साईं भक्त पुनीत कहते हैं: प्रिय हेतल जी, आपका साइट बहुत अद्भुत है। बाबा आपको इस साइट पर लेख लिखने और पोस्ट करने के लिए और अधिक प्रोत्साहन दें। मैं आपको अपना अनुभव बताने के लिए लिख रहा हूं, जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया।
दिसंबर 2008 तक, मैं साईं बाबा का भक्त नहीं था (काश मैं होता!!!) जनवरी का पहला सप्ताह मेरे लिए बुरी खबर लेकर आया, जिसके चलते मैं बहुत रोया| मैं सभी देवताओं में विश्वास करता हूँ। किसी व्यक्ति ने उस समय शिरडी मे साइ बाबा से, मेरे परिस्थिति मे सुधार के लिए प्रार्थना की, और लगता है बाबा ने उस प्रार्थना को सुनलिया। मैं अब साईं सच्चरित्र, साईं बाबा की कहानियाँ पढ़ता हूँ और भजन प्रतिदिन सुनता हूँ। मैं रोजाना दो बार साईं बाबा मंदिर जाता हूँ (पहले लोधी रोड मंदिर, लगभग शाम 7-7.30 बजे कार्यालय से लौटते हुए और दूसरी बार रात 9-10 बजे साकेत के साईं बाबा मंदिर की आरती के लिए। मैं दोनों मंदिरों में जाकर 40-45 मिनट बैठ जाता हूँ। मैं दोनों मंदिरों में रोज जाने की कोशिश करता हूं, लेकिन ऑफिस या घर की जिम्मेदारियों के कारण मुझे कभी-कभी लोधी रोड मंदिर नहीं जा पता हूँ।
एक शाम, मुझे ऑफिस से आने मे देर हो गया इसलिए मैं लोधी रोड मंदिर नहीं जा सका और केवल साकेत मंदिर गया। साई की लीला साई ही जाने। घर लौटे वक्त मेरे दिमाग में आया कि मुझे लोधी रोड मंदिर के पास से गुजरना चाहिए और बाहर से ही माथा टेकते हुए जाना चाहिए। इसलिए मैंने अपना मार्ग बदल दिया और लोधी रोड मंदिर जाने वाले मार्ग को पकड़ लिया। लोधी रोड पर साईं बाबा मंदिर से पहले ट्रैफिक सिग्नल है, जो मंदिर के पार्किंग क्षेत्र से मुश्किल से 50 मीटर की दूरी पर है। मैं ट्रैफिक लाइट के हरे होने का इंतज़ार कर रहा था, तभी अचानक बाईं तरफ एक ऑटो ड्राइवर ने मेरी कार की खिड़की पर दस्तक दी और मुझे बताया कि मेरे गाड़ी का टायर पंक्चर है। मैंने अपनी कार को केवल 50 मीटर की दूरी पर पार्किंग स्थान पर पहुँचाया, और मैकेनिक सेवा को कॉल किया। मैकेनिक ने मुझे बताया कि वह एक घंटे में आएगा। मैं बहुत खुश हो गया। मैंने अपना कार वहां खड़ा किया और मंदिर जाकर साईं बाबा को उनकी इस अद्भुत और प्यारी लीला के लिए धन्यवाद दिया। कोई इसे संयोग कह सकता है, लेकिन मेरे लिए यह एक बाबा का अद्भुत लीला था। यह उनका मुझे दरबार में बुलाने का तरीका था। कोई शक नहीं, मेरा श्रद्धा उसके प्रति और मजबूत हो गया है।
अब मैं शिरडी जाना चाहता हूँ। मैं वह कभी नहीं गया। मैं उस गाँव को देखना चाहता हूँ जहाँ वे घूमता थे। उन झोपड़ियों, उन भाग्यशाली पत्थर और घास जो उनके पैर चूमा करते थे, मैं देखना चाहता हूँ। मेरी इच्छा है कि मैं जल्द से जल्द वहां जाऊं। कृपया जल्दी से आने की अनुमति देना बाबा जी …
जय साईं राम
पुनीत