मूल रूप से पूजा गर्ग द्वारा लिखित
ये वो पंक्तियाँ है जो बाबा ने मुझे मेरे ध्यान के वक्त, प्रतिदिन होने वाली साईं से जुड़े हुए कई घटनाओं के माध्यम से और दैनिक कार्यों के समय हुए अनुभवों के द्वारा मुझे बताया। मैं आप सभी को अपने इन बाबा से जुड़े हुई घटनाओं के दौरे पे ले जाना चाहती हूँ ताकि आप भी समझ सकें कि बाबा ने मुझे कैसे इस मंत्र जाप का आशीर्वाद दिया।
हाल ही में, मुझे व्हाट्सएप में कुछ संदेश आए, जिसमें कहा गया कि हम जो भी सोचते हैं, या बात करते हैं, या फिर चर्चा करते हैं और जिसका प्रचार प्रसार भी करते हैं, वो स्पंदनात्मक रूप में सक्रिय हो जाते हैं। तो जितना अधिक हम किसी भी चीज़ के बारे में बात करते हैं उतना अधिक वो सक्रिय हो जाता है। उस संदेश में यह भी कहा गया था कि इस महामारी के समय में हमें वायरस के बारे में बात करने और चर्चा करने से बचना चाहिए, और बार-बार संक्रमण के सम्बंधित आँकड़ों को देखने से हम नकारात्मक कंपन को अधिक सक्रिय बनाते हैं। उसमें भय और सृजन की शक्ति के बारे में भी लिखा था। उसमे ये लिखा था कि किसी भी चीज का सृजन उसके विचार से उत्पन्न होता है, जिसे डर से उत्पन्न कंपन द्वारा सक्रिय रखा जाता है। आगे यह भी कहा गया था कि हमें अपने आप को धाराप्रवाह सुख, शांति और तंदुरुस्ती की धारा के साथ जुड़े रखना चाहिए।
इस संदेश ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हम इस तरह के विचारों का उपयोग सकारात्मक स्पंदनों को सक्रिय करने के लिए कर सकते हैं? क्या इसके बारे में लगातार सोचकर उसमें ताकत जोड़ सकते हैं? क्या यह साईराम या भगवान के नाम का जाप करके किया जा सकता है और इस प्रकार कंपन में सकारात्मक ऊर्जा को जोड़ा जा सकता है? तो आइए हम सकारात्मक घटनाओं के बारे में अधिक सोचें और बात करें और ईश्वर के नाम का जाप करके इस तरह के कंपन पैदा करने के लिए अपनी तरफ से थोड़ा योगदान दें।
मैंने इस बारे में लिखने के लिए सोचा था लेकिन दो बच्चों और अन्य जिम्मेदारियों के साथ मेरी दिनचर्या मुझे इन विचारों को आप सभी के साथ साझा करने से टालने के लिए मजबूर कर रही थी। लेकिन बाबा के रास्ते हमेशा सीधे होते हैं और उन्होंने मुझे दिव्य घटनाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से इसे आपके साथ बांटने का निर्देश दिया।
अपनी पहली गर्भावस्था के दौरान लगभग नौ साल पहले, मैंने पवित्र रामायण में पढ़ा था कि ‘राम’ नाम भगवान राम की तुलना से भी अधिक शक्तिशाली है। इसलिए मैं अपने बेटे का नाम “राम” रखना चाहती थी। लेकिन मेरे चचेरे भाई जो रिश्ते में देवर लगते हैं, उनका नाम भी राम था, जिसके चलते मेरे बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी मेरी सासु-माँ ने मुझे अपने बेटे का नाम “राम” नहीं रखने दिया। बाबा की अपनी कुछ सुंदर योजनाएँ थीं और सासु-मेरी माँ के द्वारा मेरे बेटे का नाम “साईश” रखा गया। माँ ने कहा कि उन्होंने कभी किसी को ऐसा नाम रखे हुए नहीं सुना था और मुझे लगा कि यह बिल्कुल ईश्वरीय संकेत था।
मेरी अज्ञानता मुझे “साईश” शब्द का अर्थ जानने के लिए Google की ओर ले गई। मुझे पता चला कि “साईश” का अर्थ “साईं का बच्चा” था और अब मेरे और मेरे परिवार के अन्य सदस्यों में किसी को भी संदेह नहीं बचा कि यह बाबा की ही लीला थी। वास्तव में सभी इस नाम से प्यार करने लगे और तुरंत आश्वस्त हो गए। इस तरह बाबा ने अपने बेटे का नाम “ससाईश” रखा। साईश ने अपने नाम के इतिहास के बारे में तब जाना जब वह लगभग चार से पांच साल का था। अब वह आठ साल का होने वाला है और मुझे इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था की यह बच्चा मुझे इस ब्लॉग पोस्ट तक पहुँचने में मदद करेगा जो मैं आज साझा कर रही हूँ।
इस रविवार को वह हमेशा की तरह ज़ूम (zoom) पर भक्त प्रह्लाद की कक्षा में भाग ले रहा था, जो कि इस्कॉन (ISKON) की स्वयंसेविका गीतिका माताजी द्वारा बच्चों के लिए आयोजित की जाती है। उसमें वह अपने अभिनव तरीके से बच्चों को “भागवत गीता” के श्लोकों और कहानियों, प्रश्नोत्तरी और खेलों के माध्यम से अच्छे नैतिक मूल्यों की शिक्षा देती हैं। मैं किसी काम के लिए उस कमरे में संयोग से गई, तब मैंने ससाईश को अपने शिक्षक के साथ बातचीत करते हुए सुना, “राम नाम में भगवान राम की तुलना में अधिक शक्ति है।” सिर्फ एक या दो बार नहीं, बल्कि तीन बार उसने एक ही उत्तर दिया और मुझे ऐसा लगा जैसे यह मेरे लिए किसी दैवीय शक्ति का एक अप्रत्यक्ष संदेश था। उसके मेज़ के ठीक ऊपर, दीवार पर बाबा की बड़ी तस्वीर है। साईं और राम के नामों को मिलाने के बारे में सोचने के लिए केवल बाबा के साथ आँख मिलने की ही देर थी, कि मुझे एहसास हुआ कि इस नकारात्मक कंपन से लड़ने के लिए सिर्फ “साईराम रामसाई” का जाप ही इलाज है।
मुझे इस ब्लॉग पोस्ट को, आप सभी के साथ बांटने का एक और संकेत मिला। उसी दिन लगभग 4 बजे जब मेरा बेटा एक अन्य कार्यकलाप के लिए ऑनलाइन क्लास में भाग ले रहा था, तो मैंने उसके शिक्षक के पीछे भगवान हनुमान जी की बड़ी फोटो देखी। वह फ़ोटो बहुत बड़ी था और मुझे केवल आधा ही दिखाई दे रही था। हनुमान जी हाथ में किसी वाद्य यंत्र को लेकर बैठे हुए थे जैसे कि राम, राम का जाप कर रहे हों। यह मेरे लिए एक और संकेत था कि “सांईराम रामसाई” का जाप करना चाहिए।
मगर यह पर्याप्त नहीं था क्योंकि रामनवमी के लिए बनाए गए हमारे एक डिज़ाइनर ने एक और सुंदर रचनात्मक रचना की। रामनवमी पर साझा करने के लिए उस रचना को मुझे ईमेल पर भेजा गया। फिर मैंने साईं और राम के नामों के संलयन के पीछे एक और प्रेरणा महसूस किया और इस महामारी से लड़ने के लिए “साईराम रामसाई” का जाप करने के बारे में यह पोस्ट लिखा।
बाद में जब मैंने सुबह की सारी घटनाओं की श्रृंखला की बात हेतल दीदी से की, तो उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि राम का नाम राम जी से भी अधिक शक्तिशाली है, जिस बात को ससाईश कह रहा था। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इसके पीछे एक सुंदर कहानी होनी चाहिए। मैंने सोचा था कि वह राम सेतु पुल के निर्माण की कहानी का जिक्र कर रही होंगी। मैंने इतने आत्मविश्वास के साथ माना था कि वो वही कहानी है कि मैंने कहानी को सिर्फ नाम मात्र के लिए भी गूगल करने की जहमत नहीं उठाई।
हालाँकि हर बार की तरह इस पोस्ट को लिखने के दौरान, मैंने बाबा से प्रार्थना की थी कि वह पोस्ट लिखें और मुझे सिर्फ टाइपिंग का साधन बना दे। मुझे ऐसा लगा जैसे बाबा मुझसे गूगल करवा रहें हैं और मैं उनके प्रभाव से गूगल करने लगी, हालाँकि मेरा कोई इरादा नहीं था और मैं बाबा के शक्ति को महसूस कर सकती थी। जैसे ही मैंने राम नाम और उसकी शक्ति का गूगल किया तब मेरी नज़र एक सुंदर कहानी पर पड़ी, जो मेरे द्वारा अनुमान लगाए जाने वाली कहानी से बिल्कुल अलग थी। यह कहानी (कृपया कहानी को ध्यान से पढ़ें) अयोध्या में श्री रामजी के पट्टाभिषेकम के बाद, भगवान राम के दरबार में हुई घटना की कहानी है।
भगवान राम के अयोध्या लौटने के बाद और उनके राज्याभिषेक समारोह के बाद, भगवान राम अपने सिंहासन पर बैठे हैं और उनकी दाईं ओर की सीट पर गुरु विश्वामित्र हैं।
जब राज दरबार के मामले चल रहे थे, भगवान हनुमान ने दरबार में प्रवेश किया। दरबार में अन्य गुरु, संत, मंत्री और कई लोग मौजूद हैं। जैसे ही भगवान हनुमान दरबार में प्रवेश करते हैं, वह ऋषि नारद के सामने झुक जाते हैं और हम सभी जानते हैं कि ऋषि नारद हमेशा किसी न किसी को दिव्य नाटकों में फसाया करते हैं, जो समस्याओं से शुरू होता है और एक महान संदेश के साथ समाप्त होता है।
भगवान हनुमान ने नारद मुनि को प्रणाम करने के बाद उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। उस समय, नारद हनुमान से कहते हैं, “हनुमान, आप इस दरबार में उपस्थित किसी से भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन ऋषि विश्वामित्र से कभी आशीर्वाद न लें क्योंकि उनके भीतर बहुत अहंकार (स्वाभिमान) है, इसलिए उनका आशीर्वाद लेना आपके लिए अच्छा नहीं है। ” भगवान हनुमान सोचते हैं, “जो भी नारद मुनि कहते हैं वह हमेशा सही होता है” और इस प्रकार उन्होंने उनके शब्दों का पालन करने का फैसला किया। दरबार में उपस्थित सभी से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद, हनुमान जी भगवान राम और ऋषि विश्वामित्र की ओर पधारे। ऋषि विश्वामित्र को नमन किये बिना वो सिर्फ भगवान श्री राम को नमन करते हुए अपनी जगह बैठ गए।
ऋषि विश्वामित्र ने इस बात का ध्यान दिया कि हनुमान ने न तो उनका आशीर्वाद मांगा और न ही झुककर कोई सम्मान दिखाया। उन्हें बहुत गुस्सा आता है (ऋषि विश्वामित्र बहुत ही तेज मिजाज के व्यक्ति थे)। अचानक वह प्रभु राम पर चिल्लाते है, “एक व्यक्ति ने दरबार में मेरा अपमान किया है और इस तरह जो कोई भी एक गुरु का अनादर करे उसकी हत्या करके उसे दंडित किया जाना चाहिए”। (उन दिनों, राजा और देवता गुरु के क्रोध से डरते थे)।
तब भगवान राम पूछते हैं, “कौन है वह व्यक्ति जिसने आपका मेरे दरबार में अनादर किया?” जिसके जवाब में ऋषि विश्वामित्र कहते हैं “यह आपका हनुमान है जिसने मेरे सामने झुके बिना मेरा अपमान किया”। अपने प्रिय भक्त हनुमान का नाम सुनते ही श्री राम एक पल के लिए हक्का बक्का हो जाते हैं क्योंकि एक तरफ उनका सबसे प्रिय भक्त था और दूसरे तरफ उनके गुरु ऋषि विश्वामित्र थे और श्री राम अपने गुरु की आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकते थे। इसलिए रामजी ने अपने गुरु के प्रति हुए अपमान के लिए हनुमानजी को दंडित करना ठीक समझा। भगवान राम ने अपने बनम (धनुष और बाण) को निकलते हुए हनुमान जी को अपना निशाना बनाया।
भगवान हनुमान उस समय भी निश्चिंत होकर पूरी श्रद्धा के साथ अपनी रक्षा के लिए महामंत्र “राम नाम” का जप करते रहे। उन्हे मालूम था कि अस्त्र (राम के शस्त्र) से बचने के लिए केवल भगवान राम के नाम का जाप करना ही एक रास्ता है और राम नाम जपने से भगवान राम भी उन्हें मार नहीं सकते और कोई चोट भी नहीं पहुंचा सकते।
यह सच है, ऐसा ही हुए। राम जी का कोई भी तीर हनुमानजी को नहीं छू सका। श्री राम थक चुके थे लेकिन हनुमान जी केवल अपने भगवान को पूर्ण समर्पण, प्रेम, श्रद्धा और भक्ति के साथ देख रहे थे। श्री राम ने सबसे शक्तिशाली हथियारों का इस्तेमाल किया जो उन्होंने पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया था लेकिन हनुमान जी को कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचा। तब श्री राम ने उनको अपने ब्रह्मास्त्र का लक्ष्य बनाया। हनुमान जी श्री राम मंत्र का जाप करते रहे और बिल्कुल नहीं विचले। देखने वालों की भीड़ का ताँता लगा हुआ था और वे मंत्रमुग्ध हो गए थे। तब श्री राम भ्रमशीरसासत्र (एक अस्त्र जो ब्रह्मास्त्र से 1000 गुना अधिक शक्तिशाली है) हनुमान जी पर दागा।
जैसे ही वो अस्त्र भगवान राम के बाण से निकला, वो हनुमानजी के निकट पहुँचने के पहले ही जल गया। लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी अस्त्र जलता रहा। ऋषि विश्वामित्र ने राम जी को रोकते हुए कहा कि “जब तक भगवान हनुमान आपका दिव्य नाम जपते हैं, तब तक भगवान हनुमान को खरोंच लगना भी संभव नहीं है।” यह सब देखकर नारद हस्तक्षेप करते हैं और भ्रम को दूर करते हैं, और राम नाम की शक्ति बताते हैं। और इस प्रकार भगवान राम और ऋषि विश्वामित्र हनुमान को क्षमा करते हैं। उपरोक्त कहानी से हम समझ सकते हैं कि भगवान राम का नाम अधिक शक्तिशाली मंत्र है, और इसका जाप करने से भगवान राम हमारी मदद करते हैं, और हमें सभी बाधाओं से बचा सकते हैं।
यही कारण है कि राम का नाम स्वयं भगवान राम की तुलना से अधिक शक्तिशाली है। यही मुख्य कारण है कि आज भी लोग 21 दिनों में सभी समस्याओं को हल करने के लिए पिछले 5000 वर्षों से “श्री राम जयम” या “जय श्री राम” लिख रहे हैं।
इसके अलावा मैं यह भी साझा करना चाहूँगी कि मेरी माँ फरवरी के महीने में महामारी से संक्रमित हुई थी। हमें इस बारे में कुछ दिन पहले ही पता चला, जब एंटीबॉडी परीक्षण किया गया था। मैं बाबा का लाख बार धन्यवाद करती हूँ क्योंकि उन्होंने मेरी मां को मौत के जबड़े से बाहर निकाला जब उनकी उम्र 60 वर्ष है, और उन्हें मामूली बीपी की समस्या भी है।
उन्हें एक रात बहुत तेज बुखार आया और बाद में बहुत कमजोरी आइ। रात में पेरासिटामोल लेने से वह ठीक हो गई थी। इसलिए हमने इसे सामान्य वायरल बुखार माना। हम सभी (मेरे पति, बच्चे, ससुराल वाले) मेरी माँ से मिलने के लिए उस समय कई गए थे, लेकिन हममें से कोई भी संक्रमित नहीं हुआ। यहां तक कि मेरे पिताजी और नौकरानियों भी संक्रमित नहीं हुए थे। वह मेरी बेटी साईवा के साथ उसे गोद में रखकर भी खेली थी, जो उस समय सिर्फ 11 महीने की थी, लेकिन उसमें कुछ भी असामान्य नहीं मिला। सभी परिणामों के आधार पर, हमने कभी नहीं सोचा था कि वह संक्रमित हो सकती है।
एक दिन अचानक माँ ने कहा कि उन्हें लगा कि वह शायद उस समय महामारी वायरस से संक्रमित हो गई होगी थी। मुझे लगा उस समय इतने सारे लोग (लगभग 50 लोग) उनके संपर्क में आए, और यह संभव नहीं था किसी को भी उनके माध्यम से संक्रमण नही हुआ हो? साथ ही उनका बुखार एक रात में ठीक हो गया था और उन्हें साँस लेने में कोई समस्या नहीं थी। इसके अलावा और कोई भी लक्षण नहीं है जिससे हमें यह पता चले कि वह संक्रमित थी। उनके बयान ने मुझे मूल रूप से हिला दिया और मैं संभावित परिणामों के बारे में सोचकर बिल्कुल चिंतित थी।
बाबा के सामने चिंता से चिट डालने में मैं मजबूर थी। बाबा का जवाब था ‘हां वह वायरस से संक्रमित थी।’ बाद में एक महीने के बाद उन्हें वैक्सीन लेनी थी, हमने एंटीबॉडी परीक्षण करवाया जैसा कि हमने सुना था कि जो लोग संक्रमित हो गए थे उन्हें तीन महीने के बाद टीका लेना चाहिए। इसलिए जब एंटीबॉडी परीक्षण किया गया, तो सभी परीक्षण को सकारात्मक देखने पर हम आश्चर्यचकित थे और ऐसा लगा कि बाबा की असीम कृपा ने उनकी रक्षा की थी। मुख्य रूप से मेरे पिताजी की जो वरिष्ठ नागरिक हैं और उन्हें मधुमेह और बीपी है, और उनके संपर्क में आए अन्य सभी की। उनकी एंटीबॉडी की गिनती भी 27 थी (जिसकी गिनती 9 बैठती है और बाबा की मौजूदगी दिखाती है)।
जब मेरी माँ ने इस घटना के बारे में अपनी नौकरानियों को बताया तो वे चौंक गईं और कहा कि बाबा जानते थे कि उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, और इसलिए बाबा ने सब कुछ ठीक होने के बाद ही इसके बारे में सबको जानकारी होने दी। (यदि माँ को पहले पता चल जाता तो नौकरानियों को भी रोक दिया जाता, और फिर विशेष रूप से दैनिक घरेलू काम के साथ उनका अपना ख़याल रखना बेहद मुश्किल होता)।
मैं पूरी तरह से विश्वास करती हूं कि वह बाबा की कृपा से ही बिना किसी परेशानी के सुरक्षित रूप से इस महामारी से बाहर आ गईं। वह रोजाना 20 मिनट तक नामजप करती है। इसलिए बाबा ने उन्हें और उनके संपर्क में आने वाले अन्य लोगों को परिरक्षित किया। ऐसा नही था की उन्हें कोई सिम्प्टम्ज़ नही थे, क्योंकि अगर ऐसा होता तो उन्हें तेज बुखार और कमजोरी नहीं होती। अब मैंने मन ही मन बाबा से सवाल किया, “अगर उन्हें उनकी रक्षा और बचाव करना ही था तो फिर वह संक्रमित हुई ही क्यों?” इसका जवाब मेरे स्वयं के विवेक ने दिया, “नाम जाप के महत्व को दर्शाने के लिए यह सब बाबा की लीला थी” अन्यथा हम इसे इतनी बारीकी से कैसे अनुभव कर पाते। उनको पहले से ही बीपी के साथ कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं। बाबा की यह लीला स्पष्ट रूप से दिखाती है कि नामजप हमें कैसे बचा सकता है, ठीक कर सकता है और ढाल की तरह काम कर सकता है।
तो मैं यह याद दिलाना चाहती हूँ कि नाम सप्ताह (Naamsaptah) 13 से शुरू हो रहा है। क्यों न हम सभी साई महापारायण करने वाले भक्तों से अनुरोध करें कि वो “साईराम रामसाई” मंत्र का सामूहिक रूप से या, अकेले, या जैसे भी उनको समय मिले, 20 मिनट के लिए जाप करें। वे एक जगह पर बैठकर या अपनी दैनिक दिनचर्या की गतिविधियों के साथ समर्पित होकर जाप कर सकते हैं । जिसमें भी उन्हें आसानी हो; जैसे कि खाना बनाते हुए, सफाई करते हुए, वाहन चलते हुए, स्नान करते हुए इत्यादि। हम आज लगभग 5 से 6 लाख भक्तों के साथ जुड़े हैं और अगर हम सभी मिल कर जाप करें तो संसार भर में बहुत सारे सकारात्मक कंपन पैदा होंगे। रामनवमी नाम सप्ताह के लिए हमारे पास कोई विशेष समूह नहीं है। हमें स्वयं पर नजर रखनी होगी और बाबा को रिपोर्ट करना होगा।
हम AASM (अनंत अखंड साईं महाजाप) के लिए और अधिक नाम जाप समूह बनाने की योजना बना रहे हैं जो 13 फरवरी 2018 को शुरू हुआ था और अभी भी लगातार 24 * 7 चल रहा है। हमेशा की तरह हमें बाबा की सेवा करने के लिए मदद की जरूरत है। तो यहाँ अलग-अलग समय स्लॉट्स (slots) के लिए और सेवक / स्वयंसेवक बनने के लिए लिंक दिए गए हैं। कृपया सेवा के लिए आगे आएं क्योंकि कोई भी सेवा अकेले नहीं की जा सकती है। आप यहाँ पोस्ट की विस्तृत श्रृंखला पढ़ सकते हैं जिसमें बताया गया है कि बाबा के मार्गदर्शन से AASM (अनंत अखंड साईं महाजाप) ने कैसे आकार लिया।
सभी से एक अनुरोध है कि वे IST (भारतीय मानक समय) के अनुसार पसंदीदा समय स्लॉट और दिन चुनें। बाद में हमारे स्वयंसेवक (Volunteer) आपको अपनी पसंद के स्लॉट और दिन देने की पूरी कोशिश करेंगे। कृपया जल्दबाजी न करें और धैर्य रखें। सभी जानकारी सही समय पर प्रदान की जाएगी। हमें पहले स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित (ट्रेन) करने की आवश्यकता है और इसमें समय लग सकता है। कृपया स्वयंसेवकों के ग्रुप में शामिल न हों (यदि नामांकन के अन्य समूह भरे हुए हैं) यदि आप सेवा करने के इच्छुक नहीं हैं।
तो आइये, एक जुट होकर “साईराम” या किसी भी भगवान के नाम का जाप करने का संदेश फैलाएं, और ब्रह्मांड में सकारात्मक स्पंदन भेजने में योगदान दें।
स्वयंसेवकों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप
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Seva For AASM | https://chat.whatsapp.com/IKKhC5JpYwV43iwYlX0dLQ |
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Seva AASM-Principal | https://chat.whatsapp.com/DcoV1pzKgEI0QBAut8p7O9 |
Seva AASM – Captain (3hrs) | https://chat.whatsapp.com/ELUN2LcgFSsHtbpIYMHy3t |
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