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“रेहम नज़र करो” की रचना दासगणु ने कैसे की?

साईं बाबा ने दासगणु को कई बार नौकरी छोड़ने के लिए कहा लेकिन वह टालमटोल करता रहा। अंत में एक दिन आता है जब वे फंस जाते हैं और उनके पास बाबा के पास जाने और उनसे क्षमा मांगने और उन पर दया करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। इस घटना ने दासगणु को रेहम नज़र करो ग़ज़ल की रचना के लिए सहज रूप से प्रेरित किया।
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दासगणु महाराज ने “शिरडी माझे पंढरपुर” की रचना कैसे की?

एक पुलिस अधिकारी के रूप में सेवा और छिपकर दासगणू अब जान बचाने के लिए अपनी यात्रा आगे बढ़ाते हैं। इस यात्रा में नानासाहेब चांदोरकर के संपर्क में आते हैं। यह उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।
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