साईं भक्त क्रांति कहती है: ओम श्री साईराम हेतल जी, आप ब्लॉग के माध्यम से भक्तों के अनुभवों को साझा करके, साई सत्चरित्रर वितरित करके और अन्य सभी कार्यों के द्वारा एक महान काम कर रहे हैं। यहां तक कि मुझे सत्चरित्र भी आपसे प्राप्त हुई और इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। बाबा की कृपा से, मैं अपने एक अनुभव को साझा कर रही हूं जो मेरे साथ दिसम्बर 2007 में हुआ था।
बाबा इस चमत्कार को बहुत देर से पोस्ट करने के लिए कृपया मुझे क्षमा करें। मुझे इसे लिखने के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद।
नवंबर 2007 में, मेरे पति को यूके जाने के लिए वीजा मिला। हमने बाबा से प्रार्थना की थी कि हमें वीजा मिलने के बाद हम शिर्डी में दर्शन के लिए आएंगे। इसलिए मेरे पति के वीज़ा मिलने के बाद, हम (मैं, मेरे पति और हमारी 2 साल की बेटी) शिरडी जाने के लिए, 5 दिसंबर 2007 को बेंगलुरु से पुणे उड़ान भरे। हमारी योजना पुणे जाने के लिए फ्लाइट से यात्रा करने की थी, और पुणे से ट्रेन में कोपरगाँव जाने की। यह ट्रेन रात 11:30 बजे कोपरगांव पहुंचती है। हमने सोचा कि अगले दिन गुरुवार होगा, कोपरगाँव रेलवे स्टेशन में कई लोग होंगे और देर रात शिरडी पहुँचने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
हम शाम 5 बजे के आसपास पुणे पहुँचे। हम लोग कोपेरगॉव के लिए ट्रेन लेने के लिए पुणे रेलवे स्टेशन गए। हम रात के 12 बजे कोपरगाँव पहुँचे। हमे आश्चर्य हुआ जब हमने देखा कि रेलवे स्टेशन में कोई नहीं था, यहां तक कि कोई भी ट्रेन से नहीं उतरा। हमने जो सोचा था, उसके विपरीत था। हम स्टेशन से शिरडी के लिए टैक्सी लेने निकले। लेकिन फिर, स्टेशन के बाहर कोई टैक्सी नहीं थी। अब हमें चिंता होने लगी, कि शिरडी तक कैसे पहुंचा जाए । केवल 7 सीटर ऑटो / रिक्शा था। सभी ड्राइवर, उनके ऑटो में आने के लिए हुमए आमंत्रित कर रहे थे। मैं बहुत चिंतित थी क्योंकि हम ऑटो ड्राइवरों के अलावा किसी और यात्री को नहीं देख सके।
दिसंबर में मौसम बहुत ठंडा था पर मुझे अपनी बेटी और शिरडी सुरक्षित पहुंचने की चिंता होने लगी । मुझे समझ में नहीं आया कि किस ऑटो में जाना है और किस ड्राइवर पर भरोसा करना है। मैं अपने अंदर ही अंदर रोने लगी और बाबा से मन ही मन प्रार्थना करने लगी पर बाहर किसी को नहीं पता चलने दी क्यों कि मैं जानती थी कि मेरे पति चिंतित हो जाएंगे। हमने शुरू में छोटे ऑटोरिक्शा में जाने का विकल्प चुना, लेकिन फिर हमने 7 सीटर के लिए हाँ कह दिया और ऑटो में रखने के लिए ड्राइवर ने हमारा सामान ले गया। हमे आश्चर्य हुआ जब हमने देखा की ऑटो पूर्ण तरह से ढाका हुआ था जिससे ठंड नहीं लगे। हमने इसे बाबा का आशीर्वाद समझा। बाद में हमने महसूस किया कि यह एकमात्र ऐसा ऑटो था जो पूरा ढका हुआ था और मेरे पति इससे खुश थे। हम तीनों ऑटो में सवार हो गए और जैसे ही ड्राइवर ने ऑटो स्टार्ट किया, उसका दोस्त भी आकार बैठ गया और ड्राइवर के साथ बैठ गया। इससे मुझे और चिंतित होने लगी और मेरे मन में डर बैठ गया और मैं सोचने लगी कि ये लोग शिर्डी जाते वक़्त क्या कर सकते हैं। मेरे विचार भटक रहे थे और मैं बहुत डर रही थी। मेरे पति शांत थे और मैं ये सोचने लगी कि बाबा हमें सुरक्षित रूप से शिरडी ले जाएंगे। मैं अपनी बेटी को कसकर पकड़ ली और बाबा से प्रार्थना करने लगी। मैं मेरे पति से एक शब्द भी नहीं बोल पा रही थी क्यों कि मैं पूरी तरह तनाव में थी। मुझे उस ठंड के मौसम में भी पसीना आ रहा था। हालांकि यह राजमार्ग था पर सड़क पर बहुत सारे वाहन नहीं थे। बहुत अंधेरा था और हमारा एकमात्र ऑटो सड़क पर जा रहा था। मैं इतनी देर से जाने के लिए कितना बुरा महसूस कर रही थी मैं यह व्यक्त नहीं कर सकती। ऑटो में बैठे बैठे मैं शिर्डी पहुँचने का इंतजार कर रही थी और शिर्डी के नज़ारे देखने के लिए उत्सुक थी।
वक़्त गुजरता गया और हम शिर्डी के करीब पहुँच रहे थे और जब पता चल कि हम शिर्डी में पहुंच गए हैं तब मैंने एक लंबी साँस ली और बहुत खुश हुए और बाबा को अपने हृदय में धन्यवाद दिया। मैं कह सकती हूं कि यह केवल बाबा ही थे जिन्होंने हमें ठंडी हवा से बचने के लिए उस ढके हुए ऑटो में बिठाया और देखा कि हम सुरक्षित शिर्डी पहुँचे। मैं उस चिंताग्रस्त रात को हमारे परिवार की देखभाल करने के लिए अपने दिल की गहराई से बाबा को धन्यवाद देती हूँ।
गुरुवार को हमने बाबा का अद्भुत दर्शन किया। हम 3 दिन तक शिरडी में थे और जब हम वहाँ से चलने लगे तो हमारा मन भारी था पर इसलिए भी खुशी थी कि हमने शिरडी में अच्छे समय बिताए और खुशी महसूस की।
इस चमत्कार को हर किसी के साथ साझा करने में देरी के लिए एक बार फिर से क्षमा करें बाबा।
बाबा कृपया हम सभी को आशीर्वाद दें।
धन्यवाद,
क्रांति