साईं भक्त संतोष कहते हैं: जनवरी 09 को भारत में अपनी छुट्टी के दौरान मैंने शिरडी का दौरा किया और पारायण हॉल में बैठ कर श्री साईं सच्चचरित्र के बचे हुए भाग का पठन शुरू किया। तब जब मैं पूर्ण करने वाला था तब एक पुजारी/साधु मेरे पास आए और पूछताछ की कि मैं कहाँ से हूँ और मुझे एक पुस्तिका दी। उन्होंने मुझे पहले पृष्ठ को बड़े पोस्टरों में प्रिंट करने और उन्हें अपने और अपने आसपास के क्षेत्र के साईं मंदिरो में वितरित करने के लिए कहा ताकि साईं भक्त इससे लाभ पा सकते हैं। मैं सोच रहा था कि वे केवल मेरे पास क्यों आए और हॉल में कई और लोग भी थे। मुझे बाबा की सेवा का अवसर मिलने की खुशी हुई। मैंने कुछ प्रतिलिपि निकाले और उन्हें सबको बांटा। वितरण के लिए यूएस भी कुछ प्रतिलिपि ले गया।
इस संदेश को अधिक से अधिक भक्तों तक पहुँचाने के इरादे से मैंने उसी की एक स्कैन की और इसे इस ईमेल के साथ संलग्न कर रहा हूँ ताकि भक्तों को लाभ मिल सके।
धन्यवाद –
संतोष भारद्वाज
इस अनुभव को पढ़ने और संलग्न चित्र को डाउनलोड करने के बाद, मैं (हेतल पाटिल) काफी आश्चर्यचकित थी। कारण यह है कि “चावड़ी जुलूस के 100 वें वर्ष का उत्सव” के बारे में मैंने एक और पोस्ट लिखा और मैंने उसे पोस्ट करने के लिए बाबा के दिन को चुना था, लेकिन किसी तरह पहले इस अनुभव को पोस्ट करने के बारे में सोचा। एक तरह से बाबा ने साईं लीला मैगज़ीन में लिखे हुआ इस अनुभव को आप सभी के साथ साझा करने की अपनी इच्छा दिखाई है। इस प्रकार, जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि साईं बाबा ब्लॉग्स के प्रत्येक पोस्ट को कैसे और कब पोस्ट करना है, वह सब बाबा ही निर्देशि करते हैं, और वो ही हैं जो की इस ब्लॉग को चला रहे हैं।