Devotee Experience – Anusuya से अनुवाद
दरअसल यह पोस्ट अप्रत्याशित थी। मैं साईं सरोवर की एक घटना का अनुवाद करने के लिए कल दोपहर को बैठी थी। उसी समय मुझे अनुसूया जी का यह मेल प्राप्त हुआ जिन्होंने अपना अनुभव साझा करना चाहा। तो इसे बाबा की आज्ञा मानकर पोस्ट को यहाँ साझा कर रही हूँ।
ॐ साईं राम
बाबा के साथ मैं अपना यह पहला चमत्कारिक अनुभव, हर साईं भक्त के साथ इस ग्रुप के माध्यम से साझा कर रही हूँ। क्या आप इसे अपनी पोस्ट में डालेंगे..(यदि बाबा की इच्छा हुई तो) पहले कभी मैंने शिर्डी साईं बाबा के बारे में कुछ भी नहीं सुना था और अपने जीवन में बाबा के किसी भी भक्त से तब तक नहीं मिली थी…
एक बार मेरी बहन अपने पति के साथ पुणे गयी थी और पुणे में उसे किसी ने (मेरे चाचा के सहकर्मी ने) कहा की शिर्डी भी जाओ जो कि पुणे के पास ही है। ऐसा लगता है की उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक साईं की इच्छा नहीं हो, कोई भी आसानी से शिर्डी नहीं जा सकता है। जैसे कि हमें पता है कि हम शिर्डी तभी जा सकते है और साईं को देख सकते है जब साईं की इच्छा हमें देखने की हो। परन्तु साईं बाबा की कृपा से उन्हें शिर्डी जाने का अवसर मिला और उन्होंने वहां से साईं की कुछ मूर्तियाँ अपने निकट सम्बन्धियों के लिए खरीदीं और वे मेरे लिए भी लाये। आरम्भ में मुझे बाबा के बारे में कुछ पता नहीं था तो मैंने वह मूर्ति घर के हॉल में शो केस में रख दी। लगभग 2 महीनो तक वह मूर्थी वहीँ रखी थी।
तब एक दिन मेरे पिता ने, जिस घर में हम रहते थे उसे बदलने की सोची। हम जिस घर में जाने वाले थे उस घर को हम देखने गए … मै, मेरी बहन और उसके पति… कोई भी उस नए घर में जाने के लिए तैयार नहीं था क्योंकि वह घर कई कारणों से सुविधाजनक नहीं था… लेकिन मेरे पिताजी बहुत जिद्दी है और अपने निर्णय पर ही टिके थे की हम उसी घर में जायेंगे… मेरी सहमती के बिना ही उन्होंने निर्णय ले लिया …. मेरी माता जी भी नहीं रहीं थीं….इसलिए मुझे यह सब सहन नहीं हो रहा था और पिताजी को निर्णय बदलने के लिए मैं मना भी नहीं कर पा रही थी।
मेरे परिवार के सभी लोग उस घर में जाने के विरुद्ध थे फिर भी मेरे पिताजी ने मेरी अनुपस्थिति में कुछ लोगों को घर ले आये और कुछ सामान नए घर में शिफ्ट करा दिया… मेरे पिताजी इस प्रकार के इंसान हैं कि यदि वे ठान लेते हैं तो फिर चाहे कुछ भी हो जाये वे मुकरते नहीं… और कभी भी अपने निर्णय को बदलते नहीं…उसी समय मेरी बहन ने बाबा की मूर्ति को देखा और कहा कि वह घर बदलने के लिए तैयार नहीं है , दरअसल उसने बाबा से पूरे दिल से भी प्रार्थना नहीं की थी तब… उसने तो बस ऐसे ही कहा था ।
लेकिन हम सभी को बहुत आश्चर्य हुआ कि उसी शाम (3 घंटे के भीतर) मेरे पिताजी बोले कि हम उस नए घर से सामान वापस ले आयेंगे…यह मेरे लिए बहुत आश्चर्यजनक था कि पिताजी ने निर्णय बदल लिया… दरअसल उन्होंने हमारे कहने पर हमारी इच्छा से निर्णय नहीं बदला था… मैं आश्चर्यचकित थी…तब मेरी बहन ने कहा कि यह केवल बाबा के कारण ही संभव हुआ है। जब वह मुझे बता रही थी, मेरे रोंगटे खड़े हो गये तब मैंने बाबा की मूर्ति पूजा घर में रखी और उस दिन से बाबा पर विश्वास करने लगी और मैंने कई मानसिक परिवर्तन भी अनुभव किए। कई आध्यात्मिक विचार मुझमें तुरंत उत्पन्न होने लगे। मुझे कई सारे चमत्कार अनुभव हुए हैं लेकिन मै यहाँ केवल अपना पहला अनुभव साझा कर रही हूँ ।
ॐ साईं राम
बाबा मुझे जीवन के हर क्षण में आपकी उपस्थिति का महसूस कराइए और बाबा कृपया मुझे इसे पाने का सही रास्ता दिखाइए…
जय साईं नाथ