साईं भक्त जयंती कहती हैं: नमस्ते, हेतल| मैं कुछ समय पहले ही आपकी वेबसाइट पर आयी थी। हलाकि मैंने इसे कुछ समय के लिए ही देखा था| मैं साईं बाबा के प्रति आपके विश्वास और समर्पण की सराहना करती हूं। बाबा तो हमारे जीवन में एक आशीर्वाद के समान है।
मेरा नाम जयंती है, बैंगलोर में ही मेरा जन्म हुआ और मैं यही पली-बढ़ी हु। मैं एक शिक्षिका हूं, लेकिन पिछले दो वर्षों से नौकरी से मैंने अवकाश लिया है। इस इ-मेल के साथ मैंने एक फ़ाइल संलग्न की है जिसमें एक पत्र है, जिसे मैंने कुछ समय पहले अपनी दोस्त को लिखा था| इस पत्र में लिखा है कि बाबा मेरे जीवन में कैसे आये। मुझे लगा कि मैं इसे आपके साथ भी साझा कर सकती हूं।
मैंने यह इ-मेल इसीलिए भेजा है, ताकि मैं आपसे वह बात साँझा कर सकू जिसे मैंने कुछ ही लोगों को बताया है। एक बहुत ही पवित्र घटना जिसने मेरे जीवन को बदल दिया। मैं आपके साथ यह साझा करने जा रहा हूं कि कैसे मेरे दिव्य गुरु श्री साईं बाबा ने आशीर्वाद के रूप में मेरे जीवन में प्रवेश किया। मैं इसलिए आपसे यह साँझा कर रही हूँ क्योंकि आप भी ऐसी भाग्यवान व्यक्ति हैं जिन्होंने स्वयं बाबा की उपस्थिति को महसूस किया हैं और आप इसके महत्व को समझ सकती हैं।
कहा जाता है कि मास्टर तभी आते है जब छात्र तैयार हो। मेरे मास्टर भी मेरे जीवन में एक आशीर्वाद की तरह पांच साल पहले आये| जिनके कारण मेरी ज़िन्दगी हर मायने से बदल गयी।
कुछ साल पहले 2003 में, एक रात को सोने से पहले, मैं पूरे सच्चे मन से श्री राघवेंद्र स्वामी, जो एक महान आध्यात्मिक गुरु है, उनकी तस्वीर के सामने प्रार्थना कर रही थी की मैं एक अच्छी ‘हीलर’ बन पाऊं क्यूंकि हालही में मैंने ‘प्राणिक हीलिंग’ में अपना एडवांस कोर्स पूरा कर लिया था| प्रार्थना करते समय अचानक मुझे लगा कि कोई पूरी शक्ति के साथ मुझे पीछे की ओर खींच रहा है। मैं बहुत ही हैरान थी!!! मैं तब तक पीछे की ओर खींची चली जा रही थी, जब तक मैं खिड़की पर नहीं पहुंची जहा एक छोटा सा कैलेंडर रखा हुआ था जिसमे शिरडी के साईं बाबा की तस्वीर थी| मैं पीछे मुड़ कर उनकी तस्वीर देखना चाह रही थी पर कुछ समझ ही नहीं पाई कि क्या हो रहा है !!!
मेरे कुछ छात्र मुझे हर बार बाबा की तस्वीरें देते थे, लेकिन तब तक मैंने उस पर कभी ध्यान नहीं दिया था। मैं उनके चरणों में झुकी और प्रार्थना करने लगी की, कृपया बताइये की यह सब क्या था और आप मुझे क्या बताना चाहते हो (तब मुझे एहसास हुआ कि वे मुझे काफी कुछ कहना चाहते हैं)| वह मेरे लिए बहुत ही शुभ दिन था क्यूंकि उस दिन इस लीला के माध्यम से बाबा स्वयं मेरे जीवन में प्रकट हुए थे| ऐसा कहा जाता है की भक्त बाबा के पास नहीं जाते है, यह तो बाबा ही है जो उचित समय आने पर स्वयं ही अपने भक्तो को अपनी ओर खिंचते है जैसे धागे से बंधी हुई कोई चिड़िया और मुझे भी यह जानकर बहुत ही ज़्यादा ख़ुशी हुई की मैं भी उनकी एक चिड़िया हूँ |
बाबा के प्रति मेरा विश्वास धीरे-धीरे बढ़ता गया। मैं बहुत ही सनकी, अहंकारी और छोटे सोच की व्यक्ति थी, पर अब मैं जीवन और उसके अस्तित्व को गहराई से समझ रही हूँ क्योंकि बाबा ने ही मुझे उदार ह्रदय बनाकर मेरी मदद की और समझाया है की किस प्रकार अच्छे से जीवन व्यतीत करना चाहिए| सौ साल पहले जब बाबा शरीरधारी थे तब वे स्वयं ही एक महान चिकित्सक (हीलर) थे|
जब मैंने बहुत प्रेम और सादगी से ईश्वर से याचना की “के मुझे एक अच्छा हीलर बनाओ ” तब बाबा मेरे जीवन में आये। जैसे की एक कहावत है, “हीलर, को पहले स्वयं को ठीक करना चाहिए”, मुझे भी यह बात समझ मे आ गयी के अच्छा हीलर बनने के लिए सबसे पहले मुझे अपने जीवन, अपने अतीत, अपने भय, अपनी खामियों और अपने अवरोधों को ठीक करना होगा।
अब मैं यह बहुत अच्छे से समझ गयी हूँ कोई भी दूसरों को तब तक ठीक नहीं कर सकता जब तक वह स्वयं ठीक ना हो। उपचार की यह प्रक्रिया मेरे लिए तो शुरू हो गई है, लेकिन रास्ता काफी लम्बा है जिसे मुझे तय करना है और मैं उसके लिए तैयार हूँ। मैं यह भी समझ चुकी हूँ की इस “मैं” का कोई अस्तित्व नहीं है जिसे केवल ‘सर्व शक्तिमान’ जिसे हम भगवान् कहते है वे ही ठीक कर सकते हैं। लेकिन जब आप अपने आध्यात्मिकता के द्वारा उस सर्व शक्तिमान परमात्मा से जुड़े रहते हो और शुद्ध जीवन व्यतीत करते हो तो आप ऐसे माध्यम बन सकते हो जिसके द्वारा प्रभु की शक्तियां आप में से प्रवाहित होकर लोगों का कल्याण कर सके |
अब मैं समझती हूँ कि इस संसार में सब कुछ कितना परिवर्तनशील है, केवल एकमात्र भगवन ही शांति और प्रेम के स्थायी स्रोत है| साईं बाबा, जिन्हें मैं प्यार से “पिता” कहकर बुलाती हूँ, वे ही मेरे जीवन में ईश्वर का स्वरुप है। मैं यह भी जान चुकी हूं कि इस दुनिया में सभी संत (मास्टर्स) समान हैं और भगवान से अभिन्न हैं|
वास्तव में यह बताना मुश्किल है कि किस प्रकार मेरे परम पिता ने मेरे इस जीवन को ठीक किया और हर दृष्टिकोण से मेरा मार्गदर्शन करते रहे। कई अनगिनत बातें जो मेरे मन की गहराईयों में दफन थी अब वह सतह पर आने लगी थी, ताकि उसका समाधान हो सके| अब मैं अपने भीतर के कुछ बुरे पहलुओं के बारे में जानने लगी हूँ। शुरू में तो स्वयं के भीतर की “बुरी चीजों” को स्वीकार करना बहुत मुश्किल था क्योंकि मेरे अहंकार के कारन मैं यह समझती थी की “मुझ में कोई भी दोष या खामियां नहीं है”| अब मुझे उन विचारों पर हंसी आती है!!! मैं इस आत्मशुद्धि के लिए अब अभ्यस्त हो चुकी हूं और मुझे पता है कि यह प्रक्रिया बहुत ही लाभदायक है और मेरे आध्यात्मिक विकास में सहायक होगा ।
कबालाः में कहा गया है कि – “यदि स्वयं के भीतर आपको कोई बुराई का एहसास होता है हो तो उसे गर्व मनो| इसका मतलब है कि आपको अपनी बुराई का रहस्योद्घाटन करने का ज्ञान प्राप्त हो चूका है। जब भी हमें बुराई की कोई नई अनुभूति होती हैं, तो हमें खुश होना चाहिए, क्योंकि अगले चरण में हम प्रकाश का स्वागत करने वाले होंगे।” हाल ही में जब मैं पहली बार काबालाः के सिद्धांतो का अध्ययन कर रही थी, उसे जानकर मैं आश्चर्यचकित रह गयी क्यूंकि उसका सार आध्यात्मिक रूप से बहुत अच्छी तरह समझाया गया था, जिन्हें मैं स्वयं अपने जीवन में समझने लगी थी| इसमें कहा गया है कि जब कोई आध्यात्मिक जीवन में उपाधि प्राप्त करता है, तो किसी को उच्च स्तर पर उठने के लिए अनिवार्य रूप से एक डिग्री नीचे गिरना पड़ता है। यह ऊपर की और नीचे की ओर झुकाव अपरिहार्य है,जब तक हम पूरी तरह से ठीक(heal) नहीं हो जाते हैं| यानी जब तक हम “प्रकाश” को प्रतिबिंबित ना करे जिसे हम परमेश्वर कहते हैं। यह तब होता है जब हम ईश्वर के साथ अभिन्नता प्राप्त करते हैं और जीवन का उद्देश्य जान जाते है। इसके अध्ययन से मुझे यह समझने में मदद मिली कि मेरे जीवन में क्या हो रहा है।
दो साल पहले, मेरे जीवन में अचानक आध्यात्मिक जागृति हुई और ऐसा उत्साह भर गया जो मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था और यह अद्भुत और रोमांचकारी आध्यात्मिक अनुभव लगभग एक साल तक बना रहा। (उसे मैं किसी दूसरे समय साझा करुँगी वरना यह पोस्ट बहुत लंबी हो जायेगी)| मेरे जीवन में जो भी हुआ उससे मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मैं समझ चुकी हूं कि अब मैं अधिक तीव्रता के साथ आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ूंगी और मेरी आत्मशुद्धि के बाद एक बेहतर व्यक्ति बन पाऊँगी।
हालाँकि, मुझे अपने भविष्य को लेकर कई चिंताएं और घबराहट होती है, पर अब अक्सर मैं होनेवाले सभी बदलावों से अवगत रहती हूं। मेरे गुरु मेरे जीवन की हर छोटी से छोटी चीजों का निरंतर मार्गदर्शन कर रहे है, ताकि मैं इस जीवन का उद्देश्य समझकर उस ईश्वर से अभिन्नता प्राप्त करू सकू| मुक्ति प्राप्त करना इतना आसान नहीं है, या इसे एक ही बार में नहीं पाया जा सकता है| यह एक क्रमिक प्रक्रिया है जैसे की एक फूल कुछ समय लेकर खिलता है|
मेरे गुरु के आशीर्वाद से मैंने अपने आध्यात्मिक जीवन की शुभ शुरुआत की है, हालांकि मुझे पता है कि मुझे लंबा रास्ता तय करना है। इसके द्वारा मुझे समय मिलेगा की मैं अपने जीवन प्राथमिकताओं को समझ सकू और पुनर्विचार कर अपने दृष्टिकोण को ठीक कर सकू, यह केवल उन क्षणों के लिए है जब मेरा विश्वास अस्थिर होता है| किन्तु भीतर से तो हमें ज्ञात है की सर्व शक्तिमान भगवान हमारा सदैव मार्गदर्शन करते है।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
जयंती
(18-11-2008)