Devotee Experience – Aarti से अनुवाद
यह शिरडी साईं बाबा की एक और भक्त का एक और बढ़िया और दिल छूने वाला अनुभव है, जो मेरे दिल को छू गया क्यूँकि काफी हद तक यह एक बहन का उसके भाई के लिए प्यार और स्नेह है।
अनुभव इस प्रकार है :
जय साईं राम हेटल पाटिल जी,
मैं हमेशा से साईं बाबा के बारे में अपना अनुभव बताना चाहती थी लेकिन कुछ ना कुछ समस्याएं आती रही और इसके कारण मैंने लिखने का विचार छोड़ दिया था…
1. आज मेरा दिन है , मेरे परिवार का दिन है…
मैं बचपन से ही बाबा की पूजा कर रही हूं क्योंकि साईं मंदिर मेरे घर के पास ही है। मैं सई मंदिर नियमित रूप से जाती हूं। मैने बचपन में बाबा की कहानियाँ, उनके जन्म के बारे में और उनके आशीष के बारे में कभी नही सुना था। बस मंदिर में उनकी मूर्त होने के कारन मैं अन्य देवताओं की तरह उनकी भी पूजा करती थी । धीरे-धीरे जब मैंने भगवान के उद्देश्य को समझना शुरू किया तो मुझे साई बाबा के बारे में पता चला।
आमतौर पर मेरे मित्र या रिश्तेदार अक्सर शिर्डी जाते हैं और मेरे मन में यह कभी नहीं आया की मुझे भी शिर्डी जाना है। एक दिन मैं अपनि सहयोगी से ऑफिस में बात कर रही थी, वह शिरडी में जाने की योजना बना रही थी और मुझे नहीं पता कि मेरे मन में क्या आया, पर मुझे ईर्ष्या हो रही थी और मैंने शाम को बाबा से कहा, ” कभी मुझे भी बूला लो”- एक सप्ताह के भीतर ही हमारे रिश्तेदारो ने मेरी माँ से पूछा कि ” क्या आरती हमारे साथ शिर्डी जाना चाहती है “। मैं उस परिवार के ज़्यादा क़रीब नही हूं, मगर अचानक मैंने कहा कि हाँ, मैं जाना चाहती हूं। तो इस तरह से साई की कृपा से मेरी शिर्डी की पहली यात्रा हुई, जो बहुत अनिश्चित थी और मैंने कभी इसकी उम्मीद नहीं की थी। बाबा ने वास्तव में मुझे मेरे सिर्फ एक अनुरोध पर बुलाया… साई बाबा को मेरा धन्यवाद।
शिर्डी की मेरी यात्रा बोहुत ही अच्छी थी बाबा ने मुझे खुले दर्शन दिए और मुझे बहुत प्यार दिया… साई बाबा को धन्यवाद …
2) पिछले साल जून 2007 में, मेरा छोटा भाई CPL (पायलट की ट्रेनिंग) के लिए अमरीका जा रहा था। हम सभी बहुत ही चिंतित थे क्यूंकि वो मुझसे 5 साल छोटा है, उसे एक अनजान देश में भेजना हमारे लिए मुश्किल था।
30 दिसंबर, 2007 तक सभी चीजें ठीक चल रही थीं। वो वहा पर खुश था और अचानक 31 दिसंबर 2007 को एक एक्सिडेंट के कारण उसके बाएँ हाथ की हड्डी टूट गई और उसका ऑपरेशन किया गया। उसके दो हड्डियों में फ्रैक्चर हो गया था।
जब वह 13 साल का था तब भी उसके बाएँ हाथ का ऑपरेशन किया गया था और इस बार फिर उसी हड्डियों में फ्रैक्चर हुआ था। मेरे माता-पिता इस बारे में नहीं जानते थे, हमने उन्हें नहीं बताया क्यूंकि मेरे पिताजी बहुत संवेदनशील हैं और यह सहन नहीं कर पाते, इसलिए मैंने इस बारे में उन्हें ना बताने का फैसला किया । मैंने अपने भाई और परिवार की देखभाल करने के लिए बाबा से प्रार्थना करी। हम उस समय असहाय थे, पता नहीं थाकि कि क्या करना चाहिए…. पूरी तरह से हम नियंत्रण खो चुके थे और फिर बाबा ने हमारी मदद की। मेरे भाई के दोस्तो ने उसका बोहुत साथ दिया और एक दीदी (जो की एरिज़ोना की निवासी थी, जो अमेरिका में है) उसे अस्पताल ले गयी और उसका ऑपरेशन करवाया। बाबा ने सच में हमारी बोहुत मदद की और हमे आशीर्वाद दिया। साईं बाबा को धन्यवाद
3) अब उसे दो महीने हो चुके थे, वह बिना किसी काम के था और वहां कुछ भी नहीं कर रहा था। न तो वह उड़ान भर सकता था और न ही कॉलेज जा पता था… फरवरी 2008 में वह पूरी तरह डिप्रेशन में आ गया था, वह अपनी ट्रेनिंग पूरी करके भारत वापस लौटना चाहता था,… लेकिन कॉलेज की फ़ेकल्टी कई सारे कारणों की वजह से उसकी उड़ान का समय निर्धारित नहीं कर रहे थी। हम सब बहुत परेशान थे, मेरे पिताजी उसे बार-बार पूछते की, तुम क्यों नहीं उड़ान कर रहे हो, क्या हुआ .. और हम दोनों कहते कि मौसम की स्थिति के कारण उसे उड़ान भरने में समस्याएं आ रही है। हमने और भी अन्य झूठे कारण बताये.. पिताजी भी काफी चतुर हैं, वह अलग-अलग तरीकों से पता लगाने की कोशिश कर रहे थे, यह जानने के लिए कि क्या हो रहा है, कभी-कभी माँ से पूछते, कभी मुझसे और कभी भाई से चूंकि वह भी चिंतित था और वह वास्तव में पिताजी के बोहुत करीब था। यहां मेरी माँ भी हमारे परिवार के लिए एक बड़ा सहारा थी। उन्हें इन सब बातों के बारे में पता था… वह भी माता रानी, बाबा और सभी देवीयो से प्रार्थना कर रही थीं।
हम बाबा से प्रार्थना करते रहे कि कृपया हमारी मदद करें और अब सारी समस्याएं हल करें। अब हमें से सहन नहीं हो रहा था और मैं निरन्तर लोधि रोड वाले साईं मंदिर जाती रही, मैंने 11 दिनों तक लगातार साईं मंदिर जाने का फैसला किया। एक दिन मेरी माँ ने कहा कि हम तब तक हर दिर साईं मंदिर जायेंगे जब तक मेरा भाई वापस नहीं आ जाता, बाबा ने मेरी प्रार्थना सुनी और मेरे भाई ने उड़ान शुरू कर दी थी। मार्च 2008….बाबा को बोहुत धन्यवाद
4) अब, यह प्रशिक्षण की दूसरी परीक्षा का समय था। वह बहुत डर रहा था क्योंकि उसका प्रशिक्षक अच्छा नहीं थे और काफी समस्याएं पैदा कर रहे थे। मैंने अपने भाई को कहा की वह सिर्फ अपनी पूरी कोशिश करे और बाबा में विश्वास रखे। तुम निश्चित रूप से गुरुवार को ही परीक्षा में पास हो जाओगे। बाबा ने इस समस्या का भी समाधान किया और हमारी मदद की। मई 2008….. बाबा को धन्यवाद
5) जून 2008 – इस महीने भी समस्याएं हुईं, उड़ान के लिए कुछ तय नहीं हो रहा था, उसके प्रशिक्षक एक के बाद एक बदलते जा रहे थे। उसके दोस्तों के साथ सब कुछ अच्छे से हो रहा था केवल मेरे भाई के साथ ही समस्याएं हो रही थीं। वह बहुत परेशान था क्यूँकि हमने 25 लाख रुपये का लोन भी लिया था और EMI भी शुरू हो चुका था। वह चिंतित था की मेरे पिताजी पैसे का भुगतान कैसे करेंगे और मेरी विवाह की भी उसे चिंता थी। अचानक मार्केट में भी पायलटो के लिए नौकरी की कमी थी, मेरे परिवार वाले यह सोचकर बोहुत परेशान थे कि अब क्या होगा । उसके करियर से संबंधित सभी समस्या हमारे दिमाग में चल रही थी।
उसे 23 जून, 2008 से पहले ही भारत वापस लौटना था । उसकी (ओपन फ्लाइंग टिकीट) केवल एक वर्ष के लिए मान्य थी। उस समय आर्थिक समस्याओ के कारन हम टिकट खरीदने में भी असमर्थ थे।
अब उसके कोर्स को पूरा करने के लिए सिर्फ 10 उड़ाने करनी थी और हम खुश थे कि वह 31 जुलाई 2008 को वापस आ जाएगा। सबकुछ हो चूका था, और हम सब बहुत खुश थे। पर अचानक से विमान ने काम करना बंद कर दिया और कॉलेज के अधिकारियों के अनुसार, विमान कम से कम एक महीने के लिए उड़ान नहीं भर सकता था। और मरम्मत करने के बाद भी 31 जून से पहले कोर्स पूरा करने की संभावना बहुत कम थी। हम सब पूरी तरह से गड़बड़ हुई स्थिति में थे और हम सब अन्दर से टूट चुके थे। हमने कई जगहों पर उसकी कुंडली दिखायी, कोई भी हमारे पक्ष में नहीं था। सभी कह रहे थे कि वह कोर्स को पूरा किए बिना ही आएगा, हमे ऐसा लग रहा था जैसे हमारे जीवन में कुछ बचा ही नहीं।
लेकिन मैंने अपना विश्वास नहीं खोया था – मैंने बाबा से प्रार्थना की और उन्होंने हमारी प्रार्थना सुनी। मुझे पूरा विश्वास था कि विमान एक सप्ताह के भीतर वापस आ जाएगा और मेरा भाई इस कोर्स को पूरा करेगा।
इस बीच एक चमत्कार भी हुआ। मेरे माता-पिता हर दिन सुबह को माता रानी की आरती में सम्मिलित होते है । एक दिन हम सभी सुबह को आरती में सम्मिलित हुए, तब एक काला कुत्ता हमारा पीछा कर रहा था। जब तक हम घर नहीं पहुँचे तब तक वह हमारी इमारत में प्रवेश करने के लिए कई अन्य कुत्तों से लड़ता रहा। मेरा घर मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। उसने हमारे घर पर आकर दूध पीया और किसी को नुकसान पोह्चाये बिना वह चुप चाप चला गया ।
उसके बाद सभी समस्याएं हल हो गईं और मेरा भाई 26 अगस्त 2008 को घर वापस आ गया ।
इन सब में, 9 गुरूवार का उपवास भी सच साबित हुआ। मेरे 5वें साई व्रत के दिन , मुझे खबर मिली कि मेरा भाई वापस आ रहा है।
उन्होंने मेरी इच्छा पूरी की, आज मैं, मेरा परिवार, मेरा भाई हम सभी एक साथ हैं और जीवन का आनंद ले रहे हैं। बाबा ने उसकी मदद की और उसे सभी दुखों से बचा लिया … बाबा को लाख लाख धन्यवाद …
मुझे पता है, बाकि की सारी परेशानिया जैसे नौकरी, लोन, घर, मेरी शादी और सभी समस्याओं के लिए वो हमारा मार्गदर्शन करेंगे और सब कुछ ठीक करेंगे। बाबा को पहले से ही उन सब के लिए धन्यवाद् ..
यहाँ जो भी है वह सब कुछ आप ही के कारन है … .जय साईं राम
जय साईं राम
जैको रखे साईंयां मार सके ना कोई .. जय साईं राम
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजा धीरज योगी राज परब्रह्म श्री सचिदानंद सद्गुरु सैनाथ महाराज की जय ..
बाबा कृपया हमारे साथ हमेशा रहें .. बाबा धन्यवाद .. बाबा धन्यवाद
आरती भसीन