अतुल जी कहते हैं:
हेमाडपंत जी ने ठीक ही कहा है कि बाबा अपने भक्तो को अपने पास पैरों में धागे से बंधी हुई चिड़िया के सामान खींचते हैं । आगे की घटना से ये स्पष्ट हो जाएगा। अतुल नाम का एक सज्जन फॉरमा कंम्पनी का कर्मचारी था। वह उस समय बाबा और उनके चमत्कारों से अपरिचित था। एक दिन उसे दवाइयों का दुरूपयोग करने के कारण कंपनी से निकाल दिया गया।
कंपनी ने उसके खिलाफ केस भी दर्ज किया। वह काफी चिंतित और निराश हो गया क्यूंकि उसके ऊपर उसकी परिवार की ज़िम्मेदारी भी थी। उसका एक दोस्त जो की साई बाबा का भक्त था उसने अतुल जी को इस समस्या से निकलने के लिए साई बाबा का व्रत करने की सलाह दी। अतुल जी ने 11 गुरुवार का व्रत रखा और मंदिर चल कर जाते थे।
एक दिन उनकी कंम्पनी से फ़ोन आया कि उनके ऊपर से सारे दोष हटा दिए गए हैं और केस भी वापस ले लिया गया है। इतना ही नहीं उनकी नौकरी भी उन्हें वापिस मिल गई और वो भी उचे पद और ज़्यादा तन्खुआ के साथ। इस घटना ने उन्हें बाबा का अनन्य भक्त बना दिया और वो अब शिर्डी भी काफी बार जाते हैं। इसके बाद उन्होंने काफी सारे चमत्कारों को अनुभव किया।
English link: http://www.shirdisaibabaexperiences.org/2008/04/devotee-experience-atul.html?showComment=1407388860354