Shirdi Sai Baba Gifts Me A Pink Dress से अनुवाद
आज जब मैंने एक लंबे अंतराल के बाद कुछ लिखना शुरू किया, तो मुझे एक घटना याद आई, जिसे बाबा के दिन (गुरुवार ) में साझा करने उचित होगा। हालांकि मैंने अपने पहले पोस्ट में सूचित किया था कि मेरी परीक्षाओं के कारण मैं साईं सरोवर से लेखों का अनुवाद नहीं कर पाऊँगी, पर फिर भी यदि शिर्डी साईं बाबा चाहे तो पोस्ट लिखना बंद नहीं होगा। उनकी कृपा से एक दिन भी ऐसा नहीं था जब कोई पोस्ट न हो। मुझे कई भक्तों के मेल मिले है , जिन्होंने अपने अनुभवों को ब्लॉग पर पोस्ट करने के लिए कहा । उन सभी के योगदान के लिए मेरा दिल से धन्यवाद।
हर दुसरे दिन, मैं इस ब्लॉग पर एक लेख या अनुभव पोस्ट कर रही हूं और दूसरे ब्लॉग पर साई बाबा के भजन को। कल एक भक्त का अनुभव पहले से ही इस ब्लॉग पर पोस्ट किया जा चूका है और आज एक भजन की बारी थी। लेकिन मैं यह नहीं करुगी । इसके बदले मैं आपके साथ मेरा एक अनुभव साझा करना चाहती हूं, जिसमें श्रीमती शशिकाला रविवेंकटेशन भी शामिल हैं, क्यूंकि यह बाबा का दिन हैं। पोस्ट के शीर्षक से हम इसे एक अनुभव तो नहीं कह सकते है; यह बहुत ही उपयुक्त है, जिसे आप पूरी घटना को पढ़ने के बाद समझ सकते हो।
कुछ दिन पहले (या एक महीने पहले कहो), मुझे श्रीमती सशिकला रविवेंकटेशन के साथ मेरा परिचय हुआ। हम दोनों एक ही शिरडी साई बाबा का याहू ग्रुप शेयर करते हैं, इसलिए हम संपर्क में आए। इस ब्लॉग पर एक लिंक है जहां कोई भी शिरडी साईं बाबा से सवाल पूछ सकता है और उनसे जवाब प्राप्त कर सकता है। उन्होंने भी उस वेबसाइट पर जाकर शिरडी साईं बाबा से कुछ सवाल पूछे होंगे। उन्हें जवाब मिला कि उन्हें अपनी एक पसंदीदा व्यक्ति को गुलाबी पोशाक देनी चाहिए। वही उन्होंने मुझसे भी चैट करते समय मेरी पसंदीदा रंग के बारे में पूछा। मैंने लैवेंडर और गुलाबी लिखा था हालांकि मुझे काला, लाल और लैवेंडर रंग पसंद है, पर ऐसा मैंने क्यों लिखा यह तो साईं बाबा ही बहुत अच्छी तरह जानते हैं और बाद में मुझे भी पता चला।
सशिकला जी ने कहा कि उन्होंने सही अनुमान लगाया था। इसपर मैंने सामान्य ‘ओके’ कहा । मैंने इसे एक सामान्य बातचीत के रूप में सोचा और इसलिए मैंने नहीं बताया कि असल में कौन सा रंग सबसे अच्छा लगता है और हमारी बात आगे बढी। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं किस प्रकार के कपड़े पहनना पसंद करती हूं और इसी तरह के उन्होंने प्रश्न किये और मैंने उन्हें उत्तर दिए। अंत में उन्होंने खुलासा किया कि शिरडी साईं बाबा ने उन्हें अपने पसंदीदा व्यक्ति को गुलाबी रंग की पोशाक देने के लिए कहा था और उन्होंने मुझे चुना था।
मैं आश्चर्यचकित थी और उनसे मैंने अनुरोध किया कि वे मेरे लिए कोई कष्ट न उठाये। उन्होंने मेरी बातों को ना मानते हुए कहा कि यह शिरडी साईं बाबा का सीधे आदेश है। अंत में मुझे उनकी बात माननी पड़ी। मैं इसे साईं बाबा की इच्छा समझती हु क्योंकि उनके पास अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है और वह बहुत अच्छी तरह जानते है कि मेरे लिए क्या अच्छा है। सशिकला जी ने मेरे लिए एक सुंदर गुलाबी ड्रेस खरीदी और मुझे बताया। यहाँ मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूंगी कि मैं कभी भी गुलाबी रंग के प्रति आकर्षित नहीं हुई और इसलिए मेरे पास इस रंग का कुछ भी नहीं था। लेकिन जैसा कि साईं बाबा की इच्छा थी, तो मुझे कुछ कहना ही नहीं था।
फिर से अगले दिन उन्होंने मुझसे कहा कि उन्होंने गुलाबी ड्रेस को मैरून रंग के ड्रेस से बदल दिया। मेरे पसंद का ख्याल रखने के लिए मैंने साई बाबा को मानसिक रूप से धन्यवाद दिया। उन्होंने मैरून रंग की कान की बालियाँ भी खरीदी । जिस दिन वह सब भेजने वाली थी तो अचानक उनके मन में कुछ चलने लगा और उन्होंने फिर से उस मैरून ड्रेस को किसी दुसरे गुलाबी ड्रेस से बदल दिया । इस प्रकार, उन्होंने मुझे एक गुलाबी ड्रेस, मैरून रंग की बालियां और काले रंग की क्रिस्टल पत्थर की पायल भेजी । ओह क्या रंगीन साई की लीला है !!! साईं बाबा की पसंद का एक रंग और मेरी पसंद के दो अन्य रंग।
यह सब श्रीमती शशिकला रविवेंकटेशन को नहीं मालूम था, मैं भी चुप रही, क्योंकि में अपने प्रति उनकी भावनाओं को जानती थी और उन्हें निराश नहीं करना चाहती थी । उसके उपहार (बल्कि साईं बाबा के उपहार) को प्राप्त करने के बाद मैंने उन्हें सब कुछ बताया उन्होंने भी इसे साईं बाबा की इच्छा के रूप में स्वीकार किया और बहुत खुश हुई ।
साईं बाबा कभी खुद पर श्रेय नहीं लेते। इस मामले में भी वह इस दृश्य के पीछे थे, सिर्फ हमें मंच पर अभिनय करते हुए देखने के लिए, जो उनके द्वारा रचा हुआ था । गुलाबी रंग को प्यार का प्रतीक माना जाता है, प्यार का रंग और साईं बाबा ने इस तरह से मुझ पर अपना प्यार बरसाया है। साईं बाबा कहते थे कि भौतिकवादी चीजें एक दिन नष्ट हो जाती है, लेकिन अगर उनके द्वारा दी गयी हो , तो इसका मूल्य, देवत्व और शुद्धता दुनिया के किसी भी पैमाने पर मापा नहीं जा सकता । भले ही उनका उपहार भौतिक रूप में हो, पर मैं इसके मूल्य को माप नहीं सकती।
मैं अपने सद्गुरु के चरणों में अपने आप को समर्पित करती हु और उनको मेरा हार्दिक धन्यवाद इस प्यारे गुलाबी ड्रेस के लिए!!!