दासगणु महाराज ने “शिरडी माझे पंढरपुर” की रचना कैसे की?

एक पुलिस अधिकारी के रूप में सेवा और छिपकर दासगणू अब जान बचाने के लिए अपनी यात्रा आगे बढ़ाते हैं। इस यात्रा में नानासाहेब चांदोरकर के संपर्क में आते हैं। यह उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।