साईं भक्त श्रीमती आर.एन कुमार: बाबा ने करवाया दोस्त से फ़ोन

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Devotee Experience – Mrs. R.N.Kumar से अनुवाद

भक्तो के अनुभव – श्रीमती आर.एन कुमार जी

यहाँ एक और अनुभव शिर्डी साईं बाबा से सम्बंधित है जो उनकी एक भक्त हमें बताना चाहती हैं।

भाग्य से मुझे पिछले साल राम नवमी के अवसर पर शिर्डी जाने का मौका मिला। यह मेरी आदत थी की मैं राम नवमी के 9 दिन और राम नवमी के दौरान गुरुवार की शाम को सुन्दर कांड पढ़ती थी। मेरी मित्र पुष्पा ने मुझे फोन किया और अगले दिन शिर्डी में साथ चलने के लिए कहा और कहा कि हम सुबह जल्दी निकलेंगे और उसी दिन वापस लौट आएंगे। हम मुंबई में रहते हैं, उसी समय मैंने सोचा कि मैं सुंदर कांड पढ़ रही हूं तो मैं कैसे जा सकती हूँ? लेकिन फिर मुझे विचार आया कि मैं जल्दी सुबह 3:00 बजे उठकर अपनी पूजा खत्म कर सकती हूँ, इसलिए मैंने तत्काल स्वीकार कर लिया। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर मैंने सुन्दर कांड को पढ़ लिया और उसके बाद हम शिर्डी के लिए हम रवाना हो गए।

शिर्डी में हमे बोहुत अच्छा दर्शन मिले। चूंकि हमे समाधी मंदिर के अन्दर सेलफोन ले जाना मना है, इसलिए मैंने बाहर आने के बाद अपने पति को मुंबई फोन किया और उन्हें बताया कि हमें अच्छा दर्शन हुए हैं और हम दर्शन पाकर बहुत तृप्त हुए। लगभग 10 मिनट के भीतर ही मुझे अपने फ़ोन पर एक कॉल आया और वह कॉल मेरी दोस्त रेखा का था जो बेंगलुरु में रहती है, जो बाबा के एक पक्की और दृढ़ भक्त है, उसे कई बार बाबा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है| वह लगभग 10 दिन पहले ही मुंबई में आकर मुझ से मिलकर गयी थी और इसीलिए मैं उसका कॉल देखकर बोहुत आश्चर्यचकित हो गयी।

तो मेरे मन में सब से पहला विचार ये आया कि रेखा ने शायद पहले मुंबई में कॉल किया होगा और वही से उसे पता चला होगा की मैं शिर्डी में हु और इसीलिए उसने मुझे कॉल किया होगा। पर आश्चर्य की बात ये है की उसने मुंबई कॉल नहीं किया था। उसने मुझे बताया कि वह सिर्फ ऐसे ही बैठकर समाचार पत्र पढ़ रही थी, तभी उसने कुछ ऐसा सुना की बाबा उसे मराठी में कह रहे हो “ तिला फ़ोन कर” (मतलब उसे फ़ोन कर) उसने पूछा “कोणाला फ़ोन करू” (मतलब किसे फ़ोन करू)? फिर उसने बाबा को कहते हुए सुना “तुझी मैत्रींण आहे ना मुंबई मधे तिला फ़ोन कर” (मतलब तुम्हारी जो दोस्त है ना मुंबई में उसे फ़ोन कर) और रेखा ने कहा “इसीलिए मैं तुम्हे फ़ोन कर रही हूँ।” मुझे यकीन ही नहीं हुआ और मेरी आँखों से आंसू बहने लगे। बाबा का आशीर्वाद पाने के लिए मैं स्वयं को बोहुत भाग्यशाली समझती हु और मेरे दोस्त भी बहुत आश्चर्यचकित और खुश थे कि बाबा ने हम सभी को आशीर्वाद दिया। अब भी मैं उस घटना को याद करके बाबा को बोहुत धन्यवाद् देती हु। बाबा को मेरा प्रणाम।

श्रीमती आर.एन. कुमार

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