पुष्पा: बाबा की कृपा से बिजी की अंतिम इछाएँ पूरी हुईं


Sai Baba Ensures Peaceful Death – Experience of Pushpa से अनुवाद

भक्तो के अनुभव – डॉ. पुष्पा

आज, साई लीला पत्रिका के पिछले संस्करणों (edition) को पढने के दौरान, मुझे एक लेख नज़र आया जो ‘साई सहचार्य’ के नाम से था। पहले तो मैं इसे शिर्डी साईं बाबा के आध्यात्मिक शिक्षाओं के बारे में एक लेख के रूप में समझ रही थी जो उनके किसी कार्य से जुड़ा होगा । लेकिन आगे पढ़ने पर मुझे एहसास हुआ कि यह साईं भक्त डॉ पुष्पा जो अंबाला कैंट में रहती है यह उनका अनुभव था। यह लेख मेरे दिल को इतना छु गया था कि लगभग मेरी आँखों में आंसू आ गए और मैंने इसका अनुवाद करने का निश्चय किया ।
यह रहा वो लेख : –

यह ब्रह्मांड शिर्डी साईं बाबा द्वारा बनाया गया है। साईं बाबा हर पल हमें सुनते है। वह हमेशा बुरे से बुरे समय में हमारे साथ खड़े होते है और हमें उनकी उपस्थिति महसूस करते है। यही चीज़ हमने भी 15 जून, 2006 को अनुभव की थी। वह गुरुवार का दिन था। हमारी प्रिय बीजी (दादी – यहां भक्त की सास) उनका स्वास्थ्य रोज़ाना बिगड़ता ही जा रहा था। वह शारीरिक रूप से बहुत कमज़ोर थीं, लेकिन मानसिक रूप से बिलकुल स्वस्थ थी। अचानक शनिवार 10 जून, 2006 को, उनका स्वास्थ्य बोहुत ज्यादा खराब हो गया था और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। मेरी बेटी आस्था को शिर्डी साईं बाबा में बोहुत श्रद्धा है। उसने शिरडी से कुछ छोटी तस्वीरें खरीदी थी, मैंने उनमें से एक तस्वीर को मेरी सास के सीने के पास रखा और दूसरे को उनके बिस्तर के पास की दीवार पर रखा था जहां उन्होंने अपना सिर रखा था । तब से उसके स्वास्थ्य में सुधार होना शुरू हो गया।

बुधवार, 14 जून, 2006 को उन्होंने साईं बाबा का प्रसाद (भेंट) माँगा । हमने उन्हें बताया कि अगले दिन गुरुवार है, इसलिए हम उन्हें अगले दिन प्रसाद देंगे। लेकिन जब हम अगले दिन अस्पताल पहुंचे, हमने देखा कि बजी को वेंटिलेशन पर रखा गया था। उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। मैंने विभूती को साईं बाबा के फोटो के पास रखा और फिर उसे बीजी के मुंह में थोडा डाला। कुछ समय बाद बीजी की सांस शुरू होने लगी। हम सभी एक-दूसरे की तरफ देखने लगे और एक-दूसरे से अपने आँसू को छिपाने की कोशिश करने लगे, हमारे मन में डर भरा था। मौत के उस दृश्य ने हमें मंद बना दिया था। बिजी के कमरे में भयानक निस्तब्धता थी। एक-दो घंटे बाद उनका स्वास्थ्य और भी खराब हो गया था।

सबसे भयानक क्षण तो वह था जब उन्होंने अपनी पूरी जोर लगाकर सांस को खींचते हुए कुछ बोलने की कोशिश की, लेकिन वह एक भी शब्द नहीं बोल पाइ। बीजी ने हमें हर एक को बुलाया, उनके होंठ हिल रहे थे, उन्होंने पूरी ताकत से बोलने की कोशिश की, लेकिन कोई आवाज नहीं निकली। हम इस दयनीय स्थिति में बहुत असहाय महसूस कर रहे थे। बार-बार हमारे मन में यही बात उठ रही थी कि बिजी की कौन सी वह इच्छा है जिसे हम पूरी नहीं कर पा रहे। हम सब अपने कानों को एक-एक करके बजी के होंठों के एकदम पास लेकर गए, लेकिन हर बार शब्द अस्पष्ट ही थे और हमे कुछ भी नहीं सुनाई दिया ।

कुछ समय बाद हमे लगा कि वह अपूर्व-आस्था को बुलाना चाहती हैं। इसलिए, हमने उन्हें फोन किया और वे चंडीगढ़ से एक घंटे में यहाँ पहुंच गए। आस्था अपनी दादी के हाथ को उसके हाथ में लेकर रोने लगी। कुछ बुज़ुर्गों ने कहा कि अब भगवान ने उनकि आवाज़ ली है और अब उनक अंतिम क्षण आ गया। लेकिन, आस्था ने जवाब दिया कि आप ऐसा क्यों कहते हो ? साईं बाबा निश्चित रूप से इनको ठीक कर देंगे । उसके बाद, वह बिजि के सिर के पास बैठकर रोने लगि और एक साथ साईं नाम जाप करने लगि । उसकि आँखों से लगातार आँसु बह रहे थे और सांस के सथ ‘जय साईं राम’ ……. ‘जय माता दी’ सुनाई दे रहा था। बिजी ने उसका गाल चूमा और शांत पड़ गयि । उस प्रेम भरे दृश्य ने हमारे दिल को अनदर तक छुआ, लेकिन हम असहाय थे। हमें ऐस लगा जैसे हमरे दिल पर पहाड़ टूट पडा हो।

अचानक शाम को बिजि ने “पुष्पा” कहा और 8 बजे तक दूध लाने के लिए मुझसे कहा। कुछ समय बाद बिजी ने बोलना शुरू कर दिया। वह दृश्य देखने लायक था जहाँ दादी और पोति आंसू के साथ अपनी खुशी व्यक्त कर रहे थे। शिर्डी साईं बाबा के इस चमत्कार को सलाम! सभी व्यक्ति, जो भि बिजि के पहचान वाले थे, उनको बोलता देख कर आश्चर्यचकित हुए। शिर्डी साईं बाबा ने अपनि दिव्य आवाज़ उनहे भेंट की। एक रात पहले बिजि मकके कि रोटी और साग खाना चहति थी और उनकी यह इच्छा हमारे दोस्त डॉ बंसल ने पूरी की थी।

इसके बाद बीजी और आस्था हर दिन एक दुसरे से दिल की बात करते और बच्चों की तरह मज़ाक करते थे। कुछ समय आराम करने के बाद बातो के बिच मे ‘ओम साईं राम’ और ‘राम राम’ जैसे शब्द कहते थे। आस्था अपनी बैंक की ट्रेनिंग को चंडीगढ़ में बीच में छोड़ कर आइ थी। वह घर पर बहुत ही कम समय वयतित करती थी और अस्पताल जाने के लिये दौडती थी। जब मैंने उससे पूछा, तो उसने कहा कि मैं बीजी से बात करना चाहती हूं, बाबा ने मुझे मौका दिया है। बीजी बोहुत दर्द में थी, लेकिन जब वह आस्था से बात करती, तो उनका दर्द गायब हो जाता था। कोई नहीं जानता था कि उन दोनों मे क्या बाते होती थी जो उन्हे ब्रह्मालोक की खुशी देती। हम इस चमत्कार को देखने के बाद साईं बाबा कर्जदार हो गये। उनकि बातेँ चार दिनों तक जारी रहीं। वेंटिलेशन हटा दिया गया था सभी रिपोर्टें भी नॉर्मल आइ थी। सभी ने राहत की सांस ली और रविवार को आस्था और अपूर्वा रात के 11 बजे तक अपनी मस्ती भरी शरारत करने मे व्यस्त थे। जब बिजी को नींद आ रही थी तो वह अपने पिता के साथ घर जाने के लिये निकल पडे।

कुछ महीनो से, हम साईं बाबा का सीरियल देखते थे जो स्टार प्लस पर आता था, पर पिछले एक महीने से वह प्रसारीत नही हो रहा था इसीलिए हम उसे देख भी नहीं पाते थे। पर जब हमने इस बार रात 9:10 को अपना टेलीविज़न चालू किया तब वही सीरियल चल रहा था। उसमे तात्या पाटिल के पिता की मृत्यु का दृश्य चल रहा था, तात्या पाटिल के पिता मृत्यु शैय्या पर थे और अंत में उनकी आत्मा साईं बाबा में विलीन हो जाती है, और वह कहते है की अब इनका जन्म कभी नहीं होगा।

हमें प्रकृति के नीयमो का पालन करना चाहिए, और मृत्यु तो निश्चित है। ‘इसके बाद सीरियल समाप्त हुआ, मृत्यु के डर से मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था। इस तरह साईं बाबा ने इस पूरी घटना में अपनी कृपा का ठप्पा लगाया और भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत दिया।

पूरी रात मेरी आंखों के सामने मौत का वही दृश्य घूम रहा था और आखिरकार मैंने साईं से प्रार्थना करी कि मेरे अंत समय में मुझे भी उसी तरह ले जाए, और मुझे भी उनके साथ एकाकार बना दे। हे सई, मेरे आखिरी क्षण तक मुझ पर अपना अनुग्रह बनाये रखे ।

सुबह मेरा, नियमित काम शुरू हुआ। मेरी बेटी चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गयी और मैं अस्पताल जाने के लिए तैयार हो रही थी और बिजी की मौत की खबर हमे मिली। हमारा मन उदासी से भरा हुए था लेकिन हमें इसका प्रमाण भी मिला कि साईं बाबा ने पूरी घटना को आशीर्वाद दिया था। साईं बाबा की कृपा से बिजि की आवाज़ लौट आना, धारावाहिक का अंतिम दृश्य, मृत्यु का भय, अब हर घटना के पीछे का कारण स्पष्ट था और मेरी आँखों के सामने था।

हमारी बीजी अपनी बीमारी से पूरी तरह ठीक होने के बाद साईं बाबा में विलीन हो गईं। इन चार दिनों में उनके मन की सारी इच्छाएं पूरी हुईं। इस दुनिया को छोड़ने से पहले वो हर नजदीक और दूर के रिश्तेदार से मिली। बीजी हर किसी से पूरे होश में मिली ।

आस्था और अपूर्व बिजि की मृत शरीर को देखकर स्वयं पर नियंत्रिण नही रख पाए। उन्हें शांत करना बहुत कठिन था वे लगातार कह रहे थे कि बीजी तो स्वस्थ हो गयी थी। साईं बाबा ने तो उन्हें बीमारी से बाहर निकला था और तो फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया? अचानक आस्था ने साईं बाबा के साथ सफेद साड़ी में बिजि को देखा। इसके बाद वह शांत हो गई और उसने मुझे उसका अनुभव बताया। उसने अपने पिता को भी सांत्वना दी, ऐसा प्रतीत हुआ जैसे बिजि की मौत के बाद का कार्यक्रम साईं बाबा की देखभाल में ही किया गया हो। अगले दिन बिजि की तस्वीर को फ्रेम करवाया गया, वह वैसी ही दिख रही थी जैसा आस्था ने देखा था। बीजी का चेहरा बिलकुल अपने बच्चो को प्यार और देखभाल करने वाली माँ के सामान लग रहा था। उनकी तस्वीर साईं बाबा के कैलेंडर के पास लगाया गया था। ऐसी व्यवस्था की गई थी कि बजी का फोटो फ्रेम कैलेंडर का ही हिस्सा प्रतीत हो रहा था। जब आस्था ने उसे देखा, तो उसने कहा कि उसने बिजी को ऐसे ही देखा था बाबा के पास…. !!!

पूरी घटना हमारे लिए यादगार बन गई, प्रत्येक घटना साईं बाबा की कृपा के साथ चमत्कारों का दर्पण जैसा था। हम हमेशा साई बाबा के इस दिव्य और प्रेममय रूप को हमेशा याद करेंगे।

© Sai Teri LeelaMember of SaiYugNetwork.com

Share your love

One comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *