प्रसाद अर्पित करने के लिए रोज़ आता है।
कुछ दिन पहले, एक महिला मेरी दुकान पर घड़ी को ठीक करने के लिए आई थी। मैं साईं बाबा के चित्र को धुप बत्ती फेरने के बाद फूलो की माला चढ़ा रहा था। वह बहुत समय तक वहा चुपचाप खड़ी थी। साईं बाबा की पूजा करने के बाद मैंने घड़ी ली और उस महिला को अगले दिन आने के लिए कहा। मैंने घड़ी की मरम्मत कर दी और अगले दिन वह महिला अपनी घडी लेने के लिए दुकान पर आई। उन्होंने घडी लेने के बाद मुझे पैसे दिए।
अचानक ही उन्होंने मुझसे एक सवाल पूछा कि जो फूल और माला आप साई बाबा को चढाते हैं, इसके लिए एक दिन में आपका कितना खर्चा होता हैं? उनके ऐसा अचानक से पूछने पर मैंने उत्तर दिया कि मुझे ये लगभग 90 रु प्रति दिन पड़ता है, पर हम साईं बाबा को वही वापस दे रहे हैं जो उन्होंने हमे दिया है, इसलिए हमें इसमें कोई परेशानी नही है।
मेरी बातें सुनकर उस महिला ने मुझे तुरंत ही 90 रुपये दे दिए और मुझसे अनुरोध किया की उस दिन की माला और फूल उनकी तरफ से चढ़ाये जाएँ। जब मैंने उनसे उनकी इस भेंट का कारण पूछने की इच्छा व्यक्त की तो उन्होंने मुझे धीमी आवाज में जवाब दिया की “मैं खुद धर्म से ईसाई हूँ, आज तक मुझे अपने चर्च को छोड़कर किसी अन्य मंदिर में जाने का मौका नहीं मिला और न ही कभी उस तरह की परिस्तिथि आई।”
पर कल जब मैं अपनी घड़ी ठीक करने के लिए आपकी दुकान में आयी, तो आप अपनी पूजा में व्यस्त थे। मैं बहुत ही मुश्किल में थी और अपने निजी मामलों में काफी उलझी हुई थी। मैंने अपनी परेशानी साईं बाबा के सामने रखी और आज जब मैं आपके पास आई हूं, तो मेरी सभी समस्याएं साई बाबा की कृपा से हल हो गई हैं। इसलिए मैं उन्हें इन फूलों की भेंट देकर उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहती हूं। मुझे आशा है कि आप निश्चित रूप से मेरी इच्छा को पूरी करेंगे”।
उस महिला के शब्दों को सुनने से मुझे बहुत प्रसन्नता हुई और मैं सभी जातियों के भगवान हमारे प्यारे साईंनाथ महाराज को तहे दिल से नमन करता हूँ।
स्रोत: गुजराती पत्रिका द्वारकामाई से अनुवादित