Read in English My Life Journey With Shirdi Sai Baba
जय साईं राम,
प्रिय हेतल पाटिल,
कृपया मेरा यह अनुभव साईं परिवार के सभी सदस्यों को भेजें।
मैं अपना अनुभव (अपने पवित्र पिता श्री शिर्डी साईं बाबा का) अपने साईं परिवार से साझा करना चाहता हूँ। वर्ष 2002, मेरा स्थानान्तरण इंदौर हो गया। मैं रामगुंडम से भोपाल ट्रेन में एसी सेकंड क्लास में सफ़र कर रहा था ।
मेरी यात्रा रामगुंडम से प्रारंभ हुई, सुबह ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी, मुझे उस स्टेशन का नाम तो नहीं पता लेकिन इतना ज़रूर पता है कि वह महाराष्ट्र में है। मैं अपनी बर्थ पर बैठा था और मेरे सामने एक और सज्जन बैठे थे। अचानक एक महिला ट्रेन के भीतर आई (सामान्यतः एसी कोच में अन्य यात्रियों को प्रवेश भी नहीं करने देते हैं), उस महिला ने मुझे एक पुस्तक (साईं गीता) खरीदने को कहा। मैंने उसकी कीमत पूछी तो उसने कहा मात्र 20 रु.। मैंने उसे रुपए देकर पुस्तक ले ली। मैंने पुस्तक खोली “साईं गीता” (लगभग 600 पृष्ठों की) हिंदी में ऊपर लिखा था। आश्चर्य की बात यह थी कि मैं हिंदी ठीक से पढ़ नहीं सकता, परन्तु बाबा की कृपा से जब मैंने साईं गीता पढ़ना आरम्भ किया तो बड़ी आसानी से मैं पढ़ पा रहा था और उन वाक्यों का अर्थ भी समझ पा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि बाबा मुझे हिंदी सिखा रहे हैं और अब मैं हिंदी में कुछ भी पढ़कर समझ सकता हूँ। बाबा ने मुझे हिंदी सिखाई है। ट्रेन में मेरे सामने एक और सज्जन बैठे हुए थे जो कि सब कुछ ध्यान से देख रहे थे। जब वह महिला ट्रेन से बाहर चली गई, उन सज्जन ने पूछा, उसने केवल आपको ही पुस्तक खरीदने को क्यों कहा, मुझे क्यों नहीं? मैंने कहा मुझे नहीं मालूम।
मेरा पहला अनुभव
हमारी शादी के 2 वर्ष बाद मेरी पत्नी गर्भवती हुई (वर्ष 1997)। लेकिन 2 माह बाद ही गर्भपात हो गया। वह दुबारा गर्भवती हुई (वर्ष 2000), लेकिन डॉक्टर ने कहा कि आपकी पत्नी का गर्भाशय बहुत छोटा है इसलिए बच्चा ठहरना मुश्किल है। हमें बाबा पर विश्वास था, बाबा की कृपा से गर्भ 7 माह तक ठहरा और बच्ची ने जन्म लिया, परन्तु उसका वजन 1 किलो था, बिलकुल गुड़िया की तरह छोटी सी थी। डॉक्टर ने 21 दिनों तक कांच में रखा और बाद में बच्ची ठीक हो गई ।
मेरी बेटी 3.5 साल तक खड़ी नहीं हो पाती थी, न ही चल पाती थी। लेकिन हमें बाबा पर विश्वास था। आज वह तेज़ दौड़ती है। यह केवल हमारे शिर्डी साईं बाबा के कारण हुआ।
एक और अनुभव
जब मैं और मेरा परिवार बाबा के चरणों में प्रणाम करने शिर्डी गये (वर्ष 2005 में, और यह मेरी तीसरी यात्रा थी) जब हम द्वारकामाई पहुंचे, मैं बाबा के सामने अपने परिवार सहित बैठा और ध्यान करने लगा। कुछ समय बाद जब मैं ध्यान में था तो एक बिल्ली आई और मेरे हाथ पर बैठ गई ।
जब मैंने ध्यान ख़त्म किया बिल्ली को वैसे ही बैठे देखा। बिल्ली मेरे हाथ में सो गई थी। मुझे दर्शन के लिए जाना था, मैं सोच ही रहा था कि बिल्ली को कैसे जगाऊं, तभी बिल्ली उठी और एक व्यक्ति के पास चली गई, जो कि बाबा की तरह ही पोषक पहने हुए था। वह व्यक्ति मेरी ओर देखकर मुस्कुराया, मैं भी मुस्कुराया।
इसके बाद हम बाबा के समाधि दर्शन को गये। बाबा के समाधि मंदिर में प्रणाम किया और बाहर आ गये। जब हम बाहर आये, तो देखा वही व्यक्ति, जो द्वारकामाई में मुझे देखकर मुस्कुराया था, मेरे पास आकर बोला –”क्या मुझे चाय के लिए रूपये दोगे?” मैंने 20 रुपये दिए और उदी लेने चला गया। उसके थोड़ी देर बाद मुझे इंडोनेशिया से फ़ोन आया कि मेरा वेतन बढ़ गया है और 20000/-रु. वेतनवृद्धि मिली है। जी हाँ बीस हज़ार । मैंने बाबा के चमत्कार को महसूस किया।
आज मैं सिंगापुर में एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी में काम करता हूँ (मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सिंगापुर में काम करूँगा) और मेरा वेतन इतना ज्यादा है, जितना मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। अब मैं अपने परिवार के साथ यहाँ रहता हूँ। मैं कहता हूँ यह सब केवल शिर्डी साईं बाबा के कारण ही हुआ है ।
हमारे लिए बाबा ही सब कुछ हैं ।
जय साईं राम
धन्यवाद
श्रीनिवास