नाम जाप श्रृंखला में पिछले पोस्ट
नाम जाप के सम्बन्ध में अब तक भगवान साईं बाबा ने सरल और सठिक खेल रचा है । वह सभी पाठक जिन्होंने पहले दिन से हमारे सभी पोस्ट पढ़े हैं वे अच्छी तरह से समझ सकते है की मेरे कहने का क्या तात्पर्य है । आज देखते हैं कि 9 साल पहले नाम जाप के बीज कैसे बोए गए थे और अब वह पेड़ अपनी शाखाएं दूर-दूर तक चारो ओर किस प्रकार फ़ैल रहा है।
साईं बाबा की सेवा में मैं जिन ग्रुपो से जुडी हूँ उनके बारे में बताना चाहूंगी। सबसे पहला साईं दरबार व्हट्स ग्रूप बना जिसमे (Devotees Experience With Shirdi Sai Baba) नामक ब्लॉग से — जहाँ शिर्डी साईं बाबा को लेकर भक्तो के अनुभव के बारे में लिखा होता है — एक कहानी को रोज़ इस ग्रूप में पोस्ट करते थे, फिर 48 लोगों को लेकर 2016 की दशरा के लिए एक दिन का परायण हुआ, फिर हर हफ्ते 250 लोगों के साथ स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर महापारायण किया गया, फिर हेतल दी के ब्लॉग के लिए मैं संपादक (editor) बनी, फिर वैश्विक स्तर पर लगभग 20,000 लोगों के साथ महापारायन, फिर 365 दिन का परायण, फिर महापरयान ब्लॉग का लेखन और प्रकाशन, फिर 5 महाद्वीपों के भक्तो के साथ ब्रह्मा मुहरत खीचड़ी परायण, फिर 9 माला जाप का 365 दिनों का परायण (वैश्विक स्तर पर) और अब क्या? हर बार बाबा ने मुझे ऐसे विचार के रूप में सेवा करने का मौका दिया हैं और जब मैं उन्हें अपने परिवार के सामने, विशेषकर मेरी दोनों माताओं (माँ और सास) के सामने प्रकट करती हु तो वे केवल मेरे प्रति उनके प्यार और चिंता के कारन मुझे घूरने लगती है और कभी-कभी डांटती भी हैं और कहती है , “बस कर पूजा, अब और कुछ नया मत शुरु कर। हालांकि मैं भी कभी-कभी डर जाती हूं पर मुस्कुराते हुए उन्हें कहती हु कि मुझे मत कहो, ये बाबा से कहो। वास्तव में हम भाग्यशाली हैं कि हम उनके साधन के रूप में चुने गये हैं। बाबा स्वयं ही सारा प्रबंधन, निष्पादन और सब कुछ नियंत्रित करते है। इसलिए मुझे इसका भार कभी महसूस ही नहीं हुआ।
महापारायण के दौरान हेतल दी हमेशा कहा करती थी कि बाबा इस महापारायण को केवल साईं सत्चरित्र तक ही सीमित नहीं रखेंगे। यह सिर्फ एक शुरुआत है और बाबा भविष्य में कई और चीजें उजागर करेंगे। सत्य ही है, इस बार बाबा ने साईं महाजाप 24 * 7 की एक और नई सेवा के लिए प्रेरित किया है। इसे सुनते ही आप सोच रहे होंगे कि हमें इसे 24 घंटों करना है? जवाब ना भी है और हां भी है। परेशान मत होईये? आप सिर्फ इतना समझिये कि आपको नामजाप के लिए अपना छोटा योगदान देना है जो महाशिवरात्रि (13 फरवरी 2018) से शुरू होगा और भारतीय समय के अनुसार लगातार पूरे विश्व में अविराम चलता रहेगा, जब तक बाबा की इच्छा होगी। अधिक जानकारी के लिए अगली पोस्ट की प्रतीक्षा करें।
यकीन मानिए बाबा स्वयं यह लिख रहे हैं। मुझे 15 जनवरी 2018 को शिर्डी जाकर बाबा को धन्यवाद करने का मौका मिला। मैंने बाबा से यह नयी सेवा अच्छी तरह से निष्पादित करने के लिए आशीर्वाद माँगा और यह भी कहा की वे स्वयं ही इस लेख को लिखे और मैं केवल उनकी साधन बनू।
जब मैं यह लिखने बैठी तो मैं तीन प्रकार के भक्तों के संदर्भ में लिखना चाहती थी। पर वह साईं सत्चरित्र के किस अध्याय में है ये नहीं याद था तो मैंने इंडेक्स के माध्यम से खोजने की कोशिश की फिर भी मैं नहीं ढूंढ पायी। समय तेज़ी से गुज़र रहा था। मैंने उस पवित्र पुस्तक को बंद कर दिया, और बाबा की तस्वीर के समक्ष नतमस्तक होकर कहा कि, “बाबा इस समय कोई परीक्षा मत लीजिये, केवल आपकी मदद की आवश्यकता है, यदि आप स्वयं इसे लिखने जा रहे हैं तो जब मैं अपनी आँखे बंद कर के पुस्तक को खोलू तब आप कृपया उस पृष्ठ को जो (तीन प्रकार के भक्त है) खोलें और यह इस बात का पुष्टिकरण होगा की आप ही ये लिख रहे है। “260 पृष्ठों में से उस पृष्ठ के खुलने की क्या संभावना है? वो भी बंद आँखों से। क्या मुझे यह कहने कि कोई आवश्यकता है की क्या हुआ होगा? जी हां साईं सत्चरित्र का (अध्याय 23) का पृष्ट 124 खुला जो गुरुभक्ति के संदर्भ में है , मैं बोहुत हैरान हुई और मेरा मन ख़ुशी से प्रफुल्लित हो उठा की बाबा स्वयं उपस्थित है इसे लिखने के लिए ।
इस नए “नाम जाप” के काम के लिए बाबा ने मुझे कोई प्रत्यक्ष आदेश नहीं दिया जैसे उन्होंने मुझे महापारायण के लिए दिया था। किन्तु जैसे कि साईं सत्चरित्र (अध्याय 23) में उल्लेख किया गया है, 3 प्रकार के भक्त होते हैं:
1) पहला या सबसे उत्तम भक्त
2) दूसरा या औसत (average) भक्त
3) तीसरा या साधारण भक्त
सबसे उत्तम शिष्य वो हैं जो अनुमान लगा लेते हैं कि उनके गुरु क्या चाहते हैं और तुरंत ही गुरु के आदेश की प्रतीक्षा किये बिना ही कार्य पूर्ण करते है। औसत शिष्य वो हैं जो बिना विलम्ब किये अपने गुरु के आदेश का पालन करते है और तीसरे वे हैं जो अपने गुरु के आदेश को टालते रहते है और हमेशा गलतियां करते हैं। तो इस बार जब बाबा महाजाप 24*7 की इस सेवा के लिए विभिन्न तरीकों से मुझे संकेत दे रहे थे, किन्तु मैं पहले समझ नहीं पाई मुझे लगा की यह मेरा भ्रम हैं, इसलिए मैंने बाबा से महापारायण की तरह आदेश देने के लिए भी कहा। लेकिन बाबा सपनों में नहीं आए क्योंकि वह हमारा आध्यात्मिक उत्थान चाहते हैं। फिर कई सारे अनुभवों के द्वारा उन्होंने मुझे एहसास दिलाया कि वह चाहते है कि मैं एक कदम आगे बढ़ूं (महाप्रारायण के लिए उनके आदेशों का पालन करने के बाद) और शिष्य की पहली श्रेणी में मैं आगे बढु।
जैसा कि आप सभी ने साईं भक्त राखीजी, मांजू जी और अर्चना जी के पोस्ट पढ़े होंगे, तो पहले मैं आप सभी को बताना चाहूंगी कि बाबा ने मुझे इस सेवा को आगे बढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित किया।
कुछ समय बाद जब महापारायण सफलतापूर्वक चल रहा था। पहले मुझे अमरीका से राखीजी का फोन आया, तब उन्होंने चैत्र के पहले सप्ताह से नामजाप और भजन करने की इच्छा जताई जैसे राधा कृष्णमई ने नामसप्ताह किया था। काफी लंबी चर्चा के बाद मैंने उनसे कहा कि चैत्र के केवल एक सप्ताह ही क्यूँ हम आजीवन पूरे वर्ष 24*7 भी करें। मुझे लगा की मैं स्वयं बोहुत सी जिम्मेदारियों से घिरी हुई हु और आशा कर रही थी की राखीजी इसे पूरा करे और यदि आवश्यक हो तो मैं भी मदद करुगी। किन्तु बाबा के इच्छित समय के पहले तो कुछ नहीं हो सकता तो उस समय कुछ भी नहीं हुआ।
फिर दिसंबर 2017 के आसपास, मैंने इस बारे में मेरी मित्र नेहा से चर्चा की और फिर दो ही दिनों में आश्चर्यजनक रूप से उनके सामने यह बात आई कि हमारी मित्र मांजू जी भी इसी विचार पर काम कर रही थी। फिर मुझे मांजू जी का फोन आया और मैं बाबा की लीला को देखकर हैरान थी जब उन्होंने कहा कि वे ग्रूप पहले ही शुरू कर चुकी हैं लेकिन उन्हें काफी सारे चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा जैसे समय क्षेत्र, लोग करेंगे की नही इत्यादि। मैंने उन्हें कुछ अमेरिकी के मित्रो के नंबर दिए और उनसे भी वही कहा कि गुरुवार या चैत्र के पहले सप्ताह को ही क्यूँ, हम जीवन भर के लिए पूरे वर्ष 24*7 भी नाम जाप कर सकते हैं। वे तुरंत ही मान गयी और वो भी ऐसा करना चाहती थी लेकिन उस समय उन्हें गुरुवार ग्रूप की चुनौतियो का भी सामना करना था। मुझे एहसास हुआ कि राखी जी और मांजू जी के नाम जाप की संरचना लगभग एक समान थी (जिसे बाबा ने ही निर्देशित किया है) उनके पास प्रत्येक भक्त के लिए 35 मिनट का स्लॉट था, जिसमें 5 मिनट का ओवरलैपिंग समय था। मैं भी इसका हिस्सा बनना चाहती थी और इसलिए मैंने उनसे 20 मिनट का स्लॉट देने का अनुरोध किया और मुझे पौर्णिमा जी के साथ स्लॉट बांटने दिया (पौर्णिमा जी को धन्यवाद्)।
मांजू जी ने उनके एक अनुभव को मुझे बताया कि एक दिन वो बाबा के सामने बोहुत रोई क्यूंकि नाम जाप की भक्त जिसे हम ‘अ’ कहेंगे वे उनके निर्धरीर समय पर जाप नहीं कर पाई थी इसीलिए मंजू जी बाबा से लड़ने लगी और कहा कि क्यों बाबा ने उन्हें ये जिम्मेदारी दी? (मंजू जी ने सोचा कि वह कार्य में असफल ओ गई )। आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक अन्य भक्त जिन्हें हम ‘ब’ कहेंगे उन्होंने स्वयं की इच्छा से उस स्लॉट का नाम जाप किया था और ऐक दिन बातचीत के दौरान उस भक्त ने मांजू जी को यह बताया और यह भी बताया कि उन्हें नाम जाप में बोहुत आनंद आ राहा था इसीलिए उन्होंने लगभग एक घंटे के लिए नाम जाप किया था। तब मांजू जी यह देखकर खुश हुई कि बाबा ने स्लॉट को रिक्त नहीं रखा और दुसरे भक्त द्वारा संपन्न करवाया और बाबा ही सबकुछ नियंत्रित कर रहे थे। फिर कुछ सप्ताह बीत गए और यह अच्छी तरह से चल रहा था और मैं सोच रही थी कि मांजू जी धीरे-धीरे 24*7 के नाम जाप के लिए भी जिम्मेदारी उठाएंगी।
फिर अर्चना जी ने भी ब्रह्मा महूरत खिचड़ी ग्रूप में अपना अनुभव भेजा कि किस प्रकार बाबा चारो प्रहार में गुरुवार को नाम जाप के लिए मार्गदर्शन कर रहे है, जहां उस प्रहार में किसी भी समय दस मिनट के लिए जाप कर सकते है। मुझे यकीन था कि बाबा निश्चित रूप से इसे 24*7 (365 दिन) का नाम जाप बनायेंगे वो भी इन 3 भक्तों में से किसी एक के माध्यम से । मैं इसकी जिम्मेदारी इसीलिए नहीं ले सकती थी क्यूंकि मुझ पर पहले से ही परिवार, कार्यालय और अन्य जिम्मेदारिया थी । किन्तु बाबा की लीला तो बाबा ही जाने। मैं इस बात से अनजान थी कि बाबा को इस कार्य के लिए मेरा भी योगदान चाहते है और पिछले 7 सालों से मुझे विभिन्न व्यावहारिक तरीको से संकेत दे रहे थे।
एक दिन 3 जनवरी को मैंने एक सपना देखा जहां मैंने कई सारे साईं सत्चरित्र पुस्तक देखे और वाहा मेरे स्कूल की सहेलियां भी थी जिन्होंने पहली बार साईं के चमत्कारों का अनुभव किया था और मुझे साईं सत्चरित्र देने के लिए कह रही थी। फिर मैंने एक वृद्ध पुरुष को भी देखा जो सफेद वस्त्र में थे, जिन्हें मेरी सहेलियां साईं कहकर संबोधित कर रही थी और उनके बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक थी। इसके अलावा मुझे कुछ याद नहीं है, मगर इतना याद है कि फिर मैं उठी और सामान्य रूप से मैंने मोबाइल लिया और देखा की मांजू जी के नाम जाप ग्रूप में विभिन्न स्लॉट के लिए 8 रंगों में सुंदर क्रिएटिव थे जैसे हमारे महापारायण में 4 रंग है वैसे। वह रचनात्मक खूबसूरत थे किन्तु यदि हम हजारों लोगों के साथ 365 दिनों के नाम जाप को विस्तारित करेंगे, तो इससे घर के रंग के कारण कुछ भक्त भ्रमित भी हो सकते हैं क्योंकि सबकी विचार धाराएँ विभिन्न होती है। तो मुझे लगा कि रंगों की बजाय स्लॉट को परिभाषित करने के लिए हमारे पास कुछ अलग तरीका होना चाहिए।
तब कुछ चीजें दिमाग में आई और बिना बिस्तर से उठे ही मैंने उस पर काम करना शुरू कर दिया। इस बार मुझे लगा जैसे बाबा कह रहे थे कि ये अलग-अलग मोती बिखरे हुए हैं (अमेरिका से राखीजी, बैंगलोर से मंजुजी, पुणे से अर्चना जी) और बाबा मुझे इन्हें एक साथ लाकर एक धागे में पिरोने के लिए कह रहे है और उससे जो सुन्दर माला बनेगी उसे सभी भक्त ना सिर्फ गुरुवार या चैत्र के पहले सप्ताह को बल्कि पूरे 365 दिनों के लिए पहना जाएगा । मुझे कुछ समय के लिए ऐसा भी लगा कि मुझे बीच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।मैंने ये भी सोचा की यदि यह मेरा भ्रम नहीं है और बाबा भी ये चाहते हो तो वे इसके लिए सीधे आदेश दे। किन्तु कुछ ऐसी अदृश्य शक्ति थी जो मुझे इस बारे में विचार करने के लिए मजबूर कर रही थी फिर मुझे विचार आया की बाबा ने मुझे घर पर रहने का मौका दिया है क्योंकि उस दिन पुणे में कुछ दंगों के कारण महाराष्ट्र बंद था।
तब सबसे पहले मैंने मंजू जी को फ़ोन किया और उनसे नाम जाप को अन्य दिनों तक विस्तारित करने की अनुमति मांगी। वह बोहुत खुश हुई यह देखकर कि मैंने अंततः इसपर काम करने का मन बनाया। फिर जिन लोगो से भी मैंने इस बारे में बात की वे सभी बहुत खुश और उत्सुक थे बाबा की सेवा करने के लिए। मनुष्य प्रवृत्ति के कारन मेरे मन में अब भी संदेह था कि महापारायण के भांति बाबा ने तो कोई सीधे आदेश नहीं दिया है तो क्या मुझे आगे बढ़ना चाहिए या नहीं। तब मैंने अपनी आंखें बंद कर दी और कहा, “बाबा, आप मुझे अपने कपड़ों का रंग बताइए जो आपने इस समय शिर्डी में पहने हुए हैं। इसके अलावा यदि आपने लाल वस्त्र पहने हुए होंगे, तो मैं इसे यही रोकने का संकेत समझूंगी। इससे मुझे यह समझने में मदद मिलेगी कि मैं इस कार्य में हस्तक्षेप तो नहीं कर रही हूं जिस पर आपके कुछ भक्त पहले से ही काम कर रहे हैं, किन्तु यदि आप इन सभी भक्तो को साथ लाना चाहते हो और यह नाम जाप आजीवन करवाना चाहते हो तो मुझे रंग बताइए ।”मैंने फिर तीन रंगों के नाम सुने 1) नारंगी 2) नीला और 3) हरा। मैंने सोचा कि दिमाग़ में 3 रंग क्यों आए जबकि मैं तो बाबा को सिर्फ शाल का रंग बताने की उम्मीद कर रही थी।
मुझे यह भी लग रहा था कि ये मेरा भ्रम है या वास्तव में बाबा ने मुझ से ये कहा है। जब मैंने लाइव दर्शन देखा तो बाबा को नारंगी शाल और बैंगनी स्कार्फ में देख कर मैं बोहुत हैरान हो गयी। तब मुझे एहसास हुआ कि मैं बाबा को सिर्फ एक रंग (शाल का मुख्य रंग) बताने की उम्मीद कर रही थी, पर उन्होंने 3 रंग बताये, जिसमें से नीले और हरे रंग कहीं भी नहीं दिखे। तब मुझे विचार आया की कभी कभी बाबा जिस रंग के वस्त्र पहने होते है लाइव दर्शन टी.वी पर कुछ अलग दीखता है। बाबा ने मुझे एहसास दिलाया कि उनके कपड़े का पहला और मुख्य रंग नारंगी था (शाल का), दूसरा रंग स्कार्फ का था नीला जो शायद लाइव दर्शन में बैंगनी रंग का दिख रहा था (काफी संभव है) और तीसरा हरा रंग उनकी तरफ से मेरे लिए आगे बढ़ने का हरा सिग्नल हो सकता है । बाबा के इस खूबसूरत अनुभव का प्रकाशन करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है। (उस दिन के लाइव दर्शन की तस्वीर यहाँ पर संलग्न की है)।
हेतल दी मेरे लिए बाबा के समान है, मैं उनसे बाबा के रूप में मार्गदर्शन लेती हूं, क्योंकि बाबा स्वयं हेतल दी के रूप में मेरे सपने में दो बार आए और ना ही सिर्फ मुझे महापारायण के लिए मार्गदर्शन दिया बल्कि भविष्य में भी उनसे मार्गदर्शन लेने का निर्देश दिया और इसीलिए मैंने उन्हें बताया और उन्होंने कहा हाँ बाबा तुम्हे आगे बढ़ने के लिए कह रहे है। उन्होंने मुझे यह भी याद दिलाया कि बाबा महापारायण को केवल साईं सत्चरित्र पढ़ने तक ही सीमित नहीं रखेंगे। परायण का अर्थ है किसी चीज़ का अध्ययन करना नित्य रूप से और अब यह नाम जाप के लिए है। उन्होंने ये भी कहा कि नाम जाप करना धार्मिक पुस्तके पढने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है और बाबा के होठो पर भी सदैव भगवन या अल्लाह का नाम होता था।
मुझे भी 2013 में अपनी गर्भावस्था के दौरान रामायण में पढ़े हुए शब्द याद आ रहे है कि ‘राम’ नाम भगवान राम की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली है। इसलिए मैं भी हमेशा अपने बच्चे का नाम राम या साईं रखना चाहती थी (यदि लड़का हुआ तो) और कृष्णा (यदि लड़की) हुई तो। लेकिन उनके तरीके तो अलग ही हैं। बाबा के आशीर्वाद से गुरुवार को मेरे बेटे का जन्म हुआ और हमने उसे साईंएश नाम दिया। चमत्कारिक रूप से यह नाम हमारे मस्तिष्क में आया (यह बाबा ने ही सुझाया) और जब हमने यह देखने के लिए गुगल में ढूंडा कि यह नाम मौजूद है या नहीं? इसका अर्थ देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए, क्यूँकि उसका मतलब था साईं का बच्चा। उसका नामकरण और साईं नाम, यह भी बाबा का एक अलग और अद्भुत लीला है, यदि बाबा की इच्छा हुई तो मैं जल्द ही उसे आप सब को बताऊँगी। मैं उसे राम नाम देना चाहती थी लेकिन उसके नामकरण के लिए बाबा की लीला से मैं खुश थी। साईंश का नाम इस इरादे से रखा गया था कि मैं हर समय बाबा के नाम का जप कर सकू जैसे की पुराने ज़माने में लोग किया करते थे।
आज सवेरे ही बाबा ने मुझे एहसास दिलाया कि वह मुझे कुछ महीनों से नहीं बल्कि पिछले 9 सालों से नाम जाप के लिए तैयारी कर रहे है और मुझे व्यावहारिक मौका भी दे रहे है । क्योंकि जब हम किसी को कुछ सुझाव देते हैं तो हमें स्वयं को भी पालन करना चाहिए। मेरे कॉलेज के दिनों में, मैंने 2008 के अंत में आर्ट ऑफ लिविंग का कोर्स किया था। फिर 2009 में कुछ महीनों के बाद मैंने गुरुजी (श्री श्री रविशंकर जी) के संदेश को सुना कि यदि हम ॐ नमः शिवाय (108 बार) एक माला का जप करते हैं तो उस दिन के संभावित बाधाओं को कम किया जा सकता है। गुरु जी के शब्दों से प्रेरित होकर मैंने रोज़ाना जप करना शुरू कर दिया लेकिन कभी-कभी मैं भूल जाती, कभी-कभी दो मालाएं भी करती, कभी ओम गण गणपतय नमः, ओम साईं नाथाय नमः जैसे कुछ मंत्र भी जप्ती थी और कभी-कभी महीनों तक जाप नहीं करती थी। इसमें कोई स्थिरता नहीं थी, न ही 2011 के पहले यह मेरे जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा था। मेरी शादी 2011 में हुई, मेरे ससुराल वालों पुणे से इस्कॉन समूह से जुड़े हुए हैं, तो हमें सुधानिता प्रभुजी द्वारा उनके स्थान पर रात्रिभोज(dinner) के लिए आमंत्रित किया गया था । मैं हमेशा उनकी बहुत आभारी रहूंगी क्योंकि उस दिन उन्होंने मुझे नाम जाप और उसके महत्व के बारे में समझाया और मुझे कम से कम एक माला (108 नाम) करने के लिए कहा।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे।
उन्होंने मुझे समझाया कि इसमें कोई प्रतिबंध नहीं है और मैं इसे कहीं भी, कभी भी और बिना स्नान किये भी कर सकती हूं, क्यूंकि हमारी आत्मा शुद्ध है और हम मंदिर में पूजा नहीं कर रहे हैं । उस दिन जून या जुलाई 2011 से अब तक मैं जाप कर रही हु (यदि किसी दिन छुट भी गया हो तो बाबा मुझे इसे अन्य दिनों में पूर्ण करवा लेते है।) और अब यदि किसी दिन मैं जाप नहीं कर पाति हु तो मुझे अपूर्ण सा महसूस होता है।
फिर अगस्त या सितंबर 2016 के आसपास मैंने एक सपना देखा जहां मैं एक मंदिर में थी और वाहा बाबा की तस्वीरें थीं और मैंने किसी व्यक्ति की आवाज़ सुनी जो लगातार “मोक्षार्थ्याला मीळे गती ” यह जोरो से दोहराता जा रहा था। बाबा ने मुझे स्वामी समर्थ के नाम जाप का दो माला और गजानन महाराज (गण गण गानाट बोटे) के तीन माला जाप करने का स्पष्ट संकेत दिया था। मैं यह भी समझ नहीं पाया कि “मोक्षार्थ्याला मीळे गती” का क्या अर्थ है? मैंने केवल अनुमान लगाया की जिसे इस जीवन चक्र से मोक्ष पाने की इच्छा है वह (मोक्षार्थ्याला) शब्द से विदित होता है और भगवान के नाम के जप से इस मोक्ष की प्रक्रिया को गति मिलेगी यह (मीळे गती इस शब्द से विदित होता है। मैंने Google में धुंडने की कोशिश की और मेरी माँ, पिता और हेतल दी से भी पूछा किन्तु कोई भी इसका वास्तव अर्थ नहीं बता पाया और हेतल दी ने भी इसे कही नहीं सुना था। मैंने भी पहले कभी वह शब्द नहीं सुने थे। बाद में मैंने बाबा के मार्गदर्शन के अनुसार जाप करना शुरू कर दिया और उन 3 शब्दों पर ज्यादा नहीं सोचा।
एक साल बीत गया। बाबा की लीलाए समझना मेरे समझ से परे है। पिछले वर्ष (2017) महापारायण करते वक़्त गणेश चतुर्थी के समय मैंने कही गणपति स्तोत्र के केवल उसी वाक्य को पढ़ा”मोक्षार्थ्याला मीळे गती” और मैं आश्चर्य चकित हुई और समझ गयी की बाबा की हर क्रिया के पीछे हमेशा कोई अर्थ छुपा होता है और यह भी समझ गई कि वह वाकय वास्तव में है और इसका निश्चित रूप से कुछ अर्थ भी है। इसी कारण नाम जाप के प्रति मेरा विश्वास कई गुना बढ़ गया। बाद में अन्य जिम्मेदारियों के कारण मैं इसके अर्थ खोजना भूल गयी। मैंने गणपति स्तोत्र की तस्वीर भी पोस्ट की है इसमें मैंने उन शब्दों को पढ़ा था ।
फिर दिसंबर 2016 में मुझे एक और सपना आया था जिसके माध्यम से बाबा ने मुझे अपने नाम जाप की संख्याओं में वृद्धि करने का संकेत दिया था। धीरे धीरे बाबा ने मुझे 36 मालाएं करवाइ जिसे मैं खाना बनाने, यात्रा करने, ड्राइविंग करने, खाने, यहां तक कि फिल्में देखने के दौरान, और दैनिक विभिन्न गतिविधियों के दौरान स्संपन्न करती हु। बाबा ने मुझे मंजू जी के ग्रुप में निश्चित समय पर जाप करने मौका देकर व्यावहारिक विवरण भी दिया। अब जब मैं इन सभी कड़ियों को जोडती हूं, तो मेरे पास तो कोई शब्द ही नहीं होते है। जैसे की उन्होंने 2016 में सपने में “मोक्षार्थ्याला मीळे गती” यह शब्द को सुनाया और फिर 2017 में महापारायण के दौरान प्रतक्ष्य दिखाया है। वास्तव में उनके तरीके अद्भुत हैं। वह सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, डॉक्टर, इंजिनियर और सर्वश्रेष्ठ गुरु हैं। हमें उनपर दृढ़ विश्वास और धैर्य रखने की आवश्यकता है और फिर देखना है कि वो हमारे लिए कौनसे चमत्कार करते हैं। हम सब के लिए जो उचीत है वे वही करते है और वो भी उचित समय पर ।
25 जून 2017 को बाबा ने जो महापारायण से सम्बंधित सपना दिया था उसका संक्षिप्त संदर्भ देना चाहूंगी जहां बाबा ने महापारायण को वैश्विक स्तर पर करने का आदेश दिया था, मुझे याद है कि बाबा ने सपने में मंगलवार और बॉम्बे (मुंबई) भी कहा था। सपने के अंत में मैंने बाबा को हुंडी में खाना पकाते हुए देखा और कुछ एयरटेल के लोगो (logo) भी आसपास थे। बाबा ब्रह्मा महूरत खिचड़ी परायण शुरू करवाया जहाँ विभिन्न महाद्वीपों के भक्त भारतीय मानक समय (आईएसटी) के अनुसार प्रत्येक गुरुवार को 4 बजे इकट्ठा होते हैं, और उसी समय साईं सत्चरित्र के अध्याय भी साथ में पढ़ते है और अपना ग्रूप पारायण पूरा करते है। हम भोग में खिचड़ी बनाकर उसे दान करते हैं। यह ग्रूप और इसके प्रत्येक सदस्य के साथ इसका गठन अपने आप में एक चमत्कार है और आशा करती हु की बाबा जल्द ही इसके निर्माण के दौरान होने वाले सभी अद्भुत लीलाओ को लिखने का अवसर देंगे। बाबा ने मुझे मशहूर लेखिका भक्त “दी जान जया वाही जी” तक भी चमत्कारिक तरीके से पहुंचाया और मुझे प्रसन्नता है की वह भी इसका हिस्सा है। उन तक पहुंचना बहुत मुश्किल था किन्तु यदि बाबा स्वयं उन्हें इस कार्य से जोड़ना चाहते हो तो यह कैसे संभव है की यह ना हो। (मुझे इस पोस्ट को यही रोकना चाहिए, लिखना बंद करना बहुत मुश्किल है क्योंकि उनकी हर लीला में कई और भी लीलाए सम्मिलित होती है)।
यदि हम कड़ियों को जोड़े तो यह अनुमान लगा सकते है कि सपने में बाबा जो हुंडी में पका रहे थे उसे खिचड़ी परायण का संकेत समझ सकते है वैसे ही (मंगलवार) जो उन्होंने कहा था उसे हम महाजाप की सेवा शुरू करने का संकेत समझ सकते है जो माहा शिवरात्री से शुरू होगा जो आकस्मिक रूप से (13 फरवरी 2018) मंगलवार को है।अब हम ‘बॉम्बे’ शब्द (सपने के अनुसार) जो बाबा ने कहा था इसका आने वाले भविष्य में क्या अर्थ होगा इसकी हम उत्सुकता से प्रतीक्षा करेंगे। और भी बहुत कुछ है और इसलिए अगले पोस्ट जहां बाबा ने साईं महाजाप 24*7 और जीवन भर करने के लिए क्या संकेत दिया इसे पढने के लिए हमारे साथ बने रहिये।
साईं कथा अनंत है
साईं नाम अनमोल
जीवन सफल हो जाएगा,
साईं साईं बोल….!
अगला पोस्ट: लीलाएं जो दर्शाती है कि साईं बाबा स्वयं साईं महाजाप 24*7 के शिल्पकार है