Devotee Experience – Sonal से अनुवाद
(सोनल जी ने लिखा है)
6 दिसम्बर 2007 की बात है, ठाणे रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म 2- समय रात 9-30 बजे डोम्बिविली जाने वाली ट्रेन की प्रतीक्षा करते हुए मैं अपने मोबाइल पर साईं धुन सुन
रही थी। जैसे ही ट्रेन स्टेशन की ओर आई, मै थोडा आगे बढ़ी। अचानक किसी ने मेरा मोबाइल छीना और ट्रैक की ओर कूद गया। मुझे अचानक इतनी जोर का धक्का
लगा कि मैं ट्रैक पर गिर पड़ी।
मुझे अपनी मृत्यु सामने दिखाई दे रही थी। जैसे-जैसे ट्रेन की हेडलाइट पास आती दिखी, मुझे अपने परिवार के हर सदस्य का चेहरा दिखाई देने लगा। मैंने साईं बाबा से कहा “अब जो आपकी मर्ज़ी साईं!” किसी तरह, मुझे साईं जी से प्रेरणा मिली, और मैं दाहिनी ओर मुड़ गई और स्वयं को पूरी तरह सिकोड़ लिया।
मोटरमैन ने ब्रेक लगाये, लेकिन जब तक ट्रेन रुक पाती, तब तक तीन बोगी मेरे ऊपर से निकल चुकी थी। प्लेटफार्म पर लोग चीखने लगे की, “ एक महिला ट्रेन के नीचे आ गई है!” उस महिला की शायद मृत्यु हो चुकी होगी! उसके शरीर के तो टुकड़े-टुकड़े हो गए होंगे!!!
लेकिन, जब मैं दो पहियों के बीच की जगह से घिसटते हुए बाहर आई, तो लोग ख़ुशी से चिल्लाने लगे की -“ये तो सुरक्षित है! ये जीवित हैं!!” मैंने एक पर्स और एक बैग रखी हुई थी और सलवार कमीज़ दुपट्टा पहने था,लेकिन कहीं भी मुझे एक खरोच तक नहीं थी! क्या यह चमत्कार नहीं? जीवन भर मै यह भूल नहीं सकती कि मेरे साईं ने मेरी रक्षा की और मुझे नया जीवन दान दिया।
धन्यवाद्।
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