साईं भक्त विनोद कहते है: साईं बाबा के अनन्य भक्त और मेरे एक पारिवारिक मित्र विनोद जी साईं बाबा की समाधि के दर्शन के लिए 15 दिन पहले (अर्थात मई 2008 के आखिरी सप्ताह में ) शिर्डी गए थे। उन्हें डेढ़ महीने में चार बार शिर्डी जाने का मौका मिला। यह स्पष्ट रूप से उनपर साईं बाबा का आशीर्वाद दर्शाता है| इस विषय को अधिक विस्तार से समझाने के लिए, मैं उनका व्यक्तिगत अनुभव आप सभी के साथ बांटती हूँ जिसमें आप ये देखेंगे कि उनके (और निश्चित रूप से हमारा) प्यारे श्री साई ने उन्हें मौत के मुह से किस प्रकार से बचाया ।
मैंने इस घटना को सीधे उन्ही से सुना है और आप सबके सामने पेश कर रही हूँ। इसके साथ मैं एक अजीब वाक्य पर प्रकाश डालना चाहूंगी। मेरे पिताजी को इस घटना के एक दिन पहले सौते समय एक वाक्य “मरने वाले मरते नहीं मरने वालो की मदद करते हैं” सुनाई पड़ा। इसका मतलब हम में से किसी को समझ नहीं आया और हम थोड़ा डर गए क्योंकि हमने इसे किसी की मौत का संकेत समझा। मुझे ये नही पता कि इस वाक्य का नीचे की घटना के साथ कोई सम्बन्ध है या नहीं, इसका निर्णय मैं पाठकों पर छोड़ती हूं।
वह भक्त और उसके तीन दोस्त मुंबई से शिर्डी गए थे और उन्हें साई बाबा के काफी अच्छे दर्शन भी हुए। शिर्डी से लौटते समय उसका दोस्त गाड़ी चला रहा था जो की नई थी| जब वह मित्र गाडी चला कर थक गया तो उसने साईं भक्त को कार चलाने के लिए कहा। इसलिए वे सब रास्ते पर रुक गए और कुछ समय के लिए आराम करने के लिए कार से बहार निकल गए।
इसी बीच एक छोटा सा ट्रक पीछे से पूरी रफ्तार से आ रहा था और उस ट्रक से हमारी कार को थोडा धक्का लगा, पर साई बाबा की कृपा से कार को ज्यादा नुक्सान नहीं पहुंचा। सभी ने ट्रक के चालक को पकड़ा जो की पूरी तरह नशे में था। सभी दोस्त उस चालक को मारना चाहते थे लेकिन मेरे मित्र ने उसे जाने देने का अनुरोध किया। उन सभी ने साई बाबा को उसी समय उनकी मदद करने के लिए धन्यवाद दिया और आगे बढ़ गए ।
आगे बढ़ने के बाद उन्होंने देखा कि वही ट्रक एक पेड़ से टकराया हुआ था और शराबी चालक रक्त मे लतपत था। अब उसका नशा उतर चूका था और उसे अपनी गलती का एहसास भी हुआ । वे सभी समझ गए कि ड्राइवर को उसके कर्मो की सजा मिल गई है और सभी सुरक्षित रूप से अपने घरों तक पहुंच गए। अगर वे आराम करने के लिए थोड़ी देर नही रुकते तो सभी गहरी खाई में भी गिर सकते थे। लेकिन भगवान साईं के भक्तों का बुरा हो सकता है क्या??