Devotee Experience – Sanjay से अनुवाद
भक्तो के अनुभव – संजय जी
हेतल जी कहती है की – कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं क्यूँकि मैं कई साईं भक्तों को जानती हु जिन्होंने साईं बाबा के बारे में अपने अनुभव मुझे बताये हैं। यहां मैं एक और अनुभव को आप सभी के साथ बांटना चाहूंगी इस अनुभव को एक परिवार के सदस्य ने बताया, जो साई बाबा के एक दृढ़ भक्त हैं और जो
मेरे ब्लॉग के लिए सही ड्राफ्ट भी होगा।
वह भक्त सूरत शहर का निवासी है। वह शुरू में तो साईं भक्त नहीं थे, लेकिन नीचे की घटना के बाद वह साई बाबा के पक्के भक्त बन गए। उनके पास एक बाइक थी। उनके परिवार के एक सदस्य, जिनके अनुभवों को भी यहाँ पोस्ट किया गया है, उन्होंने शिर्डी से साईं बाबा का एक छोटा स्टीकर लाकर उनको दिया था। उस भक्त ने स्टीकर को अपनी बाइक के सामने की तरफ चिपका दिया। एक दिन वह अपनी बाइक से घर लौट रहे थे। सामने से आने वाली एक गाडी ने उनके बाइक को तेज़ टक्कर मारी ।
साईं बाबा की कृपा से उनके शरीर पर एक खरोंच भी नहीं आई । लेकिन बाइक के सामने वाला हिस्से काफी क्षतिग्रस्त हो गया और फिर उसे ठीक भी करवाया गया । फिर से उस भक्त ने उसी स्थान पर साईं बाबा के स्टीकर को चिपका दिया। कुछ महीनों के बाद, एक दिन वह अपने सहकर्मियों के साथ सड़क पर खड़े थे और बाइक भी उनके बगल में ही थी। अचानक एक वाहन सामने से आया और उनके बाइक को जोर् से टक्कर मारा । फिर से उसी हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और फिर उसकी मरम्मत कराइ गई
इन दो घटनाओं के बाद भक्त की पत्नी ने साई बाबा के स्टिकर को फिर से ना लगाने का फैसला किया। उसने अपनी ननंद से इस मामले पर चर्चा की। जैसा कि उनकी ननंद साईं बाबा की भक्त थी, इन घटनाओं को सुनकर, वह निष्कर्ष पर पोह्ची और भक्त की पत्नी से उस स्टीकर को लगाये रखने का अनुरोध किया। उसने कहा कि आपके पति पर जो कुछ भी संकट आए, वह साईं बाबा ने खुद पर ले लिया था क्योंकि दोनों घटनाओं में बाइक के सामने का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था, जहां पर साईं बाबा स्टिकर के रूप में थे और इस प्रकार उनके पति को बाबा ने बचाया। भक्त की पत्नी ने इस बात को स्वीकार किया और आज भी जब उनकी नई बाइक होती है तो साईं बाबा का स्टिकर उसी जगह पर लगाया जाता है जहां पहले लगाया जाता था।
ओह, बाबा की क्या लीला है उनके भक्तो को बचाने की
मेरा कोटि कोटी प्राणम मेरी साईं को !!!
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SAI…SAI…